ChhattisgarhRaipur

LAC पर तनातनी के बीच सीमा पर तैनात जवानों का होगा सम्मान, 24वी सिंधु दर्शन यात्रा के लिए जत्था होगा रवाना

रायपुर : छत्तीसगढ़ के हिमालय परिवार एवं सिंधु दर्शन यात्रा के प्रमुख साकेत मिश्रा एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं स्थित सिंधु भवन के ट्रस्टी अमर परवानी ने बताया की भारत और चीन के बीच एलएसी पर चल रही तनातनी के बीच सैनिकों का हौसला बढ़ाने के लिए 24 वी सिंधु दर्शन यात्रा के सभी यात्री लद्दाख में सैनिकों के कैंप में पहुंचकर उनसे मुलाकात कर उन्हें उपहारों के साथ यह संदेश देंगे की देश को सेना के बलिदान शौर्य पर गर्व है साथ ही पूरा देश उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा है।

इसके बाद लद्दाख से सीमा की ओर आम जनों का मार्च पास्ट किया जाएगा हालांकि इस बार इस यात्रा का स्वरूप छोटा किया गया है एवं सिर्फ हिमालय परिवार के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को ही आमंत्रित किया गया है 24वा सिंधु दर्शन उत्सव जम्मू कश्मीर के लेह लद्दाख में सिंधु दर्शन यात्रा समिति द्वारा गत वर्षो की भांति इस वर्ष भी 23 से 26 जून 2020 तक होने जा रहा था पर इस वर्ष करोना महामारी के चलते देशभर के कुछ चुनिंदा कार्यकर्ताओं व तीर्थ यात्रियों के साथ आगामी 1 से 5 अक्टूबर तक लेह में कोरोना नियमों के तहत आयोजित किया जा रहा है 24 वी सिंधु दर्शन यात्रा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य व सिंधु दर्शन यात्रा के संयोजक व मुख्य प्रेरक इंद्रेश कुमार के संयोजन वह हिमालय परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष हवाई यात्रा समिति के संरक्षक पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्र आनंद गिरि महाराज वाह यात्रा समिति के संरक्षक वह शब्द आणि तीर्थ रायपुर के नवम पीठाधीश्वर डॉक्टर संत युधिष्ठिर लाल महाराज के पावन सानिध्य में तथा समिति के ही संरक्षक वाह ले लद्दाख से लोकसभा में सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल के विशेष आतिथ्य में संपन्न होगी 24 में सिंधु दर्शन यात्रा में भी हर वर्ष की भांति सिंधु नदी का पूजन होगा

जिसमें सिंधी पद्धति से बहराना पूजन सनातन हिंदू संस्कृति से हवन यज्ञ एवं बौद्ध पद्धति से पूजन किया जाएगा इस वर्ष विशेष रूप से लद्दाख में सैनिकों से मुलाकात होगी सभी को वहां पर मिठाईयां एवं उपहार दिए जाएंगे साथ ही सीमा की और कूच किया जाएगा उल्लेखनीय है कि भारतीय संस्कृति का अभ्युदय एवं विश्व में भारत की पहचान महान सिंधु सभ्यता से है उसी महान सिंधु सभ्यता का प्रतीक सिंधु नदी कैलाश मानसरोवर से निकलकर लेह में प्रवेश करती है ऐसे सामरिक महत्व वाले ले जिसे ठंडा रेगिस्तान भी कहा जाता है इसके प्राकृतिक मनोहरी दृश्य शरीर के साथ-साथ मन को भी प्रफुल्लित करते हैं तो ऐसा कहा जा सकता है कि यह सिंधु दर्शन यात्रा का यह उत्सव राष्ट्रीय महत्त्व वह अपने पूर्वजों की स्मृति दिलाने वाली नदी के दर्शन व प्रकृति का सौंदर्य लेने वाला उत्सव है।

सन 1997 से ही बड़ी संख्या में तीर्थयात्री लेह में होने वाले आयोजित सिंधु दर्शन उत्सव में भाग लेता आया है वह पवित्र सिंधु नदी में डुबकी लगाकर स्वयं से अपने पूर्वजों को तृप्त करता आया है ले में इतनी ऊंचाई पर सिंधु दर्शन यात्रा समिति समिति के तत्वाधान में निर्मित सिंधु भवन में इस दुर्गम क्षेत्र के निवासियों के लिए शिक्षा समेत अनेक सेवा के कार्य चल रहे हैं जिनमें सर्व शिक्षा अभियान वाह कौशल विकास जैसे कार्यक्रम सफलतापूर्वक हो रहे हैं वह इन में भाग लेने वाले लेह के बच्चों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपना नाम दर्ज करवाया है सन 2021 में सिंधु दर्शन यात्रा समिति द्वारा 25 वा सिंधु दर्शन उत्सव लेह लद्दाख में सिंधु महाकुंभ के रूप में मनाने जा रही है जिसमें पूरे भारत के अलावा विश्व से लगभग 50,000 तीर्थ यात्रियों के भाग लेने की संभावना है यह एक ऐसा महाकुंभ होगा जो गंगा नदी के किनारे नहीं बल्कि सिंधु नदी के किनारे आयोजित होगा इस बार की यात्रा में चुनिंदा तीर्थ यात्रियों के रूप में ज्यादातर समिति से जुड़े वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं जो वहां 2021 में होने वाले पहले सिंधु महाकुंभ के सफल आयोजन का संकल्प भी लेंगे ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page