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लोक का ही प्रभाव है जो उसे अपनी माटी, प्रकृति, और संस्कृति, से जोड़े रखता है,- डॉ पीसी लाल यादव

गंडई पंडरिया – इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल द्वारा दिनांक 21 से 23 मार्च तक 48 वां स्थापना दिवस समारोह के अंतिम दिवस पर छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी, में डॉ पीसी लाल यादव ने ” फाग का लोक रंग ” पर विषय पर कहा कि भारतीय जीवन और संस्कृति में जो सर्वाधिक आभामय और विविध रंगी है, वह लोक ही है । लोक का प्रभाव ही है जो उसे अपनी माटी, अपनी प्रकृति, और संस्कृति, से जोड़े रखता है। तत्पश्चात  अशोक कुमार तिवारी पूर्व क्यूरेटर मानव संग्राहालय ने आकृति ,रंग और चित्र: छत्तीसगढ़ की पारंपरिक चित्रांकन शैलियों पर एक शब्दचित्र विषय पर स्लाइड शो के माध्यम से अनुष्ठानिक और लोक विश्वास के महत्व,धर्म से संबन्धित विषय पर की जाने वाली चित्रकारी एवं बस्तर की मुरिया जनजाति के चित्र विशिष्ट रूप मे संदर्भित किए जाने की बात कही और माड़िया चित्रकारी, राजवर चित्रांकन, उराँव चित्रकला,निषाद राज भाट चित्र,सवनाही,आठे कन्हैया,जगार चित्र, चौक,हाँथा,गोदना चित्रकला,नगमत,आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। श्री राकेश तिवारी जी ने छत्तीसगढ़ के लोक वाद्यों की परंपरा पर शोध पत्र पढ़ा।
ददरिया में लोकतत्व के बारे में  बी. आर. साहू ने कहा कि लोकगीतों के जन्म का श्रेय श्रम को है,सुआ,ददरिया,करमा,बांसगीत,मातसेवा,जंवारागीत,भोजली, पंथी, फाग,डँडा,नाचा गीत,यहाँ के प्रमुख लोकगीत हैं। इस संगोष्ठी में डॉ. जी.एल.रायकवार ने सरगुजा के कठोरी पर्व और कृषि संस्कृति पर प्रकाश डाला। डॉ.सोमनाथ यादव ने छत्तीसगढ़ के यदुवंशियों के गीत,नृत्य व गाथा को रेखांकित किया।इस महत्वपूर्ण आयोजन में डॉ.पीसी लाल यादव की नई पुस्तक “छत्तीसगढ़ी कथा लोक ” का विमोचन अतिथियों व उपस्थित साहित्यकारों द्वारा किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय मानव संग्राहालय समिति के सदस्य श्री विजय शंकर सहाय ने की। उन्होने बस्तर के धातु शिल्प पर विवरण प्रस्तुत किए हैं। जिनमें घढ़वा धातुशिल्पियों द्वारा बनाई जाने वाली देवी -देवताओं एवं अन्य मूर्तियों के बारे में जानकारी समाहित थी। इस अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल के निदेशक प्रोफेसर अमिताभ पांडे ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति एवं परंपरा पर गहन शोध की जरूरत है। इसमें यहाँ पर उपस्थित विद्वानों के सहयोग की आवश्यकता है ताकि अमूर्त संस्कृति और मूर्त संस्कृति के विविध पक्षों को संकलित किया जा सके। इस अवसर पर डॉ. पीसी लाल यादव एवं  बी. आर. साहू ने निदेशक मानव संग्राहालय को छत्तीसगढ़ के ऊपर लिखी गई पुस्तकों का एक सेट ग्रंथालय हेतु भेंट किया।कार्यक्रम का संचालन डॉ. अशोक वर्धन ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अशोक कुमार शर्मा ने दिया ।

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