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कार्तिक पूर्णिमा पर स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरते हैं देवता.. इस दिन भगवान विष्णु ने लिया था ,मत्स्य अवतार – शिव वर्मा

कार्तिक पूर्णिमा पर स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरते हैं देवता.. इस दिन भगवान विष्णु ने लिया था ,मत्स्य अवतार – शिव वर्मा


राजनांदगांव : जिला भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष व पार्षद दल के प्रवक्ता शिव वर्मा ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा पर स्वर्ग से पृथ्वी पर उत्तरते है । देवता कार्तिक मास को हिंदू धर्म में विशेष महत्व प्रदान किया गया है। दिवाली का पर्व भी कार्तिक मास में ही मनाया जाता है। दिवाली का पर्व लक्ष्मी जी को समर्पित है। देव उठानी एकादशी भी कार्तिक मास में ही आती है। माना जाता है कि कार्तिक मास भगवान विष्णु के प्रिय मास में से एक है। कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पूर्णिमा का भी विशेष धार्मिक महत्व है। इसे कार्तिक पूर्णिमा भी कहा जाता है। वर्मा ने आगे बताया कि विष्णु पुराण के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा की संध्या पर भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था। एक अन्य मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही महादेव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिम कहते हैं ।इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दीपदान करने की भी परंपरा है। पूर्णिमा के दिन सुबह के समय किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है. स्नान के बाद दीपदान के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण और राधा की पूजा का विधान है. मान्यता है कि इस दिन किए गए दान से पुण्यफल भी दोगुना मिलता है. गाय, हाथी, घोड़ा, रथ और घी का दान करने से संपत्ति बढ़ती है, वहीं भेड़ का दान करने से ग्रहयोग के कष्टों दूर होते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत रखने वालों को इस दिन हवन जरूर करना चाहिए. इसके साथ ही यदि व्रती किसी जरुरतमंद को भोजन कराते हैं, तो उन्हें लाभ मिलेगा।कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा वर्षभर की पवित्र पूर्णमासियों में से एक है. इस दिन किये जाने वाले दान-पुण्य के कार्य विशेष फलदायी होते हैं. यदि इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और विशाखा नक्षत्र पर सूर्य हो तो पद्मक योग का निर्माण होता है, जो कि बेहद दुर्लभ है. वहीं अगर इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और बृहस्पति हो तो यह महापूर्णिमा कहलाती है. इस दिन संध्याकाल में त्रिपुरोत्सव करके दीपदान करने से पुनर्जन्म का कष्ट नहीं होता है।

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