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गोबर से खाद बनाकर समूह बनी लखपति, महिलाओं ने खरीदी छुमका, बिछिया और मंगलसूत्र

गोबर से खाद बनाकर समूह बनी लखपति, महिलाओं ने खरीदी छुमका, बिछिया और मंगलसूत्र

वर्मी कम्पोस्ट निर्माण, सुपर कम्पोस्ट निर्माण और वर्मी उत्पादन से समूह की महिलाओं को 9 लाख 59 हजार 560 रूपए की प्राप्त हुई आय

स्व. सहायता समूह की महिलाएं लो-कास्ट तकनीक से कर रही वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण

AP न्यूज़ : 10 मई 2022। शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। एक ओर महिलाएं आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से सशक्त हो रही है वहीं दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर रोजगार प्राप्त कर रही है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मंशानुरूप गांव के घरों में रहने वाली महिलाएं अब गोधन न्याय योजना से जुड़कर गौठानों में आर्थिक गतिविधियां कर रही है। जिसका प्रत्यक्ष उदाहारण कबीरधाम जिले के विकासखंड सहसपुर लोहारा ग्राम बिरेन्द्र नगर में स्थित आर्दश गौठान की संस्कार आत्मा स्व. सहायता समूह की महिलाएं हैं। जहां गौठानों में विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से आत्मनिर्भर बनी है। इस स्व. सहायता समूह में 10 महिलाएं कार्य कर रही है। जो गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट निर्माण, सुपर कम्पोस्ट निर्माण और वर्मी उत्पादन का कार्य कर रही है। इसके विक्रय से उन्हें आय प्राप्त हो रही है। समूह की महिलाओं ने अब तक 9 लाख 59 हजार 560 रूपए की आय प्राप्त कर चुकी है। संस्कार आत्मा स्व. सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती हेमलता कौशल ने बताया कि अब तक 486 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का विक्रय किया गया है। जिससे 4 लाख 73 हजार 300 रूपए के आय प्राप्त हो चुकी है। वहीं 227 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट के विक्रय से 1 लाख 36 हजार 260 रूपए और 14 क्विंटल वर्मी के विक्रय से 3 लाख 50 हजार की आमदनी हुई है।
संस्कार आत्मा स्व. सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि शासन की गोधन न्याय योजना महिलओं के लिए आय का जरिया बना है। इससे प्राप्त आय से अब बच्चों की पढ़ाई, घर की मरम्मत, विवाह कार्य, घर निर्माण के कार्यो में सहायता मिली है। इससे जीवन की अत्यावश्यक जरूरते तो पूरी हुई है साथ ही अपने इच्छाओं को भी पूरा कर पाएं है। उन्होनें बताया कि प्राप्त आय से सोने का मंगलसूत्र, नेकलेस, छुमका, नथली, चांदी की बिछिया इत्यादी आभूषण की खरीदी की है। वहीं समूह के दो सदस्यों द्वारा स्मार्ट फोन क्रय किया गया है इसके साथ ही इस राशि का उपयोग आधुनिक तकनीक से खेती करने में लगने वाले व्यय में भी किया है। समूह की महिलाओं ने बताया कि कोविड 19 कोराना माहमारी जैसे संकट की घड़ी में भी सुराजी गांव योजना ने हम सब के लिए संजीवनी की तरह काम कर रही है, जिससे हमे लगातार रोजगार मिल रही है। शासन की गोधन न्याय योजनाओं से समूह के सभी महिलाओं को रोजगार प्राप्त हुए। महिलाओं ने कहा कि ऐसी धरातलीय योजना शासन स्तर से बनते रहना चाहिए, जिससे ग्रामीण स्तर से जुड़ी महिलाओं को रोजगार के अवसर निरंतर मिलते रहे।

शासन की योजनाओं से कार्यो की क्रियान्वयन में मिली सहायता

शासन की एक्सटेंशन रिफार्म्स (आत्मा) योजना अंतर्गत प्रशिक्षण, भ्रमण और तकनीकि मार्गदर्शन कराया गया। इसके अंतर्गत रिवाल्विंग फंड राशि, उत्कृष्ठ कृषक समूह पुरूस्कार राशि प्राप्त हुई, जिसका उपयोग ईट युक्त स्थाई संरचना बनाने, वेस्ट डिकम्पोजर बनाने एवं केचुआ क्रय करने, खाद छनाई मशीन तथा गौठान में आवश्यक समाग्री क्रय करने के लिए किया गया।

स्व. सहायता समूह की महिलाएं लो-कास्ट तकनीक से कर रही वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण

संस्कार आत्मा स्व. सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि कृषि विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन से 8 ईंट युक्त अस्थायी लो-कास्ट तकनीक से वर्मी बेड (टांका) तैयार किया गया है, प्रति बेड 40 क्विंटल गोबर उपयोग किया गया। जिसमें लगातार परत दर परत वेस्ट डि-कम्पोजर का छिड़काव कर गोबर सड़ने के 11 दिनों पश्चात् केचुआ डाले गए। इसके 20 दिनों के पश्चात् वर्मी कम्पोस्ट (केचुआ खाद) प्रथम लेयर के रूप में तैयार हुआ। इस प्रकार कुल 50 से 60 दिनों में 16 क्विंटल, प्रति बेड वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया गया। उन्होंने बताया कि लो-कास्ट तकनीकी का उपयोग राज्य स्तर में प्रथम बार किया गया। इस तकनीक को अपनाने से श्रम की बचत हुई एवं कम समय में अधिक लाभ हुआ। जिसे जिले के अन्य गौठानों मे भी अपनाया गया। लो-कास्ट तकनीकी का प्रशिक्षण प्राप्त करने राज्य स्तर, जिला स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों एवं महिला समूहों द्वारा भ्रमण किया गया तथा इस तकनीक को राज्य के अन्य जिलों में भी अपनाकर अधिक लाभ प्राप्त कर रहे है।

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