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चीन के शातिर प्रस्ताव को भारत ने सिरे से किया खारिज, पैंगोंग सो को लेकर मतभेद अभी भी बरकरार: सूत्र

Talks Between Major Generals Of India, China In Galwan Inconclusive: Sources
Image Source : PTI

नई दिल्ली: एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत-चीन के बीच कमांडर लेवल की कल यानी मंगलवार को मैराथन बैठक हुई। दोनों देशों के बीच ये बैठक करीब 12 घंटे तक चली। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दोनों देशों के बीच गलवान घाटी में सहमित बनने की उम्मीद है, हालांकि पैंगोंग सौ को लेकर मतभेद अभी भी बरकरार है। बातचीत के दौरान चीन ने एक शातिर प्रस्ताव भी रखा जिसमें पैंगोग झील पर मौजूदा पोज़िशन से तीन-तीन किलोमीटर पीछे हटने की बात कही है।

चीन ने शर्त रखी कि वो फिंगर 4 से फिंगर 6 तक पीछे हट जाएगा लेकिन भारत को फिंगर 2 तक पीछे हटना होगा। भारत ने चीन के इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने इलाके में चीन के नये दावे पर चिंता जताई है और पुरानी स्थिति बहाल करने और तत्काल चीनी सैनिकों को गलवान घाटी, पेंगोंग सो और अन्य इलाकों से वापस बुलाने की मांग की।

हालांकि भारत के कड़े रूख का असर दिखना शुरू हो गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारत-चीन के बीच गलवान इलाके में सहमति बन सकती है। चुशूल में कल हुई करीब 12 घंटे की बैठक में भारत ने अपना स्टैंड एक बार फिर से क्लीयर कर दिया लेकिन चालबाज चीन अपनी चाल चलता रहा और भारत के सामने एक शातिर प्रस्ताव रखा जिसे भारत ने तुरंत खारिज कर दिया।

भारत ने चीन  को साफ कर दिया कि हम अपनी मौजूदा पोज़िशन से एक इंच पीछे नहीं हटेंगे। नो कंप्रोमाइज पॉलिसी के तहत भारत ने साफ कर दिया कि पीछे लौटना है तो चीन को लौटना पडेगा वो भी ओरिजिनल पोजिशन पर, यानी फिंगर 8 के पीछे अपने पेट्रोलिंग कैंप में। चुशूल में कल हुई मीटिंग में भारतीय सेना की तरफ से कुछ बातें बिल्कुल साफ-साफ कही गई।

पहली बात तो ये कि चीन को पीछे हटना होगा और जहां दो महीने पहले था वहां वापस जाना होगा। दूसरी बात ये कि चीन को फ्लैश प्वाइंट वाली जगहों से अपनी सेना का जमावड़ा कम करना होगा। सेना और सामान लेकर चीन लौट जाए।

इंडिया टीवी को मिली जानकारी के मुताबिक़ इस कोर कमांडर लेवल मीटिंग में भारतीय सेना की तरफ़ से ये साफ़ कर दिया गया है कि चीन अप्रैल 2020 के स्टेटस को माने। चीनी सेना हर प्वाइंट पर अपनी ओरिजनल पोज़ीशन पर जाए। चुमार से लेकर DBO तक 832 किलोमीटर की लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल पर अपनी सेना की तादाद कम करते हुए पीछे हटे।

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख के विभिन्न स्थानों पर गत सात हफ्ते से भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनाव है और यह तनाव और बढ़ गया जब 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए। चीनी पक्ष को भी नुकसान हुआ लेकिन उसने इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की।

दोनों पक्षों के बीच 22 जून को हुई वार्ता में पूर्वी लद्दाख में तनाव वाले सभी स्थानों पर पीछे हटने को लेकर परस्पर सहमति बनी थी। पहले दो दौर की बातचीत एलएसी के पास चीनी जमीन पर मोल्दो में हुई थीं। गलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद सरकार ने सशस्त्र बलों को 3500 किलोमीटर लंबी एलएसी के पास चीन के किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने की पूरी छूट दे दी है।

पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय ने कड़े शब्दों में बयान जारी कर कहा था कि तनाव के लिए चीन जिम्मेदार है और जिसने मई की शुरुआत में सभी आपसी सहमति को ताक पर रखकर भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती एलएसी के पास की। लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की छह जून को हुई पहले दौर की वार्ता में दोनों पक्षों ने गलवान से शुरुआत कर उन सभी बिंदुओं से बलों को धीरे-धीरे पीछे हटाने पर सहमति जताई थी, जहां दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध की स्थिति है।

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