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छत्तीसगढ़ वनाधिकार मंच कबीरधाम जिले मे सामुदायिक वन अधिकारों की स्थिति पर विमर्श व बैठक

छत्तीसगढ़ वनाधिकार मंच कवर्धा 17/05/24


कबीरधाम जिले मे सामुदायिक वन अधिकारों की स्थिति पर विमर्श व बैठक

छत्तीसगढ़ वनाधिकार मंच के तत्वाधान मे आज दिनांक 17/05/2024 को कवर्धा के बैगा भवन मे ‘कबीरधाम जिले मे वन अधिकार मान्यता कानून एवं उसके तहत सामुदायिक वन संसाधन अधिकारों की स्थिति’ पर नेटवर्क बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक मे कबीरधाम जिले मे वन अधिकार व आदिवासी अधिकार पर कार्यरत संस्थाएं, एवं बैगा समाज के प्रांत व जिला स्तरीय प्रतिनिधि शामिल हुए। ज्ञातव्य हो कि, कबीरधाम जिले मे वनाधिकार की स्थिति चिंतनीय है। एक रिपोर्ट के अनुसार, जिले के कुल 1020 गाँव में से 400 गाँव सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्राप्त करने के लिए पात्र हैं, परंतु, अब तक मात्र, 27 गाँव को ही अधिकार पत्र मिल पाया है। दूसरी ओर बताया जा रहा है कि, विभागीय स्तर पर कोई भी दावा लंबित नहीं है। जबकि, पिछले कुछ वर्षों मे स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रयास से बहुत से गाँव मे दावे किए गए हैं।


वन अधिकार मान्यता कानून, उन सभी गाँव को जिनके परंपरागत उपयोग व पहुँच मे जंगल है, ग्रामसभा के जरिए, उसका प्रबंधन, संरक्षण व संवर्धन करने का अधिकार देता है। साथ ही, ऐसे परिवार जो वर्ष 2005 से वनभूमि पर काबिज है, उन्हे भूमि पट्टा सौंप कर, बेदखली व विस्थापन से सुरक्षा देता है।
कबीरधाम जिले मे वनसंसधानों पर अत्यधिक दबाव है, और दूसरी ओर, वनों पर अपनी पहचान, परंपरा और आजीविका के लिए निर्भर बैगा समाज की स्थिति दयनीय है। अब भी सैकड़ों बैगा परिवार, वन अधिकारों से वंचित है। इन सभी स्थितियों पर विचार करने और साझा कार्य-योजना बनाने के लिए यह बैठक आयोजित की गई थी। बैठक की अध्यक्षता करते हुए, बैगा समाज प्रमुख, इतवारी बैगा ने कहा कि हमारी धरोहर व पहचान मिटती जा रही है, और उसे बचाए रखने के लिए, साथ मिलकर प्रयास की जरूरत है, जिसमे प्रशासन व स्वयंसेवी संस्थाओं की महती भूमिका हो सकती है। उन्होंने बताया कि यहाँ चालीस वर्ष पूर्व, बेहद घना जंगल हुआ करता था, जिसमे प्रचुरता से तेंदू फल, आंवला व बांस होता था। राजस्व के लिए इनकी बड़े पैमाने पर विनाश किया गया, लेकिन जंगल काटने का दोष आजतक बैगा ढो रहे हैं। ऐसी असंगत नीतियों के विरुद्ध, वनअधिकार कानून एक राहत है, जिसे तन्मयता से लागू करने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है।
छत्तीसगढ़ वनाधिकार मंच के संयोजक- विजेंद्र अजनबी ने बैठक को संबोधित करते हुए, जिले मे व्याप्त वनाधिकार के उल्लंघन के मामलों को दस्तावेजीकरण करने की सलाह दी, और कहा कि अगले दो माह एक लक्षित अभियान चला कर वनाधिकार दिलाने के लिए जोर लगाया जाएगा।

उन्होंने हाल ही मे केंद्र से जारी दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए कहा, कि अब सरकार भी चाहती है, कि ग्रामसभाएं सशक्त होकर अपना जंगल संभाले, लेकिन अधिकारों के हनन के चलते ऐसा संभव नहीं हो सक रहा है ।
बैठक में कबीरधाम जिला के बोडला व पंडरिया विकासखंड के सामुदायिक लीडर, वन अधिकार समिति के सदस्य एवं जिले में कार्यरत स्वयं सेवी संस्थाओं ने अपने अनुभव साझा किए एवं अधिकार मिलने मे आ रही बाधाओं के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया। बैठक का संचालन, गांधी ग्राम विकास समिति के चंद्रकांत ने किया।

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