Chhattisgarhखास-खबर

लोकवाणी (आपकी बात-मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के साथ) प्रसारण तिथि : रायपुर, 12 दिसम्बर 2021

12 दिसंबर 2021

एंकर

–    लोकवाणी के सभी श्रोताओं को नमस्कार, जय जोहार।
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, इसी सप्ताह आपकी सरकार छत्तीसगढ़ में तीन वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करेगी।
–    इस अवसर पर आपको बहुत बधाइयां और शुभकामनाएं।
–    इन तीन वर्षों में आपकी सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य को अपनी वास्तविक छत्तीसगढ़िया पहचान दिलाते हुए, विकास और न्याय के नए प्रतिमान स्थापित किए हैं।
–    यही वजह है कि आज लोकवाणी की चौबीसवीं कड़ी के प्रसारण का विषय है-‘नवा छत्तीसगढ़ और न्याय के तीन वर्ष’।
–    इस अवसर पर हम अपने श्रोताओं की ओर से, प्रदेश की 2 करोड़ 80 लाख जनता की ओर से, माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी का हार्दिक अभिनंदन करते हैं।
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, जम्मो मन कोती ले आप ल जय जोहार।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    जम्मो सियान मन, दाई-दीदी मन, संगवारी मन, नोनी-बाबू मन अउ मोला अब्बड़ मया के संग कका कहइया, मोर जम्मो भतीजा-भतीजी मन ल जय जोहार, नमस्कार, जय सियाराम।
–    हमर सरकार के तीन बछर, मुख्यमंत्री के रूप म मोर तीन बछर पूरा होय के बेरा म आप मन ह, मोर अभिनंदन करे हव, ओकर बर आप मन ल अब्बड़कन धन्यवाद।
–    सही कहूं त, ये मउका आप सब मन के अभिनंदन करे के हे।
–    हमन सार्वजनिक जीवन के कार्यकर्ता हरन।
–    आप मन के सहयोग अउ मया मिलथे, तभे हमर नेतृत्व क्षमता बाढ़थे।
–    मोर सौभाग्य हे, के आप मन के सुग्घर सोच, अउ समर्थन ले मुख्यमंत्री के रूप म, मोला सफलता मिले हे।
–    आप मन ले निवेदन हे, के मोर बर, हमर सरकार बर, अपन दया-मया अउ सहयोग बनाय राखहू।
एंकर
–     माननीय मुख्यमंत्री जी, आपकी सरकार के तीन वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर हमारे बहुत से श्रोताओं ने आपको बधाई दी है। आइए सुनते हैं, उनमें से कुछ की आवाजें-

कुमारी आरती साहू, ग्राम फुसेरा, जिला-धमतरी
    माननीय मुख्यमंत्री जी जय जोहार। मेरा नाम आरती साहू है, ग्राम फुसेरा, जिला-धमतरी से बोल रही हूं। छत्तीसगढ़िया सरकार के तीन वर्ष अपार सफलता के रहे हैं। खुशी की बात है कि आज हमें लगता है कि हमारे पुरखों ने छत्तीसगढ़ राज्य के लिए जो सपने देखे थे, वो आपने पूरे किए हैं। आपको बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
बंशी कन्नौजे, रायपुर
    माननीय भूपेश बघेल जी, तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के लिए आपका स्वागत, वंदन और अभिनंदन है। मैं बंशी कन्नौजे रायपुर से बोल रहा हूं। आप ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़िया भावना को समझा है। आपके हर काम में ठेठ छत्तीसगढ़िया सोच दिखाई पड़ती है, छत्तीसगढ़िया अंदाज दिखाई पड़ता है। जो जनता को सीधे आपसे जोड़ता है। मेरी कामना है कि आप ऐसे ही छत्तीसगढ़ को आगे बढ़ाते रहें।
कमल अंधारे, मानपुर, जिला-राजनांदगांव
जय सियाराम मुख्यमंत्री जी। मैं कमल अंधारे, मानपुर, राजनांदगांव से बोल रहा हूं। हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि छत्तीसगढ़ मॉडल देश और दुनिया में इस तरह से धूम मचाएगा। तीन वर्षों में आपने यह साबित कर दिया है कि छत्तीसगढ़ के लोगों को सिर्फ अपने राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में, नई और सही सोच के साथ काम करने वाले लोगों के रूप में पहचाना जाएगा। आपने हमें जो गौरव दिलाया है, उसके लिए आभार। जय जोहार।
अंजलि चौहान,  जिला-रायगढ़
हमर मुखिया भूपेश बघेल भैया ल जय जोहार। मैं अंजली चौहान, खरसिया, रायगढ़ से बोल रही हूं। आपकी सरकार की तीसरी सालगिरह के अवसर पर बहुत बधाई। आपने हम महिलाओं के लिए जिस तरह रोजगार के अवसर जुटाए हैं, मान-सम्मान दिलाया है, उससे परिवार और समाज में हमारी स्थिति मजबूत हुई है। आपकी सरकार के तीन साल पूरे होने का मतलब हमारी सफलता के तीन साल पूरे होने जैसा है।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    प्रिय, आरती, बंशी, कमल और अंजलि को बहुत धन्यवाद।
–    मेरी तीन साल की सबसे बड़ी सफलता तो यही है कि आप लोग अपने अधिकारों, अवसरों और वास्तविक तरक्की को स्वयं महसूस कर रहे हैं, सच होते देख रहे हैं।
–    आजादी के बाद आपने कई सरकारें देखी हैं। राज्य गठन के बाद भी सरकारों के कामकाज को परखा है लेकिन आज आपके दिल से जो दुआएं निकल रही हैं, उससे मुझे बहुत संतोष मिल रहा है। खुशी है कि मैं कुछ सार्थक बदलाव करने में सफल हुआ हूं।
–    हमारी सरकार की छवि जनता के मन की बात को समझने और उनकी बेहतरी के लिए काम करने वाली सरकार के रूप में बनी है।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने मुखिया की जिम्मेदारी संभालने के तुरंत बाद कहा था कि आदिवासी अंचलों में विश्वास जीतने, वहां के लोगों का मन जानने के बाद ही, उनकी इच्छा और जरूरतों के मुताबिक विकास के काम करेंगे। आइए सुनते हैं कि तीन साल बाद आदिवासी अंचल के लोग क्या कहते हैं?
सम्पत, जिला बस्तर
माननीय मुख्यमंत्री जी, जय जोहार। मैं सम्पत, बस्तर से बोल रहा हूं।    पहले हमें विकास के नाम से ही डर लगता था क्योंकि विकास के नाम पर हमारे साथ जो कुछ किया गया, वह बहुत डरावना था। हमें अपने जल, जंगल, जमीन से ही उखाड़ा जा रहा था। हमारे गांव में रोजगार के अवसर नहीं थे। लेकिन आपने यह विश्वास जगाया कि हमारी देवगुड़ी भी बची रहेगी। अपने नदी, तालाबों, जंगलों, खेतों, खलिहानों पर हमारा हक बना रहेगा। हमारी संस्कृति, हमारे  त्यौहार भी बचेंगे और हम अपनी जिंदगी में खुशी और संतोष का रंग भरते हुए विकास कर सकेंगे।

गुंजू, जिला बस्तर
    माननीय मुख्यमंत्री, जी जय जोहार। मैं गुंजू, जिला बस्तर से बोल रहा हूं। आदिवासी अंचलों में हमें समझ में नहीं आता था कि सरकार का क्या काम होता है और उससे हमें क्या फायदा है? लेकिन अब तीन वर्षों में हमें समझ में आया है कि सरकार हमारी जिंदगी में कितनी बड़ी भूमिका निभा सकती है। आपने हमारी बरसों की चिंताओं को समाप्त कर दिया है और हंसी-खुशी हमारा और बच्चों का भविष्य संवारने की योजनाएं लागू की हैं। इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।    
दीपक लकड़ा, डुमरबहार
माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं दीपक लकड़ा, ग्राम पंचायत डुमरबहार से बोल रहा हूं। आपको मुख्यमंत्री के रूप में तीन साल पूरा करने पर दिल से बधाई। वैसे तो हमें आपकी योजनाओं का लाभ मिल रहा है लेकिन एक बार फिर आपसे जानना चाहेंगे कि पूरे प्रदेश में आदिवासियों के लिए तीन साल में कौन-कौन से महत्वपूर्ण काम किए गए हैं और ऐसे कौन से काम हैं जो अन्य स्थानों पर किए गए लेकिन हमारे जिले में नहीं किए गए?
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    प्रिय संपत, गुंजू और दीपक धन्यवाद।
–    मुझे यह सुनकर बहुत अच्छा लगा कि आप लोगों ने तीन साल में हुए बदलावों को न सिर्फ करीब से देखा है बल्कि उनसे अपने जीवन में बेहतरी को महसूस भी कर रहे हैं।
–    निश्चित तौर पर तीन साल पहले छत्तीसगढ़ में गांवों और आदिवासी अंचलों की हालत बहुत खराब थी।
–    ये एक बड़ी अजीब प्रथा बनाई गई थी कि जो पैसा आपकी पसंद के कामों पर खर्च करना चाहिए था, वह पैसा कुछ ऐसे लोगों की सोच के हिसाब से खर्च हो रहा था, जिनका छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ियों के हित से कोई लेना-देना नहीं था।
–    ऐसे लोग मुखिया बने बैठे थे, जिन्हें किसान, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग, माताओं, बहनों, युवा साथियों और बच्चों की जरूरतों की कोई समझ ही नहीं थी।
–    उदाहरण के लिए अगर देवगुड़ी बस्तर संभाग के अंदरूनी क्षेत्रों में है तो इसके विकास की योजना बस्तर के लिए ही काम आएगी।
–    दुर्गम क्षेत्रों में यदि लोग अस्पताल नहीं पहुंच पाते पर हाट-बाजार जाते हैं तो उनकी हाट-बाजार क्लीनिक योजना वहीं चलेगी।
–    इस तरह हमने नाम और आंकड़े गिनाने वाली योजनाएं बनाने के स्थान पर ऐसी योजनाएं बर्नाइं, जो वास्तव में आदिवासी अंचल और वहां के लोगों का भला कर सके।
–    लोहंडीगुड़ा में जमीन वापसी के साथ आदिवासियों और किसानों के लिए न्याय का आगाज हुआ।
–    निरस्त वन अधिकार दावों की समीक्षा से हजारों निरस्त व्यक्तिगत दावों को वापस प्रक्रिया में लाया गया। ऐसे नए उपायों को भी बल दिया गया, जिससे आदिवासी समाज तथा अन्य पात्र लोगों को अपनी जमीन का हक मिले। इसी तरह सामुदायिक तथा वन संसाधन अधिमान्यता-पत्र देने की शुरुआत हुई।
–    मुझे यह कहते हुए खुशी है कि अब तक 22 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि आदिवासी तथा परंपरागत निवासियों को दी जा चुकी है, जो 5 लाख से अधिक परिवारों के लिए आजीविका का जरिया बन गई है। इस भूमि पर उपजाया धान भी हम समर्थन मूल्य पर खरीद रहे हैं।
–    ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ का लाभ भी इन परिवारों को पात्रता के अनुसार मिल रहा है।
–    मासूम आदिवासियों पर जबरिया थोपे गए आपराधिक प्रकरणों को समाप्त करने के लिए हमने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में कमेटी गठित की, जिसका लाभ सैकड़ों परिवारों को दोषमुक्ति के रूप में मिल रहा है, इससे उनके जीवन में नई उम्मीद जागी है।
–    तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 2500 से बढ़ाकर 4000रू. प्रतिमानक बोरा करना और ‘शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना’ लागू करने से वन आश्रित परिवारों की जिंदगी में नई रोशनी आई है।
–    मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी है कि हमने वन उपजों को सीधे आदिवासी समाज की जिंदगी से जोड़ दिया है।
–    तीन साल पहले सिर्फ 7 वनोपज की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही थी। लेकिन हमने 52 वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की। इतना ही नहीं, 17 लघु वनोपजों के लिए संग्रहण पारिश्रमिक दर अथवा समर्थन मूल्य में अच्छी बढ़ोतरी भी की गई है।
–    इस तरह वनोपजों के समर्थन मूल्य पर खरीदी करने, प्रसंस्करण करने, इसमें महिला स्व-सहायता समूहों को जोड़ने और आदिवासी समाज के सशक्तीकरण में बड़ी भूमिका निभाने के लिए छत्तीसगढ़ को भारत सरकार ने 25 पुरस्कार प्रदान किए हैं।
–    नक्सल हिंसा से उजड़े शाला भवनों का निर्माण कराया गया और वहां फिर से पढ़ाई शुरू कराई गई।
–    नारायणपुर, जगदलपुर और बीजापुर में उच्च क्षमता के बिजली उपकेन्द्रों की स्थापना की गई। इसके साथ ही बड़े पैमाने पर बिजली लाने और उसे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए ट्रांसमिशन-डिस्ट्रीब्यूशन तंत्र की स्थापना की गई, जिससे सम्पूर्ण बस्तर संभाग में बिजली आपूर्ति में बाधा न आए। सरगुजा संभाग तथा प्रदेश के सभी आदिवासी अंचलों में बिजली, सड़क, शिक्षा, पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं पहंुचाने जैसे काम प्राथमिकता से किए ताकि लोगों का जीवन आसान हो।
–    ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान‘, ‘मलेरियामुक्त छत्तीसगढ़ अभियान‘, ‘मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना‘ की वास्तविक जन्मभूमि आदिवासी अंचल ही है और आज ये योजनाएं स्वस्थ छत्तीसगढ़ बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही हैं।
–    इन योजनाओं का बहुत लाभ कोरोना काल में भी मिला। वास्तव में कोरोना के दौर में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को लेकर हमारे नवाचार की सराहना राष्ट्रीय स्तर पर हुई है।
–    बस्तर संभाग में ‘मेहरार चो मान‘, ‘आमचो बस्तर‘, ‘मधुर गुड़ योजना‘, ‘डेनेक्स‘ जैसी पहल ने स्थानीय लोगों में स्वाभिमान और स्वावलंबन की मजबूत इच्छा-शक्ति पैदा की है।
–    हमने स्थानीयता के सम्मान को स्थानीय नेतृत्व से भी जोड़ा है। यही वजह रही कि बस्तर हो, सरगुजा हो या मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण हो, मैंने इन सबका पुनर्गठन किया और इनके अध्यक्ष पद से मुख्यमंत्री को ही हटा लिया, जिसके कारण स्थानीय विधायकों और जनप्रतिनिधियों को अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष बनाया गया। इससे संबंधित क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर मांगों और आवश्यकताओं का परीक्षण होने लगा तथा वहीं के लोगों को अपने हित के फैसले लेने का अधिकार मिला।
–    हमने बहुत सी ऐसी योजनाएं बनाई हैं जो प्रदेश के सभी 85 आदिवासी विकासखण्डों में काम करंेगी जैसे ‘इंदिरा वन मितान योजना‘, ‘चिराग परियोजना‘ आदि।
–    मैं बताना चाहता हूं कि प्रदेश के अन्य हिस्सों में किसानों, मजदूरों, महिलाओं, युवाओं आदि को जिन योजनाओं का लाभ मिल रहा है, वे सभी सुविधाएं आदिवासी अंचलों में भी मिल रही हैं।
–    इसके अलावा विशेष योजनाओं का लाभ भी आदिवासी अंचलों में मिल रहा है।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, हम बहुत विनम्रतापूर्वक आपसे यह कहना चाहते हैं कि आपके और किसानों के बीच दुनिया की कोई ताकत नहीं आ सकती। इसलिए इन तीन सालों पर किसान भाई क्या कहते हैं, यह आप स्वयं सुनिए और निवेदन है कि इनके सवालों का जवाब भी दीजिएगा।
गोपाल, जिला जांजगीर-चांपा
    भूपेश भैया, ल जय जोहार। मैं गोपाल, जिला जांजगीर-चांपा से बोल रहा हूं। तीन साल पहले हम सोच भी नहीं सकते थे कि हमें धान का दाम 2500 रू. प्रति क्विंटल मिल सकता है। लेकिन आपने मुख्यमंत्री बनते ही 2500 रू. प्रति क्विंटल के हिसाब से भुगतान कराया। हमने पढ़ा और सुना कि घोषित समर्थन मूल्य से ज्यादा दर देने को लेकर आपकी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया गया। तब हमें लगा था कि अब शायद यह दाम मिलना मुश्किल हो लेकिन वाह भूपेश भैया। खुद लड़ते रहे पर किसानों के हितांे में आंच न आने दी। सारी शंका-कुशंका को किनारे करते हुए आप हर साल अपना वादा पूरा कर रहे हैं। क्या यह सिलसिला आप आगे भी जारी रख पाएंगे?  
नरेन्द्र श्रीवास, जिला-दुर्ग
    जय जोहार मुख्यमंत्री जी। मैं नरेन्द्र श्रीवास, जिला-दुर्ग से बोल रहा हूं। आपने किसानों का अल्पकालीन कृषि ऋण माफ कर दिया, सिंचाई कर माफ कर दिया, लंबित सिंचाई पंप कनेक्शन दिला दिए। पहले धान 2500 रू. में खरीदा और अब राजीव गांधी किसान न्याय योजना में दर्जनों फसलों को जोड़ दिया। सच कहूं तो छत्तीसगढ़ का किसान बहुत खुश है पर कभी-कभी यह डर लगता है कि आप जो नई-नई योजनाएं घोषित करते जा रहे हैं, उन्हें कैसे पूरा करेंगे? आप मुख्यमंत्री के रूप में किसानों के संरक्षक बने रहेंगे तो 5-10 वर्षों में ही छत्तीसगढ़ का किसान प्रदेश की बड़ी आर्थिक ताकत बन जाएगा और जितना सरकार आज मदद कर रही है, वह सब प्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत करने में काम आएगा।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    गोपाल और नरेन्द्र जी, जय जोहार। आपने बढ़िया सवाल किया धन्यवाद।
–    मुझे खुशी हुई कि छत्तीसगढ़ के किसान भाई उन परिस्थितियों को समझ रहे हैं, जिसमें हमें काम करना पड़ रहा है और आप लोगों को इस बात का पूरा भरोसा हुआ है कि हम किसानों से संबंधित जो काम कर रहे हैं, उसकी दिशा सही है।
–    साथियों, आपने मेरे लिए जितनी अच्छी बातें कही हैं, उसके लिए आभार प्रकट करते हुए मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि किसान मेरी जान है, मेरे प्राण हैं और किसानी मेरी धड़कन है।
–    जिन दिन मैं किसानी नहीं करूंगा या किसानी की बेहतरी के लिए नहीं सोचूंगा, समझ लीजिए कि उसी क्षण वह व्यक्ति नहीं रहूंगा, जिसको आप लोग प्यार करते हैं।
–    मैंने बचपन से जवान होते तक खेतों में काम किया है, इसलिए मुझे खेती-किसानी की पूरी जानकारी है।
–    हर फसल किसान के लिए एक सीढ़ी होती है। अगर एक सीढ़ी टूट जाए यानी एक फसल में उसे नुकसान हो जाए तो किसान के लिए आगे बढ़ना बहुत कठिन काम हो जाता है।
–    निश्चित तौर पर इनपुट और आउटपुट की बाजार व्यवस्था से ही जुड़ी हुई बात है।
–    इनपुट कास्ट कम होना और आउटपुट का दाम अच्छा मिलना ही खेती को लाभदायक बना सकता है।
–    इसलिए हमने सबसे पहले किसानों पर जो कर्ज का बोझ था, डिफाल्टरी का कलंक था, बकायादारी की जो बाधा थी, उसे कर्ज माफी से ठीक किया।
–    सिंचाई पंप कनेक्शन लगाने का काम सुगम किया, सिंचाई के लिए निःशुल्क या रियायती दर पर बिजली प्रदाय का इंतजाम किया।
–    धान ही नहीं बल्कि सारी खरीफ फसलों, उद्यानिकी फसलों, मिलेट्स यानी लघु धान्य फसलों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत इनपुट सब्सिडी के दायरे में लाया।
–    पहले साल जब हमने आपको 2500 रू. प्रति क्विंटल की दर से धान का दाम दिया तो इसमें कुछ लोगों ने रोड़ा अटकाया और हम उस बाधा को चीर कर कैसे बाहर निकले, यह कोई छिपी बात नहीं है।
–    किसान परिवार के बच्चे-बच्चे को पता है कि हमने किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए एक भयंकर बाधा दौड़ जीती है। इन बाधाओं की आड़ में पूरे प्रदेश को चौपट करने का जो षड़यंत्र था, उसका पर्दाफाश आपकी आंखों के सामने हुआ है। ये सब बातें फिलहाल तो ताजा घटनाक्रम के रूप में आप लोग जानते ही हैं लेकिन हमने जो रास्ते निकाले उसे भी इतिहास में याद किया जाएगा।
–    कुछ भाइयों ने बताया कि उन्हें इस बात का डर है कि आगे भी ये सब सुविधाएं जारी रखी जाएंगी या नहीं, तो मैं उन्हंे पूरे दम-खम के साथ बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार चट्टान की तरह किसानों के साथ खड़ी रहेगी। कोई ताकत हमें अपने रास्ते से डिगा नहीं सकती।        
–    हम समर्थन मूल्य पर खरीदी भी करेंगे और इनपुट सब्सिडी भी देंगे। आपको जानकर खुशी होगी कि हम कोई नया निर्णय नहीं लें और वर्तमान फैसलों पर चलते रहें तो भी दो साल बाद किसानों को धान का दाम और अधिक मिलेगा।
–    हमने तो धान की बंपर फसल का भी स्वागत किया है। इस साल 105 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदी का लक्ष्य रखा है।
–    हम केन्द्र सरकार से लगातार यह मांग कर रहे हैं कि धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति हो। यदि यह मिल गई तो समझिए कि फिर हमें किसी के सामने हाथ भी नहीं फैलाना पड़ेगा। हम ऐसी अर्थव्यवस्था बना देंगे कि किसान को अपनी उपज का मनचाहा दाम मिलेगा।
–    इसलिए मैं हाथ जोड़कर आप लोगों से यह अपील करता हूं कि अफवाहों पर ध्यान बिल्कुल नहीं दीजिए।
–    मैं हर परिस्थिति में किसान भाइयों के साथ खड़ा मिलूंगा।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, आजकल छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा सब जगह हो रही है। तीन साल के दौरान ऐसा क्या हुआ कि छत्तीसगढ़ मॉडल सफल हो गया। इसके बारे में हमारे श्रोता जानना चाहते हैं-
धु्रव कुमार महंत, जिला रायगढ़
    माननीय मुख्यमंत्री जी। मैं धु्रव कुमार महंत, ग्राम देवगांव, विकासखण्ड बरमकेला, जिला रायगढ़ से बोल रहा हूं। आजकल अखबारों और टीवी चैनलों में छत्तीसगढ़ मॉडल की खूब चर्चा हो रही है। देश में छत्तीसगढ़ राज्य का नाम अच्छे कार्यों से दिखाई पड़ता है। दूसरे राज्यों में रहने वाले हमारे जान-पहचान के लोग भी हमसे इस बारे में चर्चा करते हैं और खुश होते हैं। इस तरह हमें आपके छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा से गौरव की अनुभूति होती है। कृपया हमें विस्तार से समझाने का कष्ट करें कि इस छत्तीसगढ़ मॉडल में कौन-कौन से क्षेत्र शामिल होते हैं।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    महंत जी, धन्यवाद। आपका सवाल बहुत अच्छा है।
–    छत्तीसगढ़ मॉडल वास्तव में सहभागिता, समन्वय, सर्वहित, अपनी विरासत का सम्मान करते हुए, सद्भाव के साथ मिल-जुलकर  आगे बढ़ने के विचार से प्रेरित है।
–    इसकी सबसे बड़ी बात है, एक-दूसरे का साथ, चाहे वह योजनाओं के रूप में हो या परस्पर सहयोग के रूप में।
–    उदाहरण के लिए जब हम गांव की बात करते हैं तो किसी एक विभाग या एक योजना की बात नहीं करते। ‘नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी, गोधन न्याय योजना से शुरुआत करते हुए मल्टीयूटीलिटी सेंटर, रूरल इंडस्ट्रियल पार्क और फूडपार्क तक पहुंच जाते हैं। इन सबका संबंध गांवों और जंगलों के संसाधनों से है। इनका संबंध खेती से भी, वनोपज से भी, परंपरागत कौशल और प्रसंस्करण की नई विधाओं से भी है।
–    वरिष्ठ सांसद राहुल गांधी जी ने कहा था कि हमें ऐसे तरीके ईजाद करने चाहिए, जिससे कमजोर तबकों पर कर्ज का बोझ न पड़े बल्कि उनकी जेब में पैसा जाए।
–    कमजोर तबकों को सशक्त करने की बात महात्मा गांधी, नेहरू जी, शास्त्री जी, डॉक्टर बाबा साहब अम्बेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल, इंदिरा जी, राजीव जी जैसे हमारे सभी महान नेता कहते थे।
–    हमने इसका मर्म पकड़ा और तीन सालों में 80 हजार करोड़ रू. से अधिक की राशि इन कमजोर तबकों की जेब में डाली।
–    यह राशि क्रय शक्ति बनी और लौटकर ऐसे बाजारों में आई जहां से लोगों ने जीवन स्तर उन्नयन के लिए खरीदी की। उन्होंने अपने काम-धंधे और जीवनयापन की जरूरतों की चीजें खरीदीं।
–    यह राशि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार की तैयारी और नए रोजगार के लिए पूंजी के रूप में भी फैली।
–    हमने छत्तीसगढ़ की परंपराओं और त्यौहारों का गौरव लौटाया, जिससे यह राशि पौनी-पसारी बाजारों से लेकर लोक कलाकारों, बुनकरों, शिल्पकारों की जेब मंे भी पहुंची।  
–    एक तो शासन की ओर से अनुदान और रियायतें दी गईं। दूसरी ओर लोगों ने अपना कारोबार किया। इस तरह स्वावलंबन के भाव से छत्तीसगढ़ के जनजीवन में एक नई ताजगी और ऊर्जा का संचार हुआ।
–    हमने अपने राज्य के संसाधनों के राज्य में ही वेल्यूएडीशन को लेकर जब ठोस ढंग से काम शुरू किया तो औद्योगिक विकास ने भी रफ्तार पकड़ी। तीन साल में 1 हजार 751 उद्योग लगे और 32 हजार 192 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला।
–    सरकार ने अपना खजाना बहुत बड़ी पूंजी वाली अधोसंरचना निर्माण के बदले, ऐसे कार्यों में सहयोग देने के लिए खोला, जिसमें बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन हो।
–    सरकारी तथा अर्द्धसरकारी कार्यालयों में बहुत से पदों पर तो 20 साल बाद स्थायी भर्ती की गई। जहां स्थायी भर्ती का प्रावधान नहीं था, वहां भी किसी न किसी तरह नौकरी दी गई, जिसे मिलाकर 4 लाख 67 हजार से अधिक नौकरियां दी गईं।
–    मनरेगा, स्व-सहायता समूहों, वन प्रबंधन जैसे अनेक क्षेत्रों को कन्वर्जेन्स के माध्यम से रोजगार के अवसरों से जोड़ा गया, जिसके कारण 50 लाख से अधिक लोगों की रोजी-रोटी का इंतजाम हुआ।
–    इस तरह हमने अपने महान संविधान द्वारा निरूपित, लोकतांत्रिक मूल्यों और कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को साकार किया।
–    शिक्षा के क्षेत्र में स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल योजना हो या प्रशासन के क्षेत्र में 72 तहसीलों, 7 अनुभागों तथा 5 जिलों के गठन की पहल, इन सबका उद्देश्य समाज के कमजोर तबकों को न्याय दिलाना ही है।
–    खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना हो, मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना हो या श्रमिकों तथा दिव्यांगजनों की आर्थिक मदद की योजनाएं, इन सबका उद्देश्य पीड़ित मानवता को खर्च और कर्ज के कुचक्र से बाहर रखना है।
–    इन सभी योजनाओं के हितग्राहियों की संख्या लाखों में और इन्हें मिली आर्थिक मदद की संख्या करोड़ों में है।
–    इस तरह हमारा छत्तीसगढ़ मॉडल, समावेशी विकास का ऐसा मॉडल है, जिसके मूल में सद्भाव, करुणा तथा सबकी भागीदारी है।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, आपके तीन साल के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ को लगातार तीन बार स्वच्छता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। आखिर यह कैसे संभव हुआ?
कमलेश मानिकपुरी, बिलासपुर
    साहेब बंदगी, मेरा नाम कमलेश मानिकपुरी है, बिलासपुर से बोल रहा हूं। माननीय मुख्यमंत्री जी 2018 के बाद आपने प्रदेश की नीतियों में ऐसा क्या बदलाव किया है, जिसके कारण इस बार छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक 67 नगरीय निकायों को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिला है और एक बार फिर छत्तीसगढ़ को देश के सबसे स्वच्छ राज्य के रूप में मान्यता मिली है। बधाई स्वीकार करने के साथ हमारी जिज्ञासा का जवाब देंगे तो हमें और अच्छा लगेगा।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    साहेब बंदगी कमलेश जी, सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहूंगा कि     स्वच्छता का राष्ट्रीय पुरस्कार वास्तव में सिर्फ मेरे और मेरी सरकार के लिए नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश के हर नागरिक के लिए है। इसके लिए आप सबको बधाई।
–    जहां तक आपकी जिज्ञासा का सवाल है तो वास्तव में आपने बहुत अच्छा सवाल किया है।
–    मेरा मानना है कि स्वच्छता हमारी संस्कृति और अस्मिता का अटूट अंग है।
–    हमारी योजनाओं और कार्यक्रमों में स्वच्छता को इस तरह शामिल किया गया कि व्यावहारिक तरीके से सफाई का काम आगे बढ़ा।
–    सुराजी गांव योजना-नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी के काम में अस्वच्छ तत्वों का ट्रीटमेंट वेल्यूएडीशन की तरह हुआ।
–    घुरुवा विकास का लाभ जैविक खाद बनाने के रूप में मिला।
–    गोधन न्याय योजना से स्वच्छता का काम गोबर के वेल्यूएडीशन के रूप में हुआ।
–    विभिन्न योजनाओं के कन्वर्जेन्स से कई विभाग स्वच्छता के काम से जोड़े गए।
–    स्वच्छता को हमने रोजगार से भी जोड़ दिया।
–    गौठानों में स्व-सहायता समूह की 70 हजार महिलाएं अपने रोजगार के लिए जोड़ी गईं, लेकिन उनका सीधा लाभ स्वच्छता में मिला।
–    स्वच्छता दीदियों का मानदेय बढ़ाकर उनका उत्साह बढ़ाया गया।
–    सफाई कर्मियों को सुरक्षा देकर हमने न सिर्फ सामाजिक न्याय की दिशा में कदम बढ़ाए बल्कि उनकी परंपरागत सेवाओं का सम्मान भी किया।
–    इस तरह से हमने स्वच्छता के लिए भागीदारी, रोजगार और बुनियादी अधोसंरचना विकास के घटकों का समावेश किया।
–    मुझे लगता है कि गोबर से लीपा-पोता हुआ ग्रामीण घर किसी भी वैज्ञानिक मापदण्ड में सबसे ज्यादा स्वच्छ और कीटाणु रहित माना जाता है।
–    मुझे विश्वास है कि जब हम अपने पुरखों के रास्ते पर चलते हैं और पुराने मूल्यों से छेड़खानी किए बगैर सुधार के साथ आगे बढ़ते हैं, तो हम सफलता के शिखर पर पहुंचते हैं।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने तीन वर्षों में गरीबों तथा कमजोर तबकों के लिए कुछ ऐसे प्रयास किए हैं जिनके बारे में पहले कभी सोचा नहीं गया था।
चन्द्रशेखर भारती, जिला रायपुर
    मैं चन्द्रशेखर भारती, ग्राम दोंदेकला, जिला रायपुर से बोल रहा हूं। भूपेश कका जय सतनाम। आपकी सरकार अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति और बहुत सी सुविधाएं बढ़ाकर हमें प्रेरणा दी है। जाति प्रमाण-पत्र देने की व्यवस्था का सरलीकरण भी किया गया। आपने गरीबों का जीवन आसान बनाने के लिए कई उपाय किए हैं। इसके लिए मैं आपका हृदय से आभारी हूं।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    जय सतनाम, चन्द्रशेखर जी।
–    नहीं बेटा, आपको आभार मानने की जरूरत नहीं है। यह तो हमारा कर्त्तव्य है, जो हम कर रहे हैं।
–    6 दिसम्बर को हमने बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस मनाया। 10 दिसम्बर को अमर शहीद वीर नारायण सिंह जी का बलिदान दिवस था और 18 दिसम्बर को गुरु बाबा घासीदास जी की जयंती है। मैं इन तीनों विभूतियों को सादर नमन करता हूं।    
–    मैं बताना चाहता हूं कि वीर नारायण सिंह जी ने गरीब व अकाल पीड़ित जनता को अनाज बांटा था और इसलिए अंग्रेजों ने उन्हें मृत्युदण्ड दिया था। शहीद वीर नारायण सिंह ने हमें अन्याय के खिलाफ लड़ना सिखाया था। वे हमारी सार्वभौम पीडीएस योजना के प्रेरणास्रोत हैं, जिसमें हमने 35 किलो चावल प्रदाय से लेकर कई वादे पूरे किए हैं।
–    इसी तरह गुरु बाबा घासीदास के अमर वचनों में मनखे-मनखे एक समान और विशेषकर नारी के सम्मान का समावेश है।
–    हमने मातृशक्ति को अधिकारों से नवाजा है ताकि उनका स्वावलंबन, उनके सम्मान का आधार बने। हमारी कोशिश रही है कि हमारी हर योजना नारी सशक्तीकरण के लिए हो।
–    जैसे महिला स्व-सहायता समूहों पर बरसों से बकाया ऋण की राशि माफ करना और उन्हें अधिक ऋण देने की व्यवस्था करना। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और स्वच्छता दीदियों का मानदेय बढ़ाना। दाई-दीदी क्लीनिक योजना हो या कुपोषण मुक्ति अभियान।
–    हाफ बिजली बिल, छोटे भूखण्डों  की खरीदी-बिक्री, जमीन की गाइडलाइन दरों में 30 प्रतिशत कमी, गरीबों को निःशुल्क बिजली आपूर्ति, राजीव आश्रय योजना जैसी हमारी योजनाएं वास्तव में गरीबी दूर करने से लेकर नारी सशक्तीकरण तक कई उद्देश्यों को पूरा करती हैं।
–    मुझे खुशी है कि विगत तीन वर्षों में हमने कमजोर तबकों को बराबरी के अवसर देकर गुरु बाबा घासीदास के मनखे-मनखे एक समान के संदेश को अंगीकार किया और उनके बताए रास्ते पर चलने में सफल रहे हैं।
–    आप सभी को क्रिसमस और नववर्ष 2022 की अग्रिम शुभकामनाएं।

एंकर
–    श्रोताओं, लोकवाणी का आगामी प्रसारण 9 जनवरी, 2022 को होगा, जिसमें माननीय मुख्यमंत्री ‘‘युवा सपने और छत्तीसगढ’’़ विषय पर चर्चा करेंगे। आप इस विषय पर अपने विचार सुझाव और सवाल दिनांक 28, 29 और 30 दिसम्बर, 2021 को दिन में 3 बजे से 4 बजे के बीच फोन करके रिकार्ड करा सकते हैं। फोन नम्बर इस प्रकार हैं। 0771-4003482, 4003483 और 4003484।
–    

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page