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जो कबीरा काशी में मरिहें, रामहिं कौन निहोरा” – स्वामीश्रीनिश्चलानंद सरस्वती

हिंदूराष्ट्र संगोष्ठी में उपस्थित होकर उदितमुनिनाम साहब ने स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती जी का अभिनंदन किया

कवर्धा। पुरी पीठ के श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती जी महाभाग अपने चार दिवसीय हिंदूराष्ट्र अभियान कार्यक्रम में कवर्धा प्रवास पर हैं। इस दौरान यूनियन चौक में आयोजित उनके हिंदू राष्ट्र संगोष्ठी में कबीर पंथ के नवोदित वंशाचर्य श्री उदितमुनिनाम साहब अपने सैकड़ों अनुयायियों के साथ सम्मिलित हुए । उन्होंने जगद्गुरु शंकराचार्य का अभिनंदन किया एवं उन्हें दामाखेड़ा आमंत्रित किया।

उल्लेखनीय है कि महाकुंभ के दौरान भी तीर्थराज प्रयाग में श्री उदितमुनि नाम साहब ने जगत गुरुशंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती जी महाभाग के शिविर में जाकर में जाकर उनका अभिनंदन किया था।


संगोष्ठी के दौरान जगतगुरु शंकराचार्य जी ने अपने प्रवचन के माध्यम से कबीर साहब के पदों को उद्धृत कर उनके संदेशों को समाज के लिए महत्वपूर्ण बताया । इसके पहले सरदार पटेल मैदान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान भी सैकड़ो की संख्या में कबीर पंथ के अनुयायियों के द्वारा जगतगुरु शंकराचार्य जी का अभिनंदन किया गया था तथा वह धर्म सभा में सम्मिलित हुए थे इस अवसर पर जगतगुरु शंकराचार्य जी ने कहा कि कबीर दास जी ने “जो कबीरा काशी में मरिहें, रामहिं कौन निहोरा” के माध्यम से काशी की महिमा को स्थापित किया और साथ ही उन्होंने राम जी की महिमा को भी स्थापित किया। शंकराचार्य जी ने आगे कबीर जी के पदों का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाय के माध्यम से कबीर जी ने भगवान को सगुण साकार भी सिद्ध किया। उन्होंने आगे कहा कि आज कबीर जी के कृतियों को ठीक ढंग से पढ़ने की आवश्यकता है कबीर जी के पदों ने हमेशा से समाज का मार्गदर्शन किया है। उन्होंने कबीर पंथ के नवोदित वंशाचार्य श्री उदित मुनि नाम साहब द्वारा दामाखेड़ा पधारने हेतु आमंत्रण दिए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की। इस सभा में श्री उदित मुनि नाम साहब ने भी अत्यंत विनम्र भाव से जगतगुरु शंकराचार्य जी के समक्ष अपना भाव पुष्प समर्पित किया। हिंदू राष्ट्र संगोष्ठी के दौरान हजारों की संख्या में सनातन धर्मावलंबी तथा कबीर पंथ के अनुयायी उपस्थित थे ।

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