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अहिलेश्वर के कविता दिल ले निकल के पाठक मन के दिल तक जाथे — डॉ. यादव

अहिलेश्वर के कविता दिल ले निकल के पाठक मन के दिल तक जाथे — डॉ. यादव

कवर्धा। कवर्धा जिला के अश्वनी कोसरे बताइस की वनमाली सृजन केन्द्र, पाठक मंच, कबिरा खड़ा बाजार मंच और भोरमदेव सृजन मंच के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार 21 जनवरी के शाम सर्किट हाउस के अशोक हॉल म युवा साहित्यकार सुखदेव सिंह अहिलेश्वर के कविता संग्रह ‘बगरय छंद अंजोर ‘ पर एक चर्चा गोष्ठी रखे गइस। मुख्य वक्ता गंडई के वरिष्ठ साहित्यकार,गीतकार डॉ. पीसीलाल यादव रहीन और वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार नीरज मंजीत जी हर कार्यक्रम के अध्यक्षता करीन।
डॉ. यादव हर ख्यात कवि उदय प्रकाश के कविता के छत्तीसगढ़ी अनुवाद सुनावत प्रगतिशील काव्य चेतना के परिप्रेक्ष्य में कहिन कि अहिलेश्वर लोक चेतना लोक जागरण के कवि हें और उंकर कविता दिल से निकल के पाठक मन के दिल तक पहुँचथे। समालोचक अजय चन्द्रवंशी कहिन के सीधी सरल भाषा म अहिलेश्वर ग्रामीणजन के पीड़ा और उनके हर्षोल्लास को स्वर देथें। समयलाल विवेक मन कहिन कि अहिलेश्वर रचनाकार के भूमिका ले ऊपर समाज सुधारक के तरह दिखाई पड़थें, अनुभव व यथार्थ ल लिखथें। महेश आमदे हर कहिन के अहिलेश्वर हर रस छंद अलंकार मन ल बड़ खूबी ले साधे हवँय । घनश्याम कहिन कि कविता के जरिए वोहर सबो समाज ल आगे बढ़ाय के काम करत रहे हें, कुंजबिहारी साहू कहिन उनकर कवितामन म सामाजिक सौहार्द के विषय मन सुग्घर चित्रित हवँय।

वर्तमान स्थिति उपर चर्चा करत हुए भागवत साहू कहिन के अति राष्ट्रवाद समाज ल जोड़े के बजाय तोड़े के काम करत हवय । अश्वनी कोसरे हर अहिलेश्वर के बहुत अकन कविता, छंद मन के उल्लेख करत सस्वर प्रस्तुत करत कहीन के- वो हर गाँव गरीब किसान मजदूर मन के बोली म कविता,छंद रचे हवँय। नँदावत भाखा मन ल सरेखे हवँय|
काव्य तत्व मन ल पिरोय हवँय|
एक डहन गुरु महिमा,देशभक्ति, माटी वंदन के स्वर हे तव दूसर डहन सामाजिक विसंगति के उपर कलम चले हवय|
नारी उत्पीड़न,नशाखोरी, कन्या भ्रुणहत्या, दहेज उन्मूलन जैसे ज्वलंत मुद्दा मन ल रेखांकित करत,सामाजिक रुढ़ी मन उपर बहुत बढ़िया छंद ले जनजागरण बर लिखे गए छंद ल लयबद्ध गा के बात बताइन |
अध्यक्ष के आसंदी ले नीरज मंजीत जी कहिन के बहुत से रचनाकार छत्तीसगढ़ी साहित्य के दिशा मोड़त महती कार्य करत हवँय, अहिलेश्वर उमन म एक आँय। राजकुमार मसखरे, घनश्याम कुर्रे, कपूरराम चन्द्रवंशी, ज्ञानूदास मानिकपुरी अउ रामकुमार साहू मन घलो छंद संग्रह उपर अपन विचार व्यक्त करीन। तत्पश्चात पुष्पांजलि नागले, कल्पना पुडेटी, ब्रजेन्द्र श्रीवास्तव, अंकुर गुप्ता, देवचरण धुरी, रमेश चौरिया, सात्विक श्रीवास्तव, तुकाराम साहू, आनंद मरकाम, चैतराम टण्डन, नोकेश मधुकर, दिलीप पुडेटी, कुलेश्वर जायसवाल, मुकुंद दास, जाजू सतनामी, कार्तिक मानिकपुरी, संजू उइके, जे पी डहरे, डाॕ दुर्गा प्रसाद मेरसा मन कवितापाठ करीन। आदित्य श्रीवास्तव, सोम वर्मा, राजाराम हलवाई, भीष्मप्रताप खूंटे सक्रिय रूप ले उपस्थित रहीन।

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