Lockdown अवधि से मिला लाभ संभवत: Unlock से खत्म हो गया: जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ


Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE (PTI)
बेंगलुरु: कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में लॉकडाउन अवधि से मिला लाभ संभवत: अनलॉक से खत्म हो गया। यह बात एक जन स्वास्थ्य देखभाल विशेषज्ञ ने बुधवार को कही और साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी की रक्षा करने का आह्वान किया जो संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी की संभावित स्थिति को लेकर तैयार नहीं हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक हेल्थ, हैदराबाद, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन आफ इंडिया के प्रोफेसर वी रमण धर ने कहा कि अनलॉक होने से अनुशासन का पालन नहीं करने की पुरानी बुरी आदतें वापस आ गई हैं। ये बुरी आदतें एकदूसरे से दूरी नहीं बनाने और ठीक तरह से मास्क का इस्तेमाल नहीं करने को लेकर हैं।
रमण धर ने कहा, ‘‘ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवासी मज़दूरों को उनके घरों के करीब पृथक किया जाना चाहिए। दुर्भाग्य से, वहां मामलों की बढोतरी होने की स्थिति के लिए जांच और चिकित्सा देखभाल की पर्याप्त सुविधा नहीं है।’’ सरकार द्वारा कोरोना वायरस से लॉकडाउन और वर्तमान के अनलॉक के संदर्भ में निपटने के संबंध में उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों की प्रतिक्रिया में निरंतरता की कमी ने देश में कमजोर सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे पर प्रकाश डाला। रमण ने दावा किया कि लॉकडाउन से हुआ लाभ संभवतः अब अनलॉक से खत्म हो गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि बुधवार सुबह आठ बजे तक 24 घंटे की अवधि में कोविड-19 से 279 लोगों की मौत हुई जिससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 7,745 जबकि 9,985 नए मामले सामने आने से देश में कुल मामले बढ़कर 2,76,583 हो गए। यह पूछे जाने पर कि उनकी इसको लेकर क्या उम्मीद है कि भारत में मामले कब शीर्ष पर होंगे, अमेरिका में अटलांटा स्थित सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन में पूर्व मेडिकल डायरेक्टर आफ द आक्यूपेशनल हेल्थ क्लीनिक्स रमण धर ने कहा, ‘‘यह पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है। हम इसके पार करने के बाद ही यह बता पाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि भारत में लोगों में बीमारी के प्रसार का सही पता लगाने के लिए आक्रामक रूप से जांच करना जारी रखना होगा।
यह पूछे जाने पर कि भारत किस तरह से होने वाली मौतों की दर को नीचे रख सकता है, उन्होंने कहा कि संक्रमितों के सम्पर्क में आए लोगों का पता लगाकर, संक्रमितों को पृथक करके, संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आए लोगों को पृथक करके और गंभीर रूप से प्रभावित मरीजों की देखभाल के लिए अस्पतालों को तैयार रखकर ही ऐसा किया जा सकता है।