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धर्मनगरी में संतकवि कवि पवन दीवान की प्रतिमा स्थापित करने उठी मांग

धर्मनगरी में संतकवि कवि पवन दीवान की प्रतिमा स्थापित करने उठी मांग

राजिम 16 नवंबर। धर्म नगरी में संत कवि पवन दीवान की प्रतिमा स्थापित करने की मांग उठ रही है। शहर ही नहीं बल्कि क्षेत्र के लोगों का कथन है कि कम से कम धर्म नगरी में तो छत्तीसगढ़ी गांधी कहे जाने वाले संत कवि पवन दीवान की प्रतिमा स्थापित होना चाहिए साथ ही किसी चौक चौराहे को पवन दीवान के नाम पर रखा जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि यह वही संत कवि पवन दीवान है जिनके प्रवचन सुनने के लिए लोग टूट पड़ते थे। इन्होंने पूरे छत्तीसगढ़ में श्रीमद् भागवत महापुराण के साथ राम कथा के माध्यम से ज्ञान बांटने का काम किया और जैसे ही राजनीति में प्रवेश किया उसके बाद तो उन्होंने ना कि राजिम क्षेत्र बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के विकास के लिए अपने आप को हमेशा आगे बढ़ाया। पृथक छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के लिए उन्होंने हर संभव प्रयास किया। नतीजा 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आ गया। मां कौशल्या की भूमि चंद्रखुरी को विकसित करने की पुरजोर प्रयास किया। छत्तीसगढ़ सरकार ने इन्हें विकसित करने का बीड़ा उठाया है। धर्म से लेकर सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक सभी क्षेत्रों में उनके योगदान भुलाया नहीं जा सकता। इस संबंध में
पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय ने कहा कि यह संत कवि पवन दीवान की कर्म स्थली रही है उन्होंने ब्रह्मचर्य आश्रम को सहेजा था। छत्तीसगढ़ राज्य की लड़ाई बहुत पहले से शुरू कर दिया था आज राज्य मिल गया है राजिम के किसी चौक चौराहे को दीवान के नाम पर रखकर भव्य प्रतिमा स्थापित किया जाए। खुद मुख्यमंत्री बघेल दीवान तो मानते थे। इस बात को लेकर जरूरत पड़ी तो मैं मुख्यमंत्री के पास बात रखूंगा।
कांग्रेस के पूर्व जिला महामंत्री एवं संत कवि पवन दीवान के करीबी रहे डीके ठाकुर ने बताया कि पवन दीवान की भव्य प्रतिमा शहर के अलावा प्रत्येक जिला मुख्यालय में लगनी चाहिए। वह छत्तीसगढ़ राज्य के प्रणेता के साथ ही गरीबों के मसीहा थे।सही मायने में यह उनका सम्मान होगा। नगरी प्रशासन मंत्री शिव डहरिया एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शीघ्र इस पुनीत कार्य को मूर्त रूप प्रदान करें।
प्रयाग साहित्य समिति के अध्यक्ष टीकमचंद सेन ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य बने 22 साल हो गए राज्य निर्माण में संत कवि पवन दीवान का नाम पहले पंक्ति पर लिखा जाता है इन्हें छत्तीसगढ़ के गांधी कहने के साथ ही कुशल राजनीतिज्ञ और लोगों के दिलों पर राज करने वाले संत कवि पवन दीवान ने छत्तीसगढ़ की मांग किया और उनके जीते जी यह सपना भी साकार हो गई। सन 2014 में ब्रह्मलीन होने के बाद उनको जो सम्मान मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाया। इनके प्रतिमा राजधानी रायपुर समेत उनकी कर्मभूमि एवं जन्मभूमि राजिम में स्थापित होना चाहिए तथा किसी चौक का नाम पवन दीवान के नाम पर हो और राज्य सरकार उनके नाम पर राज्य पुरस्कार की घोषणा करें।
महिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं सर्व ब्राह्मण समाज के सचिव मनीषा शर्मा ने कहा कि परम श्रद्धेय प्रातः स्मरणीय संत पवन दीवान जिनका पूरा जीवन छत्तीसगढ़ एवं राजिम को विशेष ऊंचाई प्रदान करने में समर्पित रहा ऐसे दिव्य महापुरुष का राज्य के विशेष चौक चौराहे में उनका भव्य प्रतिमा अनिवार्य रूप से स्थापित होना चाहिए। उनका संपूर्ण जीवन अध्यात्मिकता एवं राजनीति में रहते हुए जनहित के कार्य में समर्पित रहा उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कौशल्या माता मंदिर के लिए आजीवन प्रयास करते रहे। उनकी प्रतिमा लगने से हमारे नए पीढ़ी को पवन दीवान के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में जानकारी तथा बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को इनके बारे में जानने का मौका मिलेगा।
श्रीराजीव लोचन मंदिर के पुरोहित पंडित विजय शर्मा ने बताया कि राजिम नगर का पौराणिक एवं धार्मिक महत्व है इसे तपस्या की भूमि भी कहा गया है संत महात्माओं की हमेशा मौजूदगी जीवन को ऊंचाइयों प्रदान करती है। ऐसे ही महापुरुष स्वामी अमृतानंद सरस्वती पवन दीवान जी का दिव्य एवं भव्य प्रतिमा लगाना अनिवार्य है इस महान कार्य को अति शीघ्र मूर्त रूप देना चाहिए।
राजीवलोचन मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधक पुरुषोत्तम मिश्रा ने कहा कि भारतीय मानचित्र पर अगर हम छत्तीसगढ़ के राजिम का परिचय देते हैं तो उसमें राजिम को मुख्य रूप में चार नामों से परिचित कराते हैं जिनमें प्रथम श्रीराजीवलोचन मंदिर दूसरा कुलेश्वर नाथ महादेव का मंदिर तीसरा ब्रह्मचर्य आश्रम और चौथा संत कवि पवन दीवान है। संत कवि पवन दीवान पूरे छत्तीसगढ़ में आज भी किसी परिचय का मोहताज नहीं है क्योंकि राजिम और संत पवन दीवान एक दूसरे के पर्याय है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में भी जिनका अभूतपूर्व योगदान रहा है ऐसे महापुरुष के नाम से एक चौराहा बिल्कुल होना चाहिए जिसमें उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित हो।

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