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मनरेगा से बैगा जनजाति के लिए नर्सरी कार्य: आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम

AP न्यूज विश्वराज ताम्रकार जिला ब्यूरो केसीजी

खैरागढ़ : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। पहले जहाँ इसे मनरेगा के तहत मिलने वाला अकुशल मजदूरी कार्य माना जाता था, आज यह अनेक गांवों में स्थायी और निरंतर आजीविका का साधन बनकर उभर रहा है। विशेष रूप से आदिवासी और वंचित समुदायों के लिए यह योजना आत्मनिर्भरता का एक मजबूत आधार बन रही है। मनरेगा योजना से नर्सरी विकास एवं पौधारोपण कार्य से ग्रामीण अंचल मे स्थायी रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे है।

इसी क्रम मे जिला – खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में जिला प्रशासन की पहल से ग्राम घोटा, ग्राम पंचायत गेरूखदान में स्थित रिक्त सी.आर.पी.एफ. कैम्प में महात्मा गांधी मनरेगा योजना के तहत राशि रू. 9.96 लाख का नर्सरी कार्य स्वीकृत किया गया है। इसमें कुल 14400 पौधे तैयार किये जायेंगे। जिसमे मुख्य रूप से मुनगा, अमरूद, करंज, खम्हार एवं अन्य पौधों को तैयार किया जा रहा है। यह पहल बैगा जनजाति समुदाय के लोगो को रोजगार प्रदान करने और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में एक अत्यंत सकारात्मक कदम है। जिससे बैगा जनजाति के लोगो के लिए अनेक स्तरों पर लाभकारी सिद्ध होगी जैसे रोजगार सृजन, आर्थिक सुधार, कौशल विकास, सामुदायिक उत्थान।

इस नर्सरी में फलदार पौधों का उत्पादन किया जाएगा, जिससे
• पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा
• स्थानीय स्तर पर पौधों की उपलब्धता बढ़ेगी
• बैगा जनजाति समुदाय के लोगो को लगातार रोजगार मिलेगा

माली प्रशिक्षण: बैगा युवाओं के लिए कौशल विकास का अवसर

उद्यानिकी विभाग द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत बैगा आदिवासी युवाओं को माली प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, जो उनके कौशल विकास का महत्वपूर्ण साधन बनेगा। इस प्रशिक्षण के माध्यम से वे पौधों की देखभाल, नर्सरी प्रबंधन, उद्यानिकी तकनीक, पौधों की गुणवत्ता संवर्धन जैसे विषयों में दक्षता प्राप्त करेंगे। इससे वे न केवल आत्मनिर्भर बनेंगे बल्कि भविष्य में स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

समुदाय के जीवन में सकारात्मक बदलाव

तेजी से बढ़ते शहरीकरण के दौर में गृहवाटिका, सौंदर्यीकरण और भूदृश्य (लैंडस्केपिंग) रखरखाव के लिए कुशल मालियों की मांग लगातार बढ़ रही है। साथ ही नर्सरी प्रबंधन एवं जैविक कृषि का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए जिले में यह विशेष प्रशिक्षण शुरू किया गया है, जिससे बैगा युवक-युवतियाँ आधुनिक बागवानी की मांग को पूरा कर सकें। उद्यानिकी विभाग द्वारा दिया जा रहा माली प्रशिक्षण बैगा आदिवासी लोगों के लिए बहुत ही लाभकारी होगा, जिससे वे अपने कौशल को विकसित कर सकते हैं और आत्मनिर्भर बन सकते हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा और वे अपने परिवार का बेहतर ढंग से पालन-पोषण कर सकेंगे। यह योजना न केवल बैगा जनजाति समुदाय के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

स्थानीय उत्पादन से निर्यात तक की दिशा में कदम

यह क्षेत्र मध्य प्रदेश राज्य की सीमा के नजदीक है। साथ ही स्थानीय जलवायु को भी ध्यान में रखते हुए ऐसे फलदार पौधे तैयार किये जा रहे है। जो न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पड़ोसी राज्य में भी निर्यात योग्य हो। इससे भविष्य में बैगा समुदाय के लोगो के लिए स्थानीय उत्पादन और बाहरी बाजारों तक बिक्री के नए अवसर खुलेंगे।

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