मोहम्मद अकबर का बीजेपी को चैलेंज, कहा- मुझे कवर्धा में एक भी रोहिंग्या मुस्लिम हो तो दिखाओ।

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मोहम्मद अकबर का बीजेपी को चैलेंज, कहा- मुझे कवर्धा में एक भी रोहिंग्या मुस्लिम हो तो दिखाओ

विधानसभा चुनाव के बाद पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर के भाजपा के ऊपर कसा तंज

कवर्धा।छत्तीसगढ़ के पूर्व कानून मंत्री व कवर्धा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक मोहम्मद अकबर ने 2018 में राज्य के कवर्धा विधान सभा सीट से 59,284 के रिकॉर्ड मतो से जीत हासिल किया था, जो कि जीत का सबसे बड़ा अंतर है। इस बार वह भाजपा के विजय शर्मा से 39,592 वोटों से हार गए।वह अपनी हार पे कहते है कि ईवीएम के बारे में संदेह हैं, तथा मध्य प्रदेश और राजस्थान में ईवीएम को लेकर खूब हंगामा हो रहा है। हालांकि इसकी कार्यप्रणाली पर संदेह है, लेकिन अगर हम अभी मुद्दा उठाएंगे तो लोग हमसे तेलंगाना की जीत के बारे में सवाल करेंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली में पार्टी हाईकमान के साथ समीक्षा बैठक में मेरे साथियों ने ईवीएम का मुद्दा उठाया और इस पर चर्चा शुरू हुई। हम लोकसभा चुनावों के लिए मतपत्रों को वापस लाने की मांग कर सकते हैं। हमने अपने घोषणापत्र और अपनी सरकार द्वारा किये गये कार्यों पर भी विस्तार से चर्चा की। नेतृत्व ने हमें लोकसभा चुनाव पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है।उन्होंने कहा अभी वे ईवीएम पर अपनी पार्टी के नेताओं के रुख का इंतज़ार कर रहा हूं।वही कवर्धा में भाजपा द्वारा रोहिंग्या मुसलमान व बाहरी लोगों के बसाए जाने को लेकर आरोप लगाती रही है। इस पर मोहम्मद अकबर ने कहा कि ये तो बस राजनीति है, जो लोग यह आरोप लगा रहे हैं उनसे पूछिए कि कवर्धा में एक भी रोहिंग्या मुस्लिम दिखा दें।चाहे बेमेतरा जिले के साजा हो या कवर्धा, भाजपा ने हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाया। इसमें आरोप लगाया गया है कि कांग्रेस तुष्टीकरण की राजनीति करती है। इस पर उन्होंने कहा कि भाजपा चुनाव जीतने के लिए इस झूठी कहानी का सहारा लेते हैं और इस बार भी यही हुआ। मोहम्मद अकबर ने कहा कि मैं अपनी राजनीति की शैली नहीं बदलूंगा, जो कि धर्मनिरपेक्ष है। मैं अपने काम को लेकर आश्वस्त हूं और नहीं मानता कि सांप्रदायिक राजनीति कोई मुद्दा बनेगी। पाटन के बाद कवर्धा में काफी विकास हुआ। अंततः, लोग ही निर्णय लेते हैं कि किस मुद्दे को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

हार के लिए किसी को दोष नहीं

मोहम्मद अकबर ने कहा कि मैं हार के लिए किसी को दोष नहीं देना चाहता। मैंने राज्य में चौथा सबसे ज्यादा वोट हासिल किया। इस बार 1.05 लाख मिले (2018 में अकबर को 1.36 लाख वोट मिले, जबकि भाजपा उम्मीदवार को 77,000 वोट मिले)। उन्होने कहा भविष्य में मैं मतदाताओं को यह समझाने की कोशिश करूंगा कि वोट देते समय उनकी प्राथमिकताएं विकास और भाईचारा होनी चाहिए।

हम हार गए, लेकिन अब देखना होगा कि क्या भाजपा अपनी वादे पूरे कर पाती है?

कांग्रेस को इस बार छत्तीसगढ़ से 60-75 सीटें मिलने की उम्मीद थी लेकिन पार्टी 35 सीटों पर सिमट गई, इस विषय पर मोहम्मद अकबर का कहना है कि मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि हम हार गये। छत्तीसगढ़ के लिए पहली बार सभी एग्जिट पोल पूर्वानुमान गलत निकले। नुकसान के कई कारण हैं।हमारी सरकार ने कृषि ऋण माफी, यूनिवर्सल राशन कार्ड और धान खरीद जैसे कई अच्छे काम किए, जो भारत में सबसे ज्यादा थे। इसके अलावा, हमारा घोषणापत्र भाजपा से बेहतर था। हालाकि, वे फिर भी जीत गए। आगे देखें कि क्या वे अपने वादे निभाते हैं, खासकर 3100 रुपया प्रति क्विंटल के हिसाब से 21 क्विंटल तक धान ख़रीदी का वादा।

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