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खैरझिटी खुर्द मे भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती मनाई गई

खैरझिटी खुर्द मे भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती मनाई गई

कवर्धा। प्राथमिक शाला खैरझिटी खुर्द मे शाला परिवार के द्वारा भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम उन्हें पुष्प अर्पित कर शाला के प्रधान पाठक वोकेश नाथ योगी ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया की किस तरह सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिराव को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है।

ज्योतिराव, जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक थे। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था।वे स्कूल जाती थीं, तो विरोधी लोग उनपर पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से 191 साल पहले बालिकाओं के लिये जब स्कूल खोलना पाप का काम माना जाता था तब ऐसा होता था।सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं।

हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फेंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं।इस अवसर पर शिक्षक चंद्र शेखर शर्मा,अर्जुनसिंह मेरावी,नंदकुमार घोरमारे एवं समस्त विद्यार्थी उपस्तिथ रहे।

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