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नवतरूणाई का आध्यात्म की ओर झुकाव मनमोह गया…. हनुमान जन्मोत्सव पर आँखो देखा मेरा अपना अनुभव…

मेरा भारत जाग रहा…. राज गोस्वामी के वाल से 

आज हनुमान जन्मोत्सव पर मै सपत्नीक बृहस्पति बाजार बिलासपुर स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर प्रभु दर्शन हेतु गया हुआ था।  मेरे लिए सच मे वह संकट मोचन मंदिर है, वर्ष 1990 से मै इस जीवंत स्थान से सशरीर आत्मा से जुड़ाव रखता हूँ ,यहां से मेरी आस्था अटूट है । मै रेगुलर कभी नही जा पाया पर समय समय पर या विशेष आयोजनों अपनी हाज़िरी प्रभु चरणों मे सदैव लगता रहा हूं।  आडंबर मुझे नही आता या शायद पसंद नहीं है। मेरे पूर्व के बत्तीस सालों के अनुभव में आज एक अलग ही सुखद अनुभूति हुई। जहां एक ओर भक्तिमय माहौल में सभी पूजा अर्चना करते हुए दिखे । वही मंदिर समिति के सदस्य और अन्य युवा स्वमेव सभी अपनी अपनी स्वेच्छा से यथाशक्ति यंत्रचलित से कार्य कर रहे थे।  सबसे ज्यादा सुख की अनुभूति नयी पीढ़ी के अध्यात्म एवं पूजा पाठ के प्रति लगाव को देखकर हुई। कुछ युवा पारंपरिक परिधान में अलग अलग पात्र में हल्दी, चंदन ,बंधन और कुमकुम लेकर सभी भक्तगणों को लगा रहे थे। मुझे भी इन्ही मे किसी दो लोगों ने मेरे पूरे माथे पर पहले हल्दी लेपन किया फिर दूसरे ने कुमकुम से युक्त एक मोनोब्लाक द्वारा मेरे माथे पर राम नाम उकेर दिया। एक तो नवतरूणाई की समर्पित भक्तिभाव और दूसरा माथे पर हल्दी लेपन की ठण्डाई दोनों ने मन प्रसन्न और शांतचित्त कर दिया। कुछ पल के लिए मै अचंभित होकर किसी और दुनियां में चला गया। बता नही सकता वह कितना आनंदमयी अविस्मरणीय क्षण था। मै इस आपाधापी में इन तरूणाई को अपने कैमरे में कैद करना भूल गया।  जिसका अफसोस मुझे वापस घर आकर हुआ। अच्छा लगा आज के यंत्रचलित आधुनिकता का नकाब ओढ़े इस युग में कुछ परिवार या संस्थान ऩई पीढ़ी को भारत के आध्यात्मिक गुरू होने का आभास तो करा रही है। आज मुझे उज्जवल भारत की एक छोटी सी छवि देखने को मिली तो दिल बागबाग हो गया। जिसदिन मेरा भारत आधुनिकता के साथ साथ अपनी संस्कृति को भी अपना लेगा तो इसे सक्षम होने के साथ विश्व विजेता होने से कोई ताकत नही रोक पायेगी । यही युवा ही हमारा या कहें भारत का भविष्य हैं।  इन्हें बस अपनी संस्कृति को आत्मसात कर आत्मबोध कराने और सही दिशा दिखाने की आवश्यकता है । भारत हमेशा से आध्यात्मिक महागुरू (विश्व गुरू) रहा है और रहेगा।
      संकट मोचन हनुमान मंदिर के प्रमुख पुजारी पंडित गीता महाराज के बताएं अनुसार और मेरे अपने आँखो देखी परिस्थिति के अनुभव अनुसार इस वर्ष हनुमान जन्मोत्सव के पावन अवसर मंदिर की व्यवस्थित विशेष साफ सफाई की गयी । तरह तरह की मनभावन रंगबिरंगी लाइटों , बड़े बड़े झूमर से आकर्षण साज सज्जा, भक्तों के स्वागतम हेतु विशाल भव्य द्वार, भण्डारे हेतु विशाल टेंट सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं की व्यवस्था, प्रसाद वितरण एवं फलाहार हेतु अलग से काउंटर का विशेष इंतजाम किया गया ।  साफ सुथरें  शीतल पेयजल की व्यवस्था विशेष रूप से की गयी। फलाहार, प्रसाद वितरण सहित भण्डारे के स्वादिष्ट भोजन को परोसने हेतु अलग अलग युवा वालंटियर अपनी टीम के साथ अपनी सेवाएँ दे रहे थे। मंदिर प्रांगण मे जय श्रीराम सहित जय भारत का उद्घोष चहुओर गूंज रहा था। मन को मोह लेने वाली अगरबत्ती मोहक खुशबू सभी दिशाओं में विद्यमान थी। इन सब व्यवस्थाओं के केंद्रबिंदु यही तरूण हैं।
दर्शन उपरांत मैने सपत्नीक भण्डारे में शामिल हों प्रसाद ग्रहण किया जो बहुत ज्यादा स्वादिष्ट और आत्मतृप्ति से परिपूर्ण था।

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