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कवर्धा : अधूरी पड़ी जल टंकियां..टंकियों में रिसाव व दरार..घटिया निर्माण सामग्री..अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध..ग्रामीणों को अब भी नहीं मिल रहा पेयजल

कवर्धा : अधूरी पड़ी जल टंकियां..टंकियों में रिसाव व दरार..घटिया निर्माण सामग्री..अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध..ग्रामीणों को अब भी नहीं मिल रहा पेयजल

टीकम निर्मलकर AP न्यूज़ पंडरिया : कवर्धा।केंद्र सरकार की महत्त्वाकांक्षी जल जीवन मिशन योजना कबीरधाम जिले में अपनी दिशा से भटक गई है। जिले के बोड़ला और पंडरिया विकासखंड के अनेक गांवों में लाखों की लागत से बनाई गई पानी की टंकियां अब उपयोग से बाहर पड़ी हैं। कहीं अधूरे निर्माण के कारण तो कहीं घटिया गुणवत्ता की वजह से ग्रामीणों को एक बूंद पानी भी मयस्सर नहीं हो पा रही है।ग्राम पंचायतों में बनी इन जल टंकियों का निर्माण कार्य या तो अधूरा है, या फिर जिस स्थान पर निर्माण पूरा भी हुआ है, वहां टंकियों में रिसाव शुरू हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि ये टंकियां सालों से बनी हुई हैं, लेकिन आज तक उनसे पानी की आपूर्ति नहीं हो सकी है।

घटिया निर्माण से रिसाव शुरू,टंकियों में रिसाव व दरार
कई पंचायतों में बनी टंकियों से 6 महीने से लेकर 1 साल के भीतर ही रिसाव शुरू हो गया है। निर्माण कार्य में गुणवत्ता का गंभीर अभाव देखने को मिला है। कहीं टंकियों की बाउंड्री वॉल में दरारें हैं, तो कहीं पर प्रतिबंधित लाल ईंटों का इस्तेमाल किया गया है, जो न्यायालय की अवमानना के दायरे में आता है।

ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से पनप रहा भ्रष्टाचार
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदारों ने बिना किसी निगरानी और तकनीकी गुणवत्ता के टंकियों का निर्माण कार्य पूरा किया और भुगतान भी ले लिया। वहीं, संबंधित तकनीकी अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। निर्माण कार्यों में भारी अनियमितता के बावजूद न तो जांच हुई और न ही कोई कार्रवाई।

कानूनी कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ छत्तीसगढ़ सिविल सेवा अधिनियम के अंतर्गत जांच कर कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि ऐसी लापरवाहियों और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके।
सरकारी उदासीनता से नाराज़ ग्रामीण, अधूरी पड़ी जल टंकियां
गांवों में गर्मी के मौसम में पानी की विकराल समस्या उत्पन्न हो गई है। लोग दूर-दराज के हैंडपंप और नदी-नालों से पानी लाने को मजबूर हैं, जबकि करोड़ों रुपए की लागत से बनी जल टंकियां शोपीस बनकर खड़ी हैं।


सरकार द्वारा संचालित “हर घर नल से जल” योजना यदि ज़मीनी स्तर पर सफल नहीं हो रही है, तो इसका कारण केवल योजनाओं का ढीला क्रियान्वयन और प्रशासनिक उदासीनता है।
“बोड़ला-पंडरिया: जलजीवन मिशन में धांधली के मुख्य बिंदु”
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