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Lockdown: आर्थिक संकट में फंसा दुनिया का सबसे धनवान तिरुपति बालाजी मंदिर, संपत्ति नीलाम करने की बनाई योजना

Tirupati Temple Trust to Auction Immovable Properties
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तिरुपति। तिरुपति बालाजी मंदिर का संचालन करने वाले तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी)  ट्रस्ट के मुताबिक कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से अभी तक मंदिर प्रबंधन को 400 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। प्रबंधन इस योजना पर काम कर रहा कि मंदिर के 8 टन सोने और 14,000 करोड़ की एफडी को छुए बिना किस तरह कर्मचारियों का वेतन दिया जाए।

तिरुमला तिरुपति देवस्‍थानम ने अपनी 50 अचल संपत्तियों को नीलाम करने की योजना बनाई है। यह संपत्तियां तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और उत्‍तराखंड के ऋषिकेश में हैं। टीटीडी बोर्ड के चेयरमैन वाईवी सुब्‍बा रेड्डी ने बताया कि नीलाम करने के लिए चिन्हित की गई संपत्तियों में छोटे घर, प्‍लॉट और कृषि जमीन शामिल है। उन्‍होंने बताया कि यह संपत्तियां श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर को कई दशक पहले दान में दी गई थीं। टीटीडी के लिए इनकी देखरेख करना मुश्किल हो रहा है और इनसे कोई आय भी नहीं हो रही है। इसलिए टीटीडी ने इनकी नीलामी करने की योजना बनाई है। रेड्डी के मुताबिक इस नीलामी से मंदिर प्रबंधन को लगभग 24 करोड़ रुपए का राजस्‍व प्राप्‍त होगा, जिसका इस्‍तेमाल कर्मचारियों को वेतन देने व अन्‍य कार्यों में किया जाएगा।

सामान्‍य दिनों में मंदिर में 60 से 80 हजार और उत्‍सव के दिनों में प्रतिदिन 1 लाख श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। तिरुमला तिरुपति देवस्‍थान ट्रस्ट का मंदिर के प्रबंधन और संचालन के लिए सालाना 2500 करोड़ का बजट है।

हर महीने मंदिर की आय 200 से 220 करोड़ रुपए है लेकिन लॉकडाउन के चलते पिछले तकरीबन 2 महीने से बंद होने की वजह से मंदिर को काई आय नहीं हुई है। वित्‍त वर्ष 2020-21 के लिए टीटीडी ने 3309.89 करोड़ का बजट तय किया है लेकिन मार्च में लॉक डाउन के चलते मंदिर बंद हो जाने के बाद दान के रूप में मिलने वाली राशि, जो कि 150 से 175 करोड़ रुपए है, का नुकसान हुआ है। इसके अलावा स्पेशल सेवा टिकिट, स्पेशल दर्शन टिकिट, प्रसाद और गेस्ट हाउस भी मंदिर की बड़ी आय का स्त्रोत हैं, लेकिन लॉक डाउन के चलते इनसे होने वाली आय भी लगभग शून्य हो गई है।

इस मंदिर में बाल चढ़ाने की परंपरा है और बालों की नीलामी से भी मंदिर प्रबंधन को सालाना 400 करोड़ की आय होती है। हज़ारों कर्मचारियों की सैलेरी और दूसरे खर्च में सालाना 1385.09 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। टीटीडी को हर महीने अपने कर्मचारियों के वेतन पर 120 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं। लॉकडाउन के समय आमदनी कुछ नहीं है लेकिन खर्च उतना ही है। इसके अलावा टीटीडी की ओर से चलाए जा रहे मुफ्त हॉस्पिटल्स के लिए सालाना 400 करोड़ का ग्रांट देना पड़ता है।

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