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शहर के दो स्थानों में बनेगे पौनी पसारी लघु बाजार-ऋषि कुमार शर्मा

शहर के दो स्थानों में बनेगे पौनी पसारी लघु बाजार-ऋषि कुमार शर्मा

पौनी पसारी से जुडेगें स्थानीय परंपरागत व्यवसाय

कवर्धा-राज्य प्रवर्तित पौनी पसारी योजनांर्तगत लघु बाजार का निर्माण शहर के दो स्थानों में अब जल्द ही शुरू हो जायेगा। नगर पालिका अध्यक्ष ऋषि कुमार शर्मा ने योजना के क्रियान्वयन हेतु विभागीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए जल्द निर्माण कार्य प्रारंभ कराया जाकर लोगों को योजनाओं का लाभ दिये जाने को कहा।
नगर पालिका अध्यक्ष ऋषि कुमार शर्मा ने बताया कि बढ़ते हुए शहरीकरण तथा मशीनों के अंधाधुंध उपयोग के कारण पौनी पसारी से संबंधित अधिकांश व्यवसाय शहरो में लुप्त होते जा रहे है उन्होनें बताया कि परंपरागत व्यवसायों तथा छत्तीसगढ़ की स्थानीय संस्कृति एवं परंपराओं को जीवन्त करने एवं इससे स्थानीय समाज तथा बेरोजगारों के लिए व्यवसाय के अवसरों का सृजन करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य प्रवर्तित पौनी पसारी योजना, नवीन परिवेश में नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा प्रारंभ की गई है हमारे नगर पालिका कवर्धा में दो स्थानों पर पौनी पसारी अंतर्गत लघु बाजार निर्माण किये जाने हेतु 02 स्थानों में जल्द ही कार्य प्रारंभ कर समयावधि में पूर्ण कर लिया जायेगा।

दो स्थानों पर बनेगें पौनी पसारी के तहत लघु बाजार
नगर पालिका अध्यक्ष ऋषि कुमार शर्मा ने बताया कि कैबिनेट मंत्री व कवर्धा विधायक मोहम्मद अकबर भाई के मंशानुरूप व राज्य सरकार की महत्तवपूर्ण योजना के तहत शहर के दो स्थानों में क्रमशः राजनांदगांव मार्ग मुक्तिधाम के सामने एवं पुराना जिला चिकित्सालय के सामने 53 लाख 76 हजार की लागत से पौनी पसारी लघु बाजार का निर्माण किया जायेगा। उन्होनें बताया कि जल्द ही कार्य प्रारंभ हो जायेगा जिसके लिए संबधित ठेकेदार को कार्यादेश जारी किया जा चुका है ठेकेदारों को जारी कार्यादेश में कहा कि उक्त योजना के तहत निर्मित होने वाले पौनी पसारी लघु बाजार का निर्माण 6 माह के भीतर पूर्ण किया जावे।

क्या है पौनी-पसारी योजना


साप्ताहिक बाजार एवं पौनी पसारी स्थानीय छत्तीसगढ़ी संस्कृति का अभिन्न अंग है साप्ताहिक बाजारो के माध्यम से जहां एक ओर स्थानीय जनता अपने जीवन यापन के लिए आवश्यक सामान की खरीदी करते थे वही पौनी पसारी के माध्यम से स्थानीय जन समुदाय की आवश्यकताओं तथा सेवाओं की पूर्ति भी सुनिश्चित की जाती थी जिसमें स्थानीय परंपरागत व्यवसायों जैसे लोहे से संबंधित कार्यो, मिट्टी के बर्तन, कपडे धुलाई, जुते चप्पल तैयार करना, लकड़ी से संबंधित कार्य, पशुओं के लिए चारा सब्जी भाजी उत्पादन, कपडो की बुनाई, सिलाई, कंबल, मूर्तियां बनाना, फूलो का व्यवसाय, पूजन सामाग्री, बांस का टोकना, सूपा, केशकर्तन, दोनो पत्तल, चटाई तैयार करना तथा आभूषण एवं सौंदर्य सामाग्री आदि का व्यवसाय ‘‘पौनी पसारी‘‘ व्यवसाय के रूप में जाना जाता रहा है। जिसमें परिवार के के मुखिया के साथ-साथ अन्य सदस्यों को भी रोजगार प्राप्त होता था।

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