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25 साल में स्वास्थ्य सेवाओं ने तय की लंबी दूरी, हर हाथ तक पहुँची दवा और उपचार

AP न्यूज विश्वराज ताम्रकार जिला ब्यूरो चीफ केसीजी

रोगों से जंग में सफल हुआ जिला, बढ़ी आयु और घटे मातृ-शिशु मृत्यु दर

राज्य निर्माण से अब तक स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव

अब 3 से 5 किलोमीटर में मिल रही उपचार की सुविधा, हर गाँव तक पहुँची स्वास्थ्य सेवा

आयुष्मान आरोग्य मंदिरों से सशक्त हुआ ग्रामीण स्वास्थ्य ढाँचा

वर्ष 2000 में दो डॉक्टर, अब पचास से अधिक : जिले की स्वास्थ्य कहानी बदली

खैरागढ़, 13 नवम्बर 2025/ वर्ष 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुआ तब यह बीमारू राज्य की श्रेणी में था। स्वास्थ्य के रैंक खराब थे, लेकिन राज्य स्थापना और आज रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में देखे तो बहुत परिवर्तन देखने को मिलेगा। राज्य स्थापना के समय जिले का गठन नहीं हुआ था तब उस समय खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के दोनों विकासखंड क्रमश: खैरागढ़ एवं छुईखदान राजनांदगांव जिले का हिस्सा रहा है।
राज्य बनने के समय इस जिले की आबादी लगभग 292186 थी एवं डॉक्टर की संख्या 02 और 0 स्पेशलिस्ट डॉक्टर थे। उस समय इस जिले अंतर्गत लगभग 146093 की आबादी में एक डॉक्टर और लगभग 48698 की आबादी में एक स्टाफ नर्स उपलब्ध थे।

-:राज्य निर्माण के समय खैरागढ़-छुईखदान-गंडई क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की स्थिति:-
सन 2000 में जिले की आबादी लगभग 292186 थी। इस आबादी में स्वास्थ्य संस्था ब्लॉक हॉस्पिटल 1 एवं एक सिविल अस्पताल थे। जिले में एक भी एक्सरे मशीन नहीं थी। तब संस्थागत प्रसव की संख्या भी मात्र 12% रही है। जन्म दर 2 प्रति हजार जनसंख्या थी। मृत्यु दर तब लगभग 9.5 प्रति हजार जनसंख्या थी। शिशु मृत्यु दर 65 प्रति हजार जनसंख्या थी और मातृमृत्यु दर भी सन 2000 में 343 प्रति एक लाख जीवित जन्म थी। उस समय संक्रामक बीमारी टीबी की दर 353 प्रति एक लाख की आबादी में थी, उस समय जिले अंतर्गत एक भी सोनोग्राफी मशीन नहीं थी। उस समय टीकाकरण की औसत दर 43.5% थी।

-:25 वर्ष में निरंतर बढ़ती स्वास्थ्य सुविधाएं:-
यदि स्वास्थ्य क्षेत्र में समस्त स्वास्थ्य संस्था और सेवा को देखा जाए तो बहुत प्रगति होती दिखती है। 2025 में जिला अस्पताल सहित 3 सामुदायिक अस्पताल संचालित हैं, जिले में 13 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 83 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं। अब जिला अस्पताल की स्वीकृति, 200 बिस्तर जिला निर्माण, स्पेशलिस्ट डॉक्टर की पदस्थापना, मेडिकल ऑफिसर, बंधित डॉक्टर सहित कुल 51 डॉक्टर कार्यरत हैं। अब लगभग प्रति 15000 की जनसंख्या में एक डॉक्टर है जबकि स्टाफ नर्स प्रति 18000 की जनसंख्या में एक स्टाफ नर्स कार्यरत है। हालांकि यह संख्या अभी भी पर्याप्त नहीं है, लेकिन सन 2000 से बेहतर कहा जा सकता है। वर्तमान में जन्म दर 10 प्रति हजार है, मृत्यु दर 7.11 प्रति हजार है जबकि शिशु मृत्यु दर अभी 15.2 प्रति हजार है। मातृ मृत्यु दर जिले की अभी 112 प्रति एक लाख जीवित जन्म है।

इसी तरह टीबी का प्रभाव दर अभी 96 प्रति लाख जनसंख्या है, जबकि सन 2000 में यह दर 323 थी और कुष्ठ की प्रभाव दर अभी प्रति दस हजार में 4.58 है। भले ही यह दर आज प्रदेश में सर्वाधिक है, इसके अनेकों कारण भी हैं। आज जिले में 3 सोनोग्राफी मशीन, 3 डिजिटल एक्सरे मशीन क्रियाशील हैं।
वहीं 3 डेंटिस्ट के साथ डेंटल चेयर, 1 सिविल अस्पताल, 3 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 12 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा 83 उप स्वास्थ्य केंद्र स्वीकृत हैं। जिले में नए सृजित पद सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की संख्या 78 है जबकि यह पद सन 2000 में सृजित ही नहीं थे। आज टीकाकरण कवरेज दर 99% है, जबकि यह सन 2000 में 56.5% थी।

वर्ष 2000 में सर्वाधिक मृत्यु के कारण संक्रामक बीमारियाँ थीं, लेकिन आज के संदर्भ में देखें तो सर्वाधिक मौतें असंक्रामक बीमारियाँ जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, स्ट्रोक, हार्ट अटैक, कैंसर आदि से हो रही हैं। गैर संचारी रोगों की जल्दी पहचान और उपचार हेतु स्वास्थ्य केंद्रों को आयुष्मान आरोग्य मंदिर में उन्नत कर कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। गैर संचारी रोगों से बचाव हेतु सन 2000 में औसत आयु 60 से 65 वर्ष थी जो अब बढ़कर 70 वर्ष से ऊपर हो चुकी है। अब संस्थागत प्रसव 13% से बढ़कर आज 99% से अधिक हो चुकी है।

तब मरीजों को उपचार के लिए अधिक दूरी तय करनी पड़ती थी, लेकिन आज अधिकतम 3 से 5 किलोमीटर में प्राथमिक उपचार की व्यवस्था उपलब्ध है। आज सभी उपस्वास्थ्य केंद्र अब आयुष्मान आरोग्य मंदिर के रूप में परिणित हो चुके हैं, जहाँ सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी के साथ 104 प्रकार की दवाइयाँ, 12 प्रकार की स्वास्थ्य सेवाएँ एवं 14 प्रकार की जाँच सुविधाएँ उपलब्ध हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 114 प्रकार की दवाइयाँ तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 151 प्रकार की दवाइयाँ उपलब्ध रहती हैं। ऐसे ही जिला अस्पताल में 223 प्रकार की दवाइयाँ, सीएचसी में 41 एवं मितानिन के ईडीएल में 21 प्रकार की दवाइयाँ उपलब्ध होनी चाहिए।

आयुष्मान कार्ड और आयुष्मान वय वंदना कार्ड से गरीबों को लाभ
सन 2000 में इलाज के लिए सरकारी निशुल्क सेवा के अलावा निजी क्षेत्र में निशुल्क इलाज की कोई व्यवस्था नहीं थी, मगर आज प्रत्येक नागरिक को आयुष्मान कार्ड के जरिए सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों में निशुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध है। अब 70 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों को 5 लाख तक की अतिरिक्त इलाज व्यवस्था उपलब्ध है। आज 91.5% लोगों के पास निशुल्क इलाज कराने के लिए आयुष्मान कार्ड है, वहीं 70 प्लस के 61% नागरिकों के पास इलाज के 5 लाख की अतिरिक्त सुविधा भी है। जिले के लगभग 50% लोग आयुष्मान कार्ड का उपयोग कर चुके हैं। आयुष्मान वय वंदना कार्ड बनाने का कार्य भी प्रगति पर है। इसके लिए पूरा स्वास्थ्य अमला लगातार नागरिकों से संपर्क कर रहा है, जिनका अभी तक कार्ड नहीं बना है वे शीघ्र ही अपना कार्ड बनवा लें। समस्त स्वास्थ्य संकेतक प्रगति पर हैं, लेकिन और बेहतर करने की आवश्यकता है।

सुविधा विस्तार में जिला प्रशासन की निरंतर पहल
कलेक्टर  इन्द्रजीत सिंह चंद्रवाल के नेतृत्व में जिला प्रशासन द्वारा लगातार समीक्षा कर सुविधाओं के विस्तार और उपलब्धियों में वृद्धि के प्रयास जारी हैं। आने वाले समय में और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ देने के लिए कार्य चल रहे हैं। जिला अस्पताल जो अभी वैकल्पिक व्यवस्था में संचालित है, पूरी दक्षता से सेवा देने के लिए दृढ़ संकल्पित है। मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना अंतर्गत जटिल बीमारियों के उपचार हेतु 25 लाख तक की सहायता राशि स्वीकृत की जाती है। वहीं चिरायु कार्यक्रम के अंतर्गत जन्मजात विकृतियों वाले बच्चों का निशुल्क ऑपरेशन कराया जा रहा है। इन बिंदुओं के आधार पर कहा जा सकता है कि जिला स्वास्थ्य क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है और जनसहयोग से इसे और बेहतर बनाया जा सकेगा।

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