क्या तीसरी लहर वाकई बच्चों के लिए खतरनाक, सुप्रीम कोर्ट की बढ़ी परेशानी, जानें दूसरी लहर से कैसे अलग होगी ?…

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण का खतरा अभी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। वहीं अब नए वैरिएंट्स की तीसरी लहर आने की बात होनी शुरू हो गई है। जिसमें बच्चों के संक्रमित होने की बात कही जा रही है। जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट की परेशानी बढ़ गई है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट बढ़ते संक्रमण के बीच चिंतित है कि कैसे देश से कोरोना संक्रमण खत्म हो।

कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को ज्यादा खतरा हो सकता है। इसकी वजह यह है कि जब तक देश में तीसरी लहर दस्तक दे, तब तक ज्यादातर वयस्कों को कोरोना का कम से कम एक टीका लग चुका हो। डॉ वी रवि ने कहा कि यह केंद्र और राज्य सरकारों के लिए मजबूत रणनीति बनाने का समय है। अक्टूबर और दिसंबर के बीच उन्हें स्थितियों को संभालने के लिए अभी से तैयारी करनी होगी।

सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन के साथ तमाम एक्सपर्ट्स इस बारे में चेतावनी दे चुके हैं। इसके बाद लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। जैसे, यह पहली और दूसरी लहर से कैसे अलग होगी? देश में यह कब दस्तक देगी? ऐसे में सबसे जरूरी इन नए वैरिएंट की पहचान करना होगा। दुनियाभर के साइंटिस्ट वायरस के इन अलग-अलग वैरिएंट्स का मुकाबला करने की तैयारी कर रहे हैं।

तेजी से हो रहे संक्रमित


महाराष्ट्र में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, राज्य में अब तक 0 से 10 वर्ष के 1,45,930 बच्चे वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। राज्य में हर दिन करीब 300 से 500 बच्चे बीमार हो रहे हैं। राज्य में 11 से 20 साल के 3,29,709 बच्चे और युवा अब तक वायरस की चपेट में आ चुके हैं। वाडिया अस्पताल की सीईओ डॉ. मिन्नी बोधनवाला के अनुसार मुंबई से ज्यादा राज्य के ग्रामीण इलाकों में बच्चे बीमार हो रहे हैं।

जुकाम के साथ पेट की समस्याएं है लक्षण


कोरोना की मौजूदा लहर में 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ नवजात शिशुओं में भी संक्रमण मिला है। गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में पीडियाट्रिक्स विभाग के प्रमुख और निदेशक डॉ. कृष्ण चुघ के अनुसार ज्यादातर बच्चे, जो कोविड-19 से प्रभावित हैं, उनमें मौजूद लक्षण हल्का बुखार, खांसी, जुकाम और पेट से संबंधित समस्याएं हैं। कुछ को शरीर में दर्द, सिरदर्द, दस्त और उल्टी की भी शिकायत है। गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरेन गुप्ता का कहना है कि ऐसे भी कुछ मामले हैं, जिनमें निमोनिया भी देखा गया है. कुछ बच्चों में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएस-सी) जैसी अधिक गंभीर जटिलताएं भी देखने को मिल रही हैं।

बच्चों के लक्षणों को ना करें नजरअंदाज


एक्सपर्ट्स का कहना है कि पेरेंट्स बच्चों में हल्के लक्षणों को नजरअंदाज ना करें। माता-पिता को बच्चों में संभावित डायरिया, सांस लेने में समस्या और सुस्ती जैसे लक्षणों पर ध्यान रखना चाहिए। एक्सपर्ट्स के अनुसार खासकर बुखार के साथ इस तरह के लक्षणों पर सतर्क रहने की सलाह दी गई है। बच्चों में ऐसी समस्याओं को पहचानने में माता-पिता को सावधानी बरतनी चाहिए। बिना डॉक्टर के सलाह कोई दवा जैसे एंटी वायरल ड्रग्स, स्टेरायड्स, एंटीबायोटिक आदि न दें।

संक्रमण के दौरान बच्चों को रखें दूर


कोरोना संक्रमण से बचने के लिए बच्चों को भी मास्क पहनाएं। उन्हें खेलने के लिए घर से बाहर ना निकलने दें। जरूरी हैं कि बच्चों के साथ किसी भी सार्वजनिक स्थानों, फंक्शन या अन्य आयोजन में जानें से बचें। इन जगहों पर संक्रमण फैलने का खतरा अधिक रहता है। घर में यदि किसी मेंबर को कोरोना हो गया है तो बच्चों को उनसे बिल्कुल दूर रखें। नवजात या बच्चे में कोरोना से जुड़े कोई भी लक्षण हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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