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चरखुरा कला मे मनाया गया भव्य बाबा गुरु घासीदास जयंती

चरखुरा कला मे मनाया गया भव्य बाबा गुरु घासीदास जयंती

                                          
टीकम निर्मलकर AP न्यूज़ कवर्धा : मनखे–मनखे एक समान का अमर उपदेश देने वाले, सतनाम पंथ के प्रवर्तक परम पूज्य बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती आज 18 दिसंबर 2025 को सतनाम युवा समिति, चरखुरा कला (पांडातराई) के द्वारा अत्यंत श्रद्धा, उल्लास एवं सामाजिक समरसता के वातावरण में भव्य रूप से मनाई गई। इस पावन अवसर पर बाबा जी के विचारों और शिक्षाओं को जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से विशाल लोक-सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें पारंपरिक सतनाम पंथी नृत्य मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा।


कार्यक्रम की शुरुआत बाबा गुरु घासीदास जी के छायाचित्र पर दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण के साथ हुई। इसके पश्चात आयोजित सांस्कृतिक संध्या में सत्य के महिमा पंथी पलटी केहरपुर, पलानसारी पंथी पलटी, सतनाम अखाड़ा कन्हाभैरा (परस बंजारे) तथा बालिका पंथी पलटी धरमपुरा (हरदी) के कलाकारों ने अपनी सशक्त एवं मनमोहक प्रस्तुतियों से उपस्थित जनसमुदाय को मंत्रमुग्ध कर दिया। कलाकारों द्वारा प्रस्तुत पंथी नृत्य में सत्य, अहिंसा, मानव समानता, भाईचारा एवं सामाजिक न्याय जैसे बाबा जी के मूल संदेशों को भावपूर्ण ढंग से प्रदर्शित किया गया, जिसे देखने बड़ी संख्या में ग्रामीणजन एवं समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

इस अवसर पर वक्ताओं ने बाबा गुरु घासीदास जी के जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका “मनखे–मनखे एक समान” का संदेश आज भी समाज के लिए मार्गदर्शक है। उन्होंने युवाओं से बाबा जी के आदर्शों को अपनाकर नशामुक्त, शिक्षित एवं संगठित समाज के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में सतनाम युवा समिति के पदाधिकारियों एवं सदस्यों का उल्लेखनीय योगदान रहा। आयोजन को सफल बनाने में विशेष रूप से उगेश बघेल, तुलसी पात्रे, युसूब बघेल , दुस्यंत ,  विकास बघेल, बिरेंद्र बघेल, संतोष पात्रे, मनोज बघेल, लुकेश बघेल सहित समिति के समस्त युवाओं ने तन-मन-धन से सहयोग प्रदान किया। समिति के सदस्यों की अनुशासनबद्ध कार्यशैली एवं सामूहिक प्रयासों के कारण कार्यक्रम शांतिपूर्ण एवं सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

समिति द्वारा अंत में यह संकल्प लिया गया कि भविष्य में भी इस प्रकार के सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों के माध्यम से बाबा गुरु घासीदास जी के विचारों को समाज के हर वर्ग तक पहुँचाया जाएगा तथा सतनाम पंथ की समृद्ध लोक-संस्कृति को संरक्षित एवं प्रोत्साहित किया जाएगा। कार्यक्रम का समापन बाबा जी के जयघोष एवं सामाजिक एकता के संदेश के साथ हुआ।

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