ChhattisgarhRaipur

नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों को अपने पुरातन परंपराओं और संस्कारों से जोड़कर रखेगी: सुश्री उइके

रायपुर : नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों को अपने पुरातन परंपराओं और संस्कारों से जोड़कर रखेगी। इस नीति की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें अपनी बोली-भाषाओं पर शिक्षा देने की बात कही गई है, इससे बच्चे शिक्षा अपेक्षापूर्ण अधिक अच्छे ढंग से ग्राह्य कर पाएंगे। इससे विद्यार्थियों को आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों की जानकारी मिलेगी। उनमें मानवता और संवेदनशीलता के गुण भी विकसित होंगे। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके नेे राजभवन में राष्ट्र सेविका समिति द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति अभियान-2020 के वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।
राज्यपाल ने कहा कि यह देखा जाता है कि कुछ लोग डिग्रियां ले लेते हैं, लेकिन संस्कार नहीं होता है तो ऐसे डिग्री किसी काम की नहीं होती है। नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी देगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित शिक्षा नीति निश्चित ही अपने उद्देश्यों में सफल होगी। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया है, उससे प्रेरणा लेकर आम जनता उस दिशा में काम कर रही है। हमारे छत्तीसगढ़ में कई महिला समूह स्थानीय संसाधनों पर आधारित उद्यम स्थापित कर काम कर रही है। वे गोबर से दीए बना रही है और अच्छा आय अर्जन भी कर रही है।
राज्यपाल ने कहा कि प्राचीन काल से भारत बौद्धिक रूप से पूरे संसार को मार्गदर्शन देता रहा है और यही असली ताकत रही है, जिसे पूरे विश्व ने स्वीकारा है। यह हमारी शिक्षा की वजह से ही हो पाया है। नई शिक्षा नीति हमारी शिक्षा व्यवस्था में आवश्यकतानुसार परिवर्तन करते हुए हमें नए परिवेश में स्थापित करने के लिए तैयार करेगी। साथ ही किसी कारणवश हमारे पुराने मूल्य जो छूट से गए हैं, उन्हें भी समाहित करेगी।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्यक्रम की 18 परियोजनाओं में से नई शिक्षा की संकल्पना भी एक थी। मूलभूत शिक्षा के प्रति गांधीवादी दृष्टिकोण सर्वांगीण था, जिसमें व्यक्ति के बौद्धिक, शारीरिक, सामाजिक और आध्यात्मिक जैसे सभी पहलू समाहित हैं, नई शिक्षा नीति में इसे शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 शिक्षा पद्धति में व्यापक बदलाव लाने वाली है। इसमें हमारी युवा पीढ़ी यानी विद्यार्थियों के बचपन से समग्र विकास की संकल्पना प्रस्तुत की गई है ताकि वे न केवल शैक्षणिक और कौशल विकास की दृष्टि से सुयोग्य बन कर जीवन में चहुंमुखी प्रगति कर सकें, बल्कि एक संवेदनशील मानव भी बन सके। इस शिक्षा नीति में शिक्षा और ज्ञान को भारत केन्द्रित बनाने का तो प्रयास किया ही गया है। साथ ही इसमें शिक्षा और शोध की गुणवत्ता को भी अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ढालने की कोशिश की गई है ताकि हमारे विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने के आकर्षण की बजाय अपने देश में ही उच्च गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्राप्त कर सकें। साथ ही, विदेशी विद्यार्थी भी भारत में शिक्षा के प्रति आकर्षित होकर यहां आएं जैसे कभी नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय विश्व में प्रसिद्ध थे और हजारों विदेश छात्र यहां पढ़ने आते थे।
राज्यपाल ने कहा कि हर देश, अपनी शिक्षा व्यवस्था को अपने राष्ट्रीय मूल्यों के साथ जोड़ते हुए, अपने राष्ट्रीय लक्ष्य के अनुसार सुधार करते हुए चलता है। भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में यह सोच है। 21वीं सदी में ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’’ देश की प्रथम शिक्षा नीति है, जो विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण एवं रोजगारोन्मुखी शिक्षा प्रदान करने और भारत को वैश्विक महाशक्ति तथा आत्मनिर्भर भारत बनने में सहायक होगी।
राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्र सेवा समिति समाज में संस्कार और राष्ट्र प्रेम की भावना रोपित करने का कार्य करती है। मुझे बताया गया था कि लॉकडाउन के दौरान रचनात्मक कार्य किए गए हैं जो कि सराहनीय है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page