दबंगई, हथियार तस्करी, गौ हत्या, महादेव एप जैसे अलग अलग अपराध, का एक ही कनेक्शन


दुर्ग भिलाई : कुछ दिनों पहले जुनवानी क्षेत्र में एक हिंसक मुठभेड़ की खबर प्रकाशित हुई थी जिसमे रोहन सिंह और मिहिर जयसवाल पर मुकद्दमा दर्ज हुआ।
उस खबर में इस झड़प के महादेव ऐप से जुड़े होने के संकेत भी दिए गए हैं।
मिहिर जयसवाल जो की abvp का नेता है उस पर हत्या के प्रयास का अपराध दर्ज किया गया है वह एक कथित रूप से फरार अपराधी धर्मेंद्र जयसवाल का चचेरा भाई लगता है जिसका नाम अमित जोश को पिस्टल उपलब्ध करवाने वाले आरोपी प्रखर चंद्राकर ने अपने बयान में दिया था।
इस मारपीट में मिहिर जयसवाल के साथ आयुष यादव नामक युवक भी था जिसका नाम बीते माह एक कार दुर्घटना जिसमे भाजपा महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष स्वीटी कौशिक की पुत्री ऋचा कौशिक की मृत्यु हुई थी, वह स्कोडा कार सीजी 07 सीपी 7214 जो कि धर्मेंद्र जयसवाल अपने पास गिरवी रखा था जो किसी पूजा प्रधान के नाम से रजिस्टर्ड है उसी गिरवी रखे कार को धर्मेंद्र जयसवाल के यहां नौकरी करने वाला आयुष यादव शराब के नशे में मदमस्त हो कर चला रहा था जिसकी वजह से दुखद दुर्घटना हुई। पर इस मामले को पूरी तरह दबा दिया गया और आयुष यादव पर कोई कार्यवाही नहीं हुई जिसके चलते अब उसे मिहिर जयसवाल के साथ मारपीट करते हुए वीडियो में बखूबी देखा जा सकता है,
आयुष के पिछले अपराध में ही यदि कड़ी कार्यवाही की जाती और उसे धर्मेंद्र जयसवाल जैसे अपराधी का संरक्षण नहीं मिलता तो उसे और अपराध करने की हिम्मत नही मिलती।

बहुचर्चित महादेव सट्टा ऐप मामले में 3 साल से पुलिस रिकॉर्ड में फरार कारोबारी धर्मेंद्र जयसवाल को खुले आम शहर की सड़कों पर घूमते देखा जा रहा है, वह भी पुलिस के आला अधिकारियों के साथ फोटो खिंचवाते हुए, पर अभी तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है, जिससे यही समझ आ रहा है कि इन रसूखदारों में पुलिस प्रशासन का खौफ है ही नहीं या फिर उन्होंने सभी की जेबें गरम कर रखी हैं।

जेबें गरम करने से व्यवसाई धर्मेंद्र जयसवाल का एक मामला और सामने आता है जिसमे बीते जिला पंचायत चुनाव में एक उम्मीदवार पर लगभग 3 करोड़ रुपए खर्च कर दिए, जिसपर सवालिया निशान भी खड़ा होता है कि कहीं यह पैसा महादेव एप से ही तो नही कमाए गए हैं?
तफ्तीश करने पर पता चला है कि धर्मेंद्र जयसवाल का कारोबार तुषार वर्मा नामक व्यक्ति संभालता है जो अभी जमानत पर है, तो क्या धर्मेंद्र जयसवाल और तुषार वर्मा मिलकर गिरोह चला रहे हैं?
हाल ही में पुलिस एनकाउंटर में मारे गए गैंगस्टर अमित जोश को पिस्टल दिलाने वाले प्रखर चंद्राकर की गिरफ्तारी हुई थी , जिसको लेकर पुलिस ने खुलासा किया था कि इसका कनेक्शन महादेव सट्टे से है| प्रखर चंद्राकर ने इससे जुड़े कई बड़े लोगों का नाम दिया है ,जिसमें कारोबारी धर्मेंद्र जायसवाल का नाम भी शामिल है,जिनका कारोबार, ऑफिस और घर अहिवारा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत स्थित है..
तो अब सवाल ये उठता है कि कहीं प्रखर चंद्राकर के साथ मिलकर गैंगस्टर को पिस्टल उपलब्ध करवाने वाले कारोबारी धर्मेंद्र जयसवाल और तुषार वर्मा तो नहीं?

कहीं महादेव ऐप के पैसे से ही तुषार वर्मा धर्मेंद्र जयसवाल का व्यवसाय तो नही संचालित कर रहा है?
तुषार वर्मा जो कि स्वयं गौ हत्या के अपराध में जमानत पर रिहा है जिसका मुकद्दमा धमधा सिविल न्यायालय के समक्ष लंबित है, इससे तो यही समझ आता है कि यह सभी इरादतन अपराधी ही हैं और अपना एक गिरोह संचालित कर रह हैं।

कहीं इस गिरोह ने ही जिला पंचायत चुनाव की एक उम्मीदवार का अपहरण तो नही करवाया था?
कहीं महादेव एप के पैसे से ही जिला पंचायत चुनाव जीता तो नहीं गया?
ऐसे बहुत से सवाल हमारे समक्ष खड़े हैं परंतु पुलिस प्रशासन और आला अधिकारी इन अपराधियों के साथ फोटो खिंचवाने में व्यस्त हैं और कड़ी से कड़ी नही जोड़ पा रहे हैं।
हम यही पूछते हैं कि जो रसूखदार स्वयं को पुलिस रिकॉर्ड फरार घोषित करवा कर बेखौफ अपना कारोबार चला रहे हैं और तो और चुनावी कार्यक्रमों में देखे जा रहे हैं उनके लिए क्या कानून सच में इतना अंधा और लाचार हो गया है?
