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कवर्धा: ट्रैफिक व्यवस्था चौपट; हर चौक बाजार में जाम जैसे हालात, प्रशासन का ध्यान नहीं,शहर में कई जगहों पर प्रतिदिन करना पड़ता है जाम का सामना।

कवर्धा: ट्रैफिक व्यवस्था चौपट; हर चौक बाजार में जाम जैसे हालात, प्रशासन का ध्यान नहीं,शहर में कई जगहों पर प्रतिदिन करना पड़ता है जाम का सामना।

कोरोना बंदी हटने के साथ ही शहर के ट्रैफिक जाम की व्यवस्था ने विकराल रूप धारण कर लिया है। हर दिन लगने वाला जाम न सिर्फ लोगों के लिए मुसीबत बन गया बल्कि व्यापार की दृष्टि से भी यह जाम अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है। बाजार में अतिक्रमण की बढ़ती जड़ का आलम यह है कि प्रमुख चौराहों से लेकर चौड़ी सड़कों और गलियों तक में जाम की भीषण स्थिति है। त्योहारी सीजन में यह जाम और भी अधिक लोगों को परेशान कर रहा है। फुटपाथ पर सजी दुकानें और ट्रैफिक सिस्टम की बिगड़ी चाल ने लोगों को बाजार जाने से रोक दिया है।

शहर में ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है। हर रोज, हर चौक बाजार में रूक-रूक कर दिन भर में घंटो तक जाम की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में कैसे ट्रैफिक व्यवस्था दुरूस्त होने की क्या आशा की जा सकती है।

कवर्धा शहर के बाजारों में जल्दी निकालने के चक्कर में छोटे वाहन भारी वाहन जाम की स्थिति पैदा कर रहे हैं। इसके अलावा शहर में अतिक्रमण दुकानों के आगे खड़े अव्यवस्थित वाहन भी जाम का मुख्य कारण हैं। नगर पालिका के पास नगर को जाम मुक्त करने को लेकर योजना भी है और पैसा भी परंतु योजना को कार्यरूप देने में चल रही देरी के चलते आने वाले दिनों में भी लोगों को जाम में ही बहाना पड़ेगा।

शहर में कई जगहों पर प्रतिदिन करना पड़ता है जाम का सामना

स्थानीय प्रशासन नगरपालिका की सुस्त कार्यप्रणाली के चलते लोगों को घंटों अपना कीमती समय जाम में बिताना पड़ रहा है। इससे आमजन परेशान है परंतु प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। शनिवार को शहर के राजमहल चौक, नवीन बाजार,सराफा सहित अन्य चौराहों पर घंटों जाम की स्थिति बनी रही, जिसके चलते लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

बाजारों की चौड़ाई कम, तेजी से वाहनों की संख्या बढ़ी

समय के अनुसार शहर का विकास हुआ जनसंख्या भी बढ़ी हैं परंतु शहर में लगने वाले बाजारों की चौड़ाई अतिक्रमण के चलते पहले से काफी कम हो गई है जबकि प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में नए वाहन सड़कों पर बढ़ रहे हैं। इस स्थिति से निपटने को लेकर स्थानीय प्रशासन पालिका प्रशासन के पास कोई ठोस नीति नहीं हैं, जिस कारण बाजारों में दिनभर में रूक-रूक कर घंटों जाम की स्थिति बनी रहती है, जो केवल आम राहगीर अपितु सभी के लिए परेशानी का कारण है। इस समस्या को लेकर स्थानीय प्रशासन पालिका प्रशासन से यही सुनने को मिलता है शीघ्र ही समाधान होगा, अतिक्रमण हटवाए जाएंगे, सड़कों पर खड़े रहने वाले अव्यवस्थित वाहनों के चालान किए जाएंगे परंतु धरातल पर प्रशासन के सभी दावे आज तक खोखले साबित हुए हैं। नगर पालिका प्रशासन ने जरूर अतिक्रमण हटाने को लेकर कुछ प्रयास किए परंतु वे भी बेअसर रहे। भारी वाहनों पर रोक लगाने को लेकर प्रशासन द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।शहर के प्रमुख बाजार में लोग जहां जाम से घंटों जूझते रहे जबकि ट्रैफिक पुलिस पूरी तरीके से बेखबर बनी रही। लंबे समय से शहर के ट्रैफिक सिस्टम में बदलाव की मांग की जा रही है लेकिन इसके बावजूद न तो पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने इस पर ध्यान दिया और न ही नगर पालिका की ओर से इस प्रबंधन को पूरा करने की जिम्मेदारी निभाई गई।

संकरी सड़कों पर वाहनों के पार्किंग से भी लगता है जाम

कवर्धा शहर की प्रमुख सड़कों पर जाम लगाने की पहली वजह तो बड़ी संख्या में वाहनों का परिचालन ही है. सड़कों के किनारे अतिक्रमण और वाहनों की बेतरतीब पार्किंग भी जाम की वजह बनते हैं. इसके अलावा समय-समय पर होनेवाले धरना-प्रदर्शन और जुलूस के कारण भी शहर की सड़कें जाम हो जाती हैं. कई जगहों पर जब हल्का-फुल्का जाम लगने पर लोग जल्दी आगे निकलने के चक्कर में अपने वाहन आड़े-तिरछे कर देते हैं, तो जाम और भी लंबा हो जाता है. यानी जिलेवासियों में यातायात नियमों के प्रति जागरूकता नहीं है, जिसकी वजह से बाद में उन्हें ही परेशानी झेलनी पड़ती है.

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