नर्सिंग छात्रों के साथ छ.ग. सरकार का भेदभाव आखिर कब तक


हम सभी नर्सिंग छात्र एवं छात्राएं ऑनलाइन परीक्षा की मांग करते हैं क्योंकि हम अपने सत्र से 6 महीना पीछे चल रहे हैं और लगातार कोरोना की संख्या भी बढ़ती जा रही है और कुछ-कुछ नर्सिंग कॉलेज के छात्र छात्राओं को भी कोरोना का संक्रमण हो चुका है और यह बात भी छुपाने के लिए कालेजों द्वारा छात्रों को दबाव पे दबाव डाला जा रहा है अगर हम ऑफलाइन परीक्षा दिलाते हैं तो परीक्षा केंद्रों में आए सभी छात्रों को भी संक्रमण हो सकता है सकता है इस बात को लेकर नर्सिंग छात्र-छात्राओं एवं अभिभावक में डर का माहौल है हमारी इस बात को लेकर हम स्वास्थ्य मंत्री माननीय टी एस सिंह देव जी के पास गए थे तो उन्होंने चर्चा के दौरान कहा की नर्सिंग फील्ड प्रैक्टिकल बेस्ड है और आप लोग कैसे ऑनलाइन एग्जाम की मांग कर रहे हैं नर्सिंग छात्राओं ने इस बात का जवाब देते हुए कहा की जब से लॉकडाउन खुली है तब से आयुष यूनिवर्सिटी के नोटिफिकेशन के अनुसार हमने अपनी क्लीनिकल ड्यूटी अपने स्वास्थ्य की चिंता किए बिना पूरी इमानदारी से की और सभी कॉलेजों के द्वारा प्रैक्टिकल परीक्षा किया जा चुका है अब हमारी थ्योरी की परीक्षा बाकी है जो ऑनलाइन किया जा सकता है और माननीय स्वास्थ्य मंत्री ने नर्सिंग छात्र छात्राओं की समस्याओं को सुना और इस विषय में सकारात्मक रिस्पांस दिया।
और यह नर्सिंग छात्र छात्राओं पर ही क्यों अन्याय किया जा रहा है और भी कई मेडिकल एंड नॉन मेडिकल फील्ड में ऑनलाइन एग्जाम किया गया है और हमारे साथ हे ऐसा भेदभाव किया जा रहा है इसका सबसे ज्यादा प्रभाव फाइनल ईयर वाले नर्सिंग छात्र एवं छात्राओं में पड रहे हैं और आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं उनका कहना है की अगर परीक्षा ऑफलाइन ही करानी थी तो अक्टूबर 2020 में ही करा देते क्यों हमारा 6 महीना बर्बाद किया गया और क्या सरकार को नर्सिंग छात्र एवं छात्राओं की भविष्य और स्वास्थ्य की थोड़ी भी चिंता नहीं है।