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परसहा गांव में बारिश में कच्ची सड़क बनी मुसीबत, कीचड़ से निकलने पर मजबूर बच्चे और ग्रामीण

यातनाओं भरा सफर करना बना मजबूरी, आजादी के सात दशक बाद भी नहीं नसीब हुई पक्की सड़क

कवर्धा। जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां आजादी के 75 साल बाद भी अब तक पक्की सड़क नहीं बन सकी है।विकास की राह पर आगे बढ़ते हुए पूरे देश डिजिटल युग में पहुंच चुका है। वहीं बोड़ला ब्लॉक के अंतर्गत में कई ऐसे गांव मौजूद हैं, जो विकास की मुख्यधारा से जुड़ नहीं पाए हैं. ग्रामीणों को बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए रोजाना मुश्किलों से दो-चार होना पड़ता है.

बोड़ला ब्लॉक के ग्राम पंचायत प्रभाटोला के आश्रित ग्राम परसहा में बरसात के दिनों में ग्रामीणों की परेशानी और बढ़ जाती है। कीचड़ से सराबोर सड़क को पार कर बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाया जाता है। वहीं गांव के विद्यार्थी भी कीचड़ भरे सड़कों में चलकर स्कूल जाते है। गांव के किसी व्यक्ति की तबीयत अधिक खराब हो जाती है तो उसे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबुलेस भी समय पर नहीं पहुंच पाता है। किसी तरह स्वजन वाहन की व्यवस्था कर लेते हैं तो कीचड़ युक्त सड़क से वाहन को निकालना किसी चुनौती से कम नहीं होता है।

बोड़ला ब्लाक के ग्राम परसहा से तीन किलोमीटर दूर मुख्य मार्ग पर बिलासपुर रायपुर एनएच है जो शक्कर कारखाने के पहले निकालती है । गांव का एक मुख्य मार्ग जो की गांव से बाहर जाने के लिए यह रास्ता है जो आज कीचड़ से सराबोर है। जिसमें लोगों को पैदल तक चलना भी मुश्किल हो गया है। सरकार की पीएमजीएसवाय और मुख्यमंत्री ग्राम सड़क जैसी योजना के बाद भी आजादी के 75 साल बीत जाने पर यहां पक्की सड़क नहीं बन सकी है।

अभी तक रोड में सही समय में मुरूम मिट्टी नहीं डलने और समतलीकरण कार्य नहीं होने की वजह से और लगातार हो रही बारिश की वजह से यह दलदल हो गया है जिसकी वजह से लोगों को मुख्य मार्ग में जाने के लिए लगभग तीन किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ रहा है।

विद्यार्थियों को भी स्कूल आने जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर गांव में यदि कोई घटना हो गई हो या किसी का स्वास्थ्य खराब हो तो लोगों को 108 और 112 के आने के लिए कई घंटे तक इंतजार करना पड़ता है । बरसात के दिनों में परसहा के ग्रामीणों की परेशानी और बढ़ जाती है। किसानों को खाद- बीज के लिए सोसायटी जाना पड़ता है। कीचड़ की वजह से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

क्या कहते हैं ग्रामीण

परसहा के ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के दिनों में कीचड़ से सराबोर सड़क को पार कर बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाया जाता है। वहीं गांव के विद्यार्थी भी कीचड़ भरे सड़कों में चलकर कई किलोमीटर दूर मुख्य मार्ग तक पैदल जाते है। गांव के किसी व्यक्ति की तबीयत अधिक खराब हो जाती है तो उसे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबुलेस भी समय पर नहीं पहुंच पाता है। किसी तरह स्वजन वाहन की व्यवस्था कर लेते हैं तो कीचड़ युक्त सड़क से वाहन को निकालना किसी चुनौती से कम नहीं होता है। किसानों को खाद- बीज के लिए तनौेद सोसायटी जाना पड़ता है। कीचड़ की वजह से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

इतनी समस्या होने के बाद भी क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने कभी इस गांव की सुध नहीं ली। वहीं जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा भी कभी कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।

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