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कवर्धा:स्थानीय टैलेंट, स्थानीय युवा और स्थानीय संसाधनों के उपयोग से तैयार हुआ विकास का छत्तीसगढ़ मॉडलः भूपेश बघेल

स्थानीय टैलेंट, स्थानीय युवा और स्थानीय संसाधनों के उपयोग से तैयार हुआ विकास का छत्तीसगढ़ मॉडलः श्री भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने लोकवाणी कार्यक्रम में कबीरधाम जिले में डीएमएफ की राशि से हो रहे रोजगार मूलक और सार्वजनिक हित के कार्यो की प्रशंसा की।

मुख्यमंत्री ने कहा – कबीरधाम जिले के शिक्षित युवाओं को शाला संगवारी, द्वितीय एएनएम के रूप में रोजगार दिया जा रहा है, वनांचल क्षेत्रों के लिए बाइक एम्बुलेंस वरदान साबित हो रही है।

स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करने में जिला प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका

‘जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह‘ पर की बात

कवर्धा, 10 अक्टूबर 2021। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि स्थानीय टैलेंट, स्थानीय युवा और स्थानीय संसाधनों के उपयोग से हम विकास के छत्तीसगढ़ मॉडल को और ज्यादा विस्तार देंगे। इससे छत्तीसगढ़ का हर क्षेत्र समृद्ध और खुशहाल होगा। मुख्यमंत्री आज प्रसारित मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की 22 वीं कड़ी में जनता से ‘जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह‘ विषय पर बातचीत कर रहे थे। इस विषय पर यह लोकवाणी की दूसरी कड़ी है। मुख्यमंत्री की मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी का प्रसारण आज आकाशवाणी के सभी केन्द्रों, एफ.एम. रेडियो और क्षेत्रीय समाचार चैनलों में किया गया। कवर्धा के नगर पालिका में लोकवाणी कार्यक्रम को सुनने के लिए नगर पालिका अध्यक्ष श्री ऋषि शर्मा, पार्षद श्री संतोष यादव, सुनील साहू, वर्षा रानी ठाकुर सहित समस्त पार्षदगण और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

डीएमएफ मद के सदुपयोग के चमत्कारिक नतीजेलोकवाणी कार्यक्रम में कबीरधाम जिले के श्री बंसत यादव ने डीएमएफ मद से किए जा रहे कार्यो की सफलता के बारे में मुख्यमंत्री से जानना चाहा। उन्होंने बताया कि कबीरधाम जिले में डीएमएफ मद से शिक्षित युवाओं को शाला संगवारी के रूप में रोजगार दिया जा रहा है। बाइक एम्बुलेंस तथा सुपोषण अभियान जैसे कामों में मदद की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि डीएमएफ की राशि वास्तव में उन क्षेत्रों की अमानत है, जहां खनन गतिविधियों के कारण पर्यावरण, स्वास्थ्य, रोजगार, शिक्षण, पोषण आदि गतिविधियों पर असर पड़ता है। श्री भूपेश बघेल ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने डीएमएफ की राशि के उपयोग के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए, जिससे इस राशि का उपयोग वास्तव में खनन प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के विकास में, पुनर्वास में हो सके। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि इस मद की राशि से कबीरधाम जिले में 100 से अधिक शिक्षित युवाओं को शाला संगवारी के रूप में रोजगार दिया जा रहा है। ग्रामीण और वन क्षेत्रों में संचालित स्वास्थ्य केन्द्रों में द्वितीय एएनएम के रूप में 80 से अधिक स्थानीय युवाओं को रोजगार दिया जा रहा है। साथ ही डीएमएफ के माध्यम से बड़ी राशि अधोसंरचना विकास के लिए दी गई है। जिला अस्पताल को अपग्रेड किया जा रहा है। विशेषज्ञ चिकित्सकों और हेल्थ स्टाफ की नियुक्ति की गई है। वन क्षेत्रों में बाईक एम्बुलेंस गंभीर रूप से बीमार लोगों के लिए संजीवनी साबित हो रही है। कबीरधाम जिले में मातृत्व स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत सुरक्षित संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए मोटर बाइक एम्बुलेंस सेवा संचालित हो रही है। वन क्षेत्रों-जैसे दलदली, बोक्करखार, झलमला, कुकदूर, छीरपानी में इसका अच्छा असर हुआ है। इससे 2 हजार से अधिक गर्भवती माताओं को संस्थागत प्रसव कराने और उन्हें सुरक्षित घर छोड़ने में मदद मिली है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान में डीएमएफ की राशि का उपयोग काफी कारगर साबित हुआ है। कुपोषित बच्चों को अतिरिक्त पौष्टिक आहार अंडा और केला देने की शुरुआत की गई। 1 से 3 वर्ष के बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों में गर्म भोजन दिया जा रहा है। जिले में 2019 के वजन तिहार के मुकाबले, वर्ष 2021 में कुपोषण की दर 19.56 प्रतिशत से घटकर 13 प्रतिशत हो गई है। यह एक बड़ी उपलब्धि है। ऐसी ही रिपोर्ट हर जिले से मिल रही है। जिसके कारण प्रदेश में कुपोषित बच्चों की संख्या में 32 प्रतिशत की कमी आई है। हमें नई सोच और नए उपायों से छत्तीसगढ़ को पूर्णतः कुपोषण मुक्त राज्य बनाना है। श्री बघेल ने कहा कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करने में जिला प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डीएमएफ एवं मनरेगा से इसमें काफी मदद की जा सकती है। स्थानीय मौसम, मिट्टी और विशेषता को देखते हुए जिस तरह बीजापुर में मिर्ची की खेती का सपना साकार हो रहा है। वैसे ही अन्य जिलों में भी वहां की विशेषता के अनुसार बहुत से काम हो रहे हैं और इसमें बहुत बढ़ोत्तरी करने की संभावना है। जिला प्रशासन की पहल से अब जशपुर जिले में असम की तरह चाय के बागान दिखने लगे हैं। अबूझमाड़ में लोगों को शासन की योजनाओं का लाभ मिल सके इसके लिए गांवों का सर्वे कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी भाषा में अपने उद्बोधन की शुरूआत करते हुए प्रदेशवासियों को नवरात्रि, दशहरा, करवा चौथ, देवारी, गौरा-गौरी पूजा, मातर, गोवर्धन पूजा, छठ पर्व, भाई-दूज आदि त्यौहारों की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के चारों कोनो में देवी माई के बड़े-बड़े मंदिर है। दंतेवाड़ा में दंतेश्वरी दाई, डोंगरगढ़ में बम्लेश्वरी दाई, रतनपुर में महामाया दाई, चंद्रपुर में चंद्रहासिनी दाई बिराजी हैं। नारी शक्ति के रूप में हम बेटियों की पूजा करते हैं और हमारे यहां कन्या भोज कराने की भी परंपरा है। उन्होंने कहा कि बेटियों और नारियों के प्रति सम्मान भाव के कारण हमारे यहां वर्ष में दो बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। बेटियों और नारियों के प्रति सम्मान का यह भाव हमें पूरी जिंदगी निभाना है। यहीं सही मायने में छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा है। हमें अपनी परंपरा और संस्कृति की शिक्षा से अपने जीवन में उतारना है। राज्य सरकार ने दाई-दीदी के अधिकार और उनके मान-सम्मान को बढ़ाने का प्रयास किया है।

नरवा योजना में 30 हजार नालों में होंगे जल संरक्षण और संवर्धन के कार्यमुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की नरवा योजना के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि नरवा योजना के तहत प्रदेश के 30 हजार नालों में जल संरक्षण और संवर्धन का कार्य करने की शुरूआत की गई है। जिससे किसानों को पानी की चिंता से छुटकारा मिले। लोकवाणी में कोरबा जिले के ग्राम लबेद के श्री टीकाराम राठिया ने बताया था कि उनके गांव के नाले पर बने बांध से अब लगभग साढ़े तीन सौ एकड़ में किसान धान और साग-सब्जी की खेती कर रहे हैं। श्री बघेल ने कहा कि लबेद गांव में 25 साल पहले मिट्टी का बांध बनाकर पानी रोका गया था। जिला प्रशासन ने अच्छी पहल करते हुए 2 करोड़ 34 लाख रूपए की लागत से इस बांध का वैज्ञानिक ढंग से पुनरोद्धार और नवनिर्माण का कार्य कराया, जिससे इस बांध की सिंचाई क्षमता दोगुनी हो गई है। पहले जहां 210 एकड़ में पानी पहुंच पाता था, अब 419 एकड़ तक पानी पहुंच रहा है। लबेद और गिद्धकुंवारी के लोगों को इसका लाभ मिलने लगा है। इस बांध से लगी 800 मीटर की अंडर ग्राउंड नगर बनाई गई है। जिससे पानी अंतिम छोर तक पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि लबेद जलाशय परियोजना की सफलता से अन्य जिलों के लोगों को प्रेरणा मिलेगी।

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