ChhattisgarhMungeli

लोरमी- संस्कृति, परम्परा और आस्था का मेला है सेमरसल मेला: उमाशंकर

लोरमी- संस्कृति, परम्परा और आस्था का मेला है सेमरसल मेला: उमाशंकर



टीकम निर्मलकर AP न्यूज़ लोरमी : माघ तेरस में लगने वाले सेमरसल मेला में पिछले कई सालों से सुप्रसिद्ध मेला लगता है। स्कूल प्रांगण से नजदीक होने के कारण बच्चों के लिए बड़े ही सुलभता से अनेक सामग्री आसानी से उपलब्ध हो जाता है। मेला के कारण अनेक बिछड़े मित्र मिल जाते हैं, परिवारों में रौनक रहती है, व्यापार, परम्परा और संस्कृति को बढ़ावा मिलता है। ईश्वर के प्रति आस्था प्रकट होता है। बच्चों के लिए बड़ा ही रोचक वातावरण रहता है। युवाओं को घूमने के लिए एक बेहतर माहौल मिलता है। क्षेत्र के लोग एकजुट होकर इस मेला का लाभ उठाते हैं। पारंपरिक खाद्य वस्तुएं उखरा, पेठा, मुर्रा, लड्डू, पिनखजूर, मेवा मिष्ठान से मेला सजा रहा। गांव के लोग सालभर इन खूबसूरत पलों का इंतजार करते रहते हैं। खेती किसानी से निवृत्त होकर लोग मेला का आनंद उठाते हैं। लोग मंदिर में नारियल चढ़ाते हैं।

झूले, मौत कुवां, ढेलवा, श्रृंगार सदन, भोजनालय, स्टेशनरी, फोटो स्टूडियो, बर्तन दुकान, सायकल स्टैंड आदि रहा। पुलिस सुरक्षा की व्यवस्था भी किया गया था। महंत बालमुकुंद दास ने सभी श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया और अगले साल इसी भव्यता और दिव्यता के साथ मेला आयोजन में सहभागी होने का आह्वान किया। इस अवसर पर प्रधानपाठक राजकुमार कश्यप, शिक्षक उमाशंकर सिंह, छात्र चैनू साहू, खिलेश्वर निषाद, प्रिया निषाद, लीला निर्मलकर एवं प्रिया गरेवाल मौजूद रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page