जीवन-यापन का साधन नही, वर्ग का प्रतिनिधित्व है नौकरियां : विप्लव साहू
राजनांदगांव : जिला पंचायत राजनांदगांव के सभापति विप्लव साहू, भारतीय संविधान दिवस 26 नवम्बर पर भिलाई और राजनांदगांव में आयोजित समारोह में शामिल हुए.
ये रहे अतिथिगण–
समारोह में मुख्य अतिथि ओबीसी विकास प्राधिकरण के दलेश्वर साहू, महापौर हेमा देशमुख, पूर्व सांसद मधुसूदन यादव, राजगामी संपदा के अध्यक्ष विवेक वासनिक, पार्षद रवि शास्त्री, पार्षद दीपक पंवार आदि शामिल थे.
हर वर्ग का है संविधान–
विप्लव ने अपने उदबोधन में कहा कि मेरे लिए अत्यंत गौरव और प्रसन्नता का विषय है कि संविधान दिवस पर आयोजन में शामिल हूं. भारतीय संविधान विश्व का ऐसा सुदृढ़ पुलिंदा है जिसमे सभी वर्गों को जरूरत और संख्या के आधार पर सभी क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व का प्रावधान है. लेकिन सेवा क्षेत्र में आने लोग इसे अपने परिवार पालने का जरिया मानते हैं, जो कि पूर्णतः गलत अवधारणा है. संविधान को सब लोगों को पढ़ने और समझने की जरूरत है.
कलंक को हटाया–
संविधान ने भारत के माथे से छूआछूत, ऊंच-नीच, वर्ग भेद को मिटाकर विश्व के सामने देश को सीना तानकर खड़े होने का रास्ता बना दिया. राजा और गरीब, महिला और पुरुष, सब नागरिकों को समान जीवन जीने का, शिक्षा का अधिकार दिया. इसमे सभी वर्गों को सरकारी सेवा के साथ ही निजी क्षेत्रों में भागीदारी का ठोस आधार बना हुआ है. अंग्रेजों से आजादी तो मिली लेकिन वर्गभेद और मानसिकता का भाव आज भी भारी मात्रा में मौजूद है. जिसे दूर करना, व्यवस्था और हमारा दायित्व है.
जलाना नही! समझना है-
हमारा देश बड़ा विचित्र है यहां संविधान के प्रति जितनी अवमानना दिखाई देती है, वह दुनिया के किसी देश में अपने संविधान के प्रति अवहेलना नहीं दिखती. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में संसद के समीप ही संविधान जला दिया जाता है और सत्ता चुप रहती है. और भी कई घटनाओं और बयानों से लोगों को यह दिखाई देता है कि समानता पर आधारित यह संविधान को वे बदलने की खराब नियत रखते हैं. इनसे देशवासियों को अलर्ट रहने की जरूरत है.
सर्वाधिक नुकसान ओबीसी का-
ओबीसी की बात रखते हुए विप्लव ने कहा कि संविधान में वर्णित अधिकार आज तक अन्य पिछड़े वर्ग को नही मिल पाया है. और न ही हालात बदलने वाली कोई बड़ी कोशिश की गई है, यह सीधा संविधान की अवहेलना, घोर अन्याय और देश के सबसे बड़े समुदाय ओबीसी को मानवता के आधार पर समानता से दूर रखने का निरंतर चलने वाला षडयंत्र का हिस्सा है. अब ओबीसी को अपने संविधानिक अधिकार के लिए घर से निकलना होगा. इतिहास इस बात की तस्दीक करता है कि अधिकार मांगने से नही मिलता, उसे जागरूक होकर लेना पड़ता है.
सर्वोपरि जरूरी–
उन्होंने शासन-प्रशासन और समाज के सभी वर्गों से अपील किया कि विश्व के सबसे सुंदर भारतीय संविधान पर आस्था प्रकट करते हुए बड़ी शिद्दत से इनमें निहित अनुच्छेद का अनुपालन करें, तभी संविधान बनाने का उद्देश्य पूरा होगा. अंत मे
उन्होंने आयोजन समिति को धन्यवाद देते हुए अपनी बात पूरी की.