DMF फंड में बड़ा खेल! एक ही परिसर की दो स्कूलों में शौचालय के नाम पर 23 लाख की स्वीकृति, एक साल बाद भी काम शुरू नहीं—भ्रष्टाचार की बू साफ

DMF फंड में बड़ा खेल! एक ही परिसर की दो स्कूलों में शौचालय के नाम पर 23 लाख की स्वीकृति, एक साल बाद भी काम शुरू नहीं—भ्रष्टाचार की बू साफ
कवर्धा। जिले के बोड़ला जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत छांटा में जिला खनिज न्यास (DMF) मद के तहत स्वीकृत शौचालय निर्माण कार्य अब गंभीर सवालों के घेरे में आ गया है।
जानकारी के अनुसार—
✅ प्राथमिक शाला छांटा में शौचालय निर्माण हेतु प्रशासकीय स्वीकृति क्रमांक 945, दिनांक 10 दिसंबर 2024, राशि ₹11,50,000
✅ पूर्व माध्यमिक शाला छांटा में शौचालय निर्माण हेतु प्रशासकीय स्वीकृति क्रमांक 947, दिनांक 10 दिसंबर 2024, राशि ₹11,50,000
कुल मिलाकर ₹23 लाख की स्वीकृति दिए जाने के बावजूद, एक वर्ष बीत जाने के बाद भी कार्य की शुरुआत तक नहीं हुई है। चौंकाने वाली बात यह है कि प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शाला दोनों एक ही परिसर में संचालित हैं, इसके बावजूद अलग-अलग शौचालय के नाम पर इतनी बड़ी राशि स्वीकृत की गई।
यह मामला इसलिए भी गंभीर हो जाता है क्योंकि—
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत हितग्राहियों को ₹1,20,000 की सहायता राशि और मनरेगा के 95 दिवस की मजदूरी प्रदान कर पूरे आवास का निर्माण कराया जाता है। वहीं दूसरी ओर, सिर्फ शौचालय निर्माण के लिए ₹11.50 लाख प्रति स्कूल की स्वीकृति भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितता की आशंका को मजबूत करती है।
और भी हैरानी की बात यह है कि स्वच्छ भारत मिशन योजना के अंतर्गत राज्य के विभिन्न गांवों में ₹3.50 लाख से ₹4 लाख की लागत में सामुदायिक शौचालय बनाए जा रहे हैं। ऐसे में एक ही परिसर की दो शालाओं के लिए अलग-अलग शौचालयों पर 23 लाख रुपये खर्च करने का तर्क समझ से परे है।
स्थानीय स्तर पर यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि—
क्या बिना तकनीकी और वास्तविक आवश्यकता के राशि स्वीकृत की गई ।
क्या DMF जैसे संवेदनशील फंड का दुरुपयोग किया जा रहा है।
आखिर एक साल तक काम शुरू न होने की जिम्मेदारी किसकी है।
मामले में कार्य स्वीकृति से जुड़े समस्त जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों की चिन्हांकन कर कड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है। यदि समय रहते उच्च स्तरीय जांच नहीं हुई, तो यह प्रकरण DMF मद में बड़े घोटाले का उदाहरण बन सकता है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन और राज्य शासन इस गंभीर वित्तीय अनियमितता के आरोपों पर कब और क्या कार्रवाई करता है, या फिर यह मामला भी फाइलों में ही दफन कर दिया जाएगा।



