नरवा योजना कमाल : सरैहा नाला में जनवरी महीने में भी लिम्हईपुर और बिनौरी के ग्रामीणों को मिल रहा पानी


नरवा योजना से पानी को सहजने का सपना हुआ साकार
कवर्धा, 20 जनवरी 2021। देश के मध्य में बसा छत्तीसगढ़ राज्य को धान का कटोरा के नाम से भी जाना जाता है। कृषि प्रधान राज्य होने के कारण किसानों के लिए पानी की उपलब्धता एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय रहा है। किसानों के लिए वर्ष ऋतु का पानी ही खेती-किसानी कार्य के लिए सबसे उपयोगी और महत्वपूर्ण रहा है, लेकिन पूर्व में वर्षा ऋतु में पानी बरस कर ऐसे ही बह जाया करता था। वर्षा और जल खेती किसानी का कार्य, ग्रामीण और राज्य के अर्थव्यवस्था से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। पानी की उपलब्धता साल भर कराने के उद्देश्य से ही छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सुराजी गांव योजना के तहत नरवा का कार्य ग्रामीण क्षेत्रों के लिए लगातार चलाती रहीं है जिसका परिणाम अब दिखने लगा है। सुराजी गांव योजना के महत्वपूर्ण घटक नरवा विकास के तहत कबीरधाम जिले के पण्डरिया विकासखण्ड के ग्राम पंचायत लिम्हईपुर और बिनौरी में बहने वाले सरैहा नाला में बहता पानी क्षेत्र के ग्रामीणों के लिए खुशी का पर्याय बन गया है।
जिले के पंडरिया विकासखण्ड के सूदूर और वनांचल क्षेत्रों में 8.75 किमी लंबा सरैहा नाला में 2.20 किमी वन क्षेत्र एवं शेंष 6.55 किमी राजस्व क्षेत्र में बहता है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के द्वारा सरैहा नाला में कुल 39 कार्य 28.257 लाख रूपए कि लागत से स्वीकृत किया गया था। साल के तीन अतिरिक्त महीने जनवरी, फरवरी और मार्च में भी पानी रूका इसलिए योजना तैयार कर लूज बोल्डर चेकडेम, अर्दन गली प्लग, ब्रश वुड चेक, गेबीयन स्ट्रक्चर एवं गाद निकासी जैसे कार्य कराए गए। कुल स्वीकृत 39 कार्यो में से 25 कार्य पूर्ण हो गए है। जिसका परिणाम अब नाले में कही रूका तो कही बहता हुआ पानी के रूप में दिखने लगा है। एक पन्थ दो काज जैसे कहावतों के अनुरूप नरवा विकास का कार्य किया गया। एक ओर जहां महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से स्वीकृत कार्यो में 6.60 लाख रूपए व्यय कर 3471 मानव दिवस रोजगार लिम्हईपुर एवं बिनौरी के ग्रामीणों को मिला तो वहीं इसके अतिरिक्त सरैहा नाला का पानी जहां पहले माह दिसंबर तक सुख जाया करता था वह अभी जनवरी माह में नाले का पानी पूरी गती से बह रहा है। सरैहा नाला के जिर्णोद्धार के कार्य में लगी इंजीनियर श्रीमती प्रिया सोनी ने बताया कि सरैहा नाला पण्डरिया ब्लॉक के दो ग्राम पंचायतों में कुल 8.75 किमी का बहाव क्षेत्र है। विगत दो वर्षो से नरवा विकास का कार्य किया गया हैं। यहीं कारण है कि वर्तमान में भी सरैहा नाला में पानी का बहाव ग्रामीणों के लिए उपयोगी बना हुआ है, क्योंकि उससे भू-जल स्तर में वृद्धि हुई है तथा रूका हुआ पानी फसलो में सिंचाई के लिए उपयोग हो रहा है। नाले का प्रारंभ स्तर लिम्हईपुर का वन क्षेत्र आता है तथा इसी क्षेत्र से पानी एकत्र होकर नाले के रूप में आगे बहता है। पहले वर्षा ऋतु के बाद नवंबर माह तक यह सुख जाया करता था लेकिन अब जनवरी माह में भी पानी बह रहा है जिसका फायदा आस-पास के किसान उठा रहें है।
महात्मा गांधी नरेगा से हुए नरवा विकास का कार्य ग्रामीणों के लिए बना उन्नती का मार्ग
लिम्हईपुर एवं बिनौरी के क्षेत्र में सरैहा नाला का विकास नरवा में होने से किसानो के लिए रबी फसल लेना भी आसान हो गया है। नरवा उपचार के पहले जहां 55 हेक्टेयर ही सिंचाई कि सुविधा थी वह अब 65 हेक्टेयर हो चुका है तथा रबी कि फसलों को लेकर किसान सीधे लाभान्वित होंगे।
भू-जल स्तर एवं सिंचाई क्षेत्रों में वृद्धि के साथ साल के तीन अतिरिक्त महीने पानी की उपलब्धता से लाभान्वित हो रहे किसान : सीईओ जिला पंचायत
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विजय दयाराम के. सुराजी गांव के तहत नरवा विकास के कार्यो पर जानकारी देते हुए बताया कि किसानों को खेती के लिए पानी उपलब्ध हो तथा कृषि उपज से ग्रामीण अर्थव्यव्स्था को मजबूती देने के लिए अनेकों प्रयास किये गए। नरवा विकास से रोजगार गारंटी येजना से ग्राम लिम्हईपुर एवं बिनौरी में रोजगार का सृजन हुआ और साथ में सरैहा नाला का जीर्णोद्धार कर पानी की उपलब्धता साल के अतिरिक्त तीन महीने बढ़ाई गई है। इसी तरह सरैहा नाला के आस-पास नरवा विकास के पहले भू-जल स्तर 35 फीट हुआ करता था वह नरवा उपचार के बाद 29.30 फीट हो गया है। इस तरह भू-जल स्तर में 5 से 6 प्रतिशत कि वृद्धि हुई है। सिंचित क्षेत्र नरवा उपचार के पहले सिर्फ 126 हेक्टेयर हुआ करता था वह नरवा उपचार के बाद 142 हेक्टेयर हो चुका है। श्री विजय दयाराम के. सरैहा नाला मे नरवा के सुखद परिणाम को बताते हुए आगे बताया कि इस क्षेत्र के रबी फसलो के लिए नरवा उपचार के पूर्व 55 हेक्टेयर क्षेत्र मे सिचांई की सुविधा थी जो अब बढ़कर 65 हेक्टेयर का हो गया है। इसी तरह खरीफ फसलों के लिए 71 हेक्टेयर से बढ़कर 77 हेक्टेयर हो गया है तथा साल के तीन अतिरिक्त महीने जनवरी, फरवरी एवं मार्च तक नाले में पानी उपलब्ध रहेगा। सरैहा नाला के आस-पास लगे आठ से दस कुएं है जिसके पानी मे लगभग 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तथा भू-जल स्तर में वृद्धि होने से बोर चलाने वाले किसानों को भी सीधे लाभ हो रहा है।