कवर्धा : एंबुलेंस नहीं जान खतरा मे डालने वाली वाहने.. वाहन बिना मेंटेनेंस के दौड़ रही है सड़को पे… विभाग मौन कही कमीशन तो नहीं

कवर्धा : एंबुलेंस नहीं जान खतरा मे डालने वाली वाहने.. वाहन बिना मेंटेनेंस के दौड़ रही है सड़को पे… विभाग मौन कही कमीशन तो नहीं

टीकम निर्मलकर AP न्यूज़ कवर्धा : कबीरधाम जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत डराने वाली है। यहां लोगों की जिंदगी ऐसे वाहनों के हवाले कर दी गई है, जिन्हें देखकर कोई भी हैरान रह जाएगा। पुराने, जर्जर और तकनीकी रूप से अनुपयुक्त वेन और इको वाहनों को ‘एंबुलेंस’ का नाम देकर सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है वो भी बिना किसी फिटनेस जांच और जरूरी जीवनरक्षक सुविधाओं के।
फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं, न उपकरण – फिर भी दौड़ रही ‘एंबुलेंस’
सूत्रों के मुताबिक, इन फर्जी एंबुलेंस में से कई के पास फिटनेस प्रमाण पत्र तक नहीं है। कई वाहन 10 साल से भी पुराने हैं। इमरजेंसी के वक्त इनकी तकनीकी खामियां कभी भी किसी जानलेवा हादसे का कारण बन सकती हैं।
एंबुलेंस के मानकों की खुली अवहेलना
राष्ट्रीय एंबुलेंस नीति के मुताबिक, हर एंबुलेंस में प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ, ऑक्सीजन सिलेंडर, स्ट्रेचर, GPS ट्रैकिंग और साफ-सुथरे इंटीरियर जैसी सुविधाएं अनिवार्य हैं। लेकिन कबीरधाम में संचालित इन तथाकथित एंबुलेंस में से अधिकांश सिर्फ नाम की हैं – न जीवन रक्षक उपकरण हैं, न ही न्यूनतम मानकों का पालन।
शिकायतों के बावजूद चुप्पी – जिम्मेदार कौन?
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने परिवहन और स्वास्थ्य विभाग को कई बार शिकायतें दी हैं। बावजूद इसके अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। जिससे यह सवाल उठता है – क्या यह लापरवाही है या किसी स्तर पर मिलीभगत?
जनता की मांग – हो कार्रवाई, बंद हो जान से खिलवाड़।
जिले के जागरूक नागरिकों ने प्रशासन से मांग की है कि:
सभी एंबुलेंस का तत्काल फिटनेस परीक्षण कराया जाए।
मानकों पर खरे न उतरने वाले वाहनों को जब्त कर कार्रवाई हो।
सभी एंबुलेंस में GPS सिस्टम अनिवार्य किया जाए।
निष्क्रिय प्रशासन या व्यवस्थागत विफलता?
कबीरधाम में एंबुलेंस सेवा के नाम पर जो हो रहा है, वह सिर्फ प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि सीधे आम जनता की जान से खिलवाड़ है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता।