रविशंकर प्रसाद ने की खेल मंत्री से सिफारिश, कहा- 1200 किमी साइकल चलाने वाली ज्योति की प्रतिभा को निखारा जाए


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पटना: बिहार की बिटिया जिसने एक हज़ार किलोमीटर से अधिक की यात्रा साइकिल पर अपने पिता को बैठा कर की, उसके जज़्बे को सलाम किया केंद्रिय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने और खेल मंत्री किरन रिजजू से बात कर उसकी इस प्रतिभा को प्रोत्साहित करने का अनुरोध किया। रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर लिखा कि इस कठिन समय के दौरान हम सभी नागरिकों की मदद करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में बिहार की एक युवा लड़की का साहस देखने को मिला जो अपने पिता को गुरुग्राम से दरभंगा 1000 किलोमीटर तक साइकिल चलाकर पहुंची। इस लड़की की प्रतिभा की पहचान करने के लिए मैने खेल मंत्री किरन रिजिजू से बात की है।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि उन्होनें खेल मंत्री किरेन रिजिजू से अनुरोध किया कि वह बिहार की इस साहसी लड़की ज्योति कुमारी पासवान को प्रशिक्षण और छात्रवृत्ति के माध्यम से पूरा सहयोग दें ताकि वह अपने साइकिलिंग टेलेंट को और विकसित कर सके। उन्होनें कहा कि मैं उनके साहस और दृढ़ संकल्प को सलाम करता हूं।
Also requested the Sports Minister @KirenRijiju to give full support to this courageous girl from Bihar- Jyoti Kumari Paswan by way of training & scholarship to develop her as a cyclist of repute, if she is willing. I salute her courage and determination. (2/2)
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) May 23, 2020
लॉकडाउन के दौरान प्रवासी कामगारों के हौसले की एक कहानी बिहार से तक सामने आई जब हरियाणा के गुरुग्राम से अपने पिता को साइकिल पर बैठा 15 साल की एक लड़की बिहार के दरभंगा पहुंच गई। दरभंगा जिला के सिंहवाड़ा प्रखण्ड के सिरहुल्ली गांव निवासी मोहन पासवान गुरुग्राम में रहकर टेम्पो चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण किया करते थे पर इसी बीच वे दुर्घटना के शिकार हो गए।
दुर्घटना के बाद अपने पिता की देखभाल के लिये 15 वर्षीय ज्योति कुमारी वहां चली गई थी पर इसी बीच कोरोना वायरस की वजह से देशव्यापी बंदी हो गयी। आर्थिक तंगी के मद्देनजर ज्योति के साईकिल से अपने पिता को सुरक्षित घर तक पहुंचाने की ठानी। बेटी की जिद पर उसके पिता ने कुछ रुपये कर्ज लेकर एक पुरानी साइकिल साईकिल खरीदी।
ज्योति अपने पिता को उक्त साईकिल के कैरियर पर एक बैग लिए बिठाए आठ दिनों की लंबी और कष्टदायी यात्रा के बाद अपने गांव सिरहुल्ली पहुंची है। गांव से कुछ दूरी पर अपने पिता के साथ एक पृथक-वास केंद्र में रह रही ज्योति अब अपने पिता के हरियाणा वापस नहीं जाने को कृतसंकल्पित है । वहीं ज्योंति के पिता ने कहा कि वह वास्तव में मेरी “श्रवण कुमार” है।