मनरेगा व पीएम जनमन से बैगा परिवार को मिला पक्का घर और स्थायी आजीविका का सहारा


AP न्यूज विश्वराज ताम्रकार जिला ब्यूरो केसीजी
खैरागढ़ : प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान के अंतर्गत संचालित प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) एवं महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के प्रभावी अभिसरण से प्रदेश के विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा परिवारों के जीवन में उल्लेखनीय और स्थायी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। इन योजनाओं से न केवल पक्के आवास की सुविधा मिली है, बल्कि आजीविका के सशक्त साधन भी उपलब्ध हुए हैं, जिससे बैगा समुदाय के जीवन स्तर में निरंतर सुधार हो रहा है।

पक्के घर का सपना हुआ साकार
खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के विकासखंड छुईखदान अंतर्गत, मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित बैगा जनजाति बाहुल्य ग्राम पंचायत गोलरडीह इसका जीवंत उदाहरण है। यहां की बैगा आदिवासी महिला कोदिया बाई को पीएम जनमन अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) से पक्का आवास प्राप्त हुआ है। इस आवास से उन्हें सुरक्षा, सम्मान और स्थायित्व का अनुभव हो रहा है।
कोदिया बाई बताती हैं कि पहले उनका परिवार एक कमरे की कच्ची झोपड़ी में रहने को मजबूर था। बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता था और घर में जलभराव हो जाता था, जिससे रहन-सहन और भोजन में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता था। अब पक्के मकान में सुरक्षित एवं खुशहाल जीवन जी रही है। आवास बनाने के लिए उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) से दो लाख मिला एवं मनरेगा से 90 रोजगार दिवस की प्राप्ति हुई है।
कुंआ निर्माण से स्थायी आजीविका को बढ़ावा
कोदिया बाई बताती हैं कि वर्ष 2020-21 में मनरेगा योजना के अंतर्गत उनके पति बृजलाल पिता बिसरू के नाम से 2,40,650 रुपये की लागत से कुंआ निर्माण स्वीकृत हुआ। जून 2021 में कुंआ पूर्ण हुआ, जिससे पंचायत के 13 श्रमिकों सहित कुल 390 मानव दिवस का रोजगार सृजित हुआ। इस दौरान कुंआ निर्माण के लिए 73,980 रुपये अकुशल एवं 39,710 रुपये अर्द्धकुशल/कुशल मजदूरी का भुगतान किया गया।
कुंआ निर्माण से पहले परिवार को पानी के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता था। श्रीमती कोदिया बाई के साथ अब उनके नाति और नाति के परिवार रहते है। कुंआ निर्माण से पहले वे अपने एक एकड़ में केवल परिवार के खाने लायक धान उगा पाते थे। सिंचाई का कोई साधन नहीं होने के कारण बाकी समय यह जमीन खाली पड़ी रहती थी। अब घर की बाड़ी में ही पानी की सुविधा उपलब्ध होने से दैनिक जरूरतें सहज रूप से पूरी हो रही हैं। इससे एक एकड़ कृषि भूमि में सिंचाई संभव हो सकी है। वे इस कुएँ से अपनी एक एकड़ जमीन मे खेती व बाड़ी में विभिन्न तरह की साग-सब्जियों का उत्पादन भी ले रही हैं।
कृषि उत्पादन और अतिरिक्त आय में वृद्धि
पहले सिंचाई के अभाव में वे केवल परिवार के उपभोग लायक धान ही उगा पाते थे। कुंआ बनने के बाद धान की अच्छी फसल हो रही है। इस वर्ष भी 10–12 क्विंटल धान का उत्पादन हुआ। धान कटाई के बाद 20 डिसीमिल भूमि में आलू की फसल लगाई गई है। इसके अतिरिक्त धनिया की बिक्री से इस साल 5,000 रुपये की आय प्राप्त हो चुकी है। पिछले वर्ष चना की फसल भी ली गई थी। जिसका उपयोग दैनिक उपयोग के लिए किया गया।
कुंआ बनने के बाद अब तक परिवार को लगभग सवा लाख रूपये की अतिरिक्त आमदनी हुई है। शुरुआती आय से बिजली से चलने वाला मोटर पंप भी खरीदा गया, जिससे सिंचाई व्यवस्था और सुदृढ़ हुई।
आत्मनिर्भरता की ओर मजबूत कदम प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और मनरेगा के प्रभावी अभिसरण से बैगा आदिवासी परिवारों को पक्का आवास, स्थायी आजीविका, जल संसाधन प्रबंधन और आर्थिक सशक्तिकरण के अवसर प्राप्त हो रहे हैं। इससे सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण सुनिश्चित हुआ है। यह उदाहरण शासकीय योजनाओं के जमीनी स्तर पर सफल क्रियान्वयन का प्रमाण है और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक प्रेरणादायक उपलब्धि है। कलेक्टर इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल के मार्गदर्शन मे मनरेगा योजना से बैगा आदिवासी हितग्राहियों को विशेष प्राथमिकता देते हुए उनके रोजगार एवं आजीविका के लिए कार्य स्वीकृत किया जा रहा है। इससे उन हितग्राहियों के जीवन स्थिरता आ रही है।

