अरहर फसल में पॉडबोरर के बढ़ते प्रकोप को लेकर कृषि विभाग की समसामयिक सलाह

AP न्यूज विश्वराज ताम्रकार जिला ब्यूरो केसीजी
खैरागढ़ :
खरीफ वर्ष 2025 में जिले के अंतर्गत लगभग 2200 हेक्टेयर क्षेत्र में कृषकों द्वारा अरहर फसल की खेती की गई है। वर्तमान में फसल में पॉडबोरर (फलीबेधक) कीट का प्रकोप देखने में आ रहा है, जिससे उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है। इसे देखते हुए कृषि विभाग द्वारा कृषकों के लिए समसामयिक तकनीकी सलाह जारी की गई है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार पॉडबोरर कीट की लार्वा (सूंडी) अवस्था सर्वाधिक हानिकारक होती है। यह हरे-भूरे रंग का कीट फली में छेद कर दानों को खाता है तथा अपने मल से दानों को संक्रमित कर देता है, जिससे फलियां सड़ जाती हैं और उत्पादन में भारी गिरावट आती है।
पॉडबोरर नियंत्रण हेतु अनुशंसित उपाय
कृषिगत नियंत्रण:
फसल में नाइट्रोजन उर्वरक का अत्यधिक उपयोग न करें।
अरहर फसल के साथ सूरजमुखी को अंतरवर्ती फसल के रूप में बोना लाभकारी पाया गया है।
खेत एवं मेड़ों के आसपास उगी अनावश्यक खरपतवारों को नियमित रूप से हटाएं।
यांत्रिक नियंत्रण:
कीट की निगरानी एवं नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रैप 12 प्रति हेक्टेयर की दर से लगाएं।
जैविक नियंत्रण:
नीम आधारित कीटनाशक एजाडिरेक्टिन का 3–4 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
रासायनिक नियंत्रण:
आवश्यकता अनुसार अनुशंसित दवाओं में से किसी एक का प्रयोग करें—
डाइमेथोएट 30% ईसी – 1000 मिली/हेक्टेयर
इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी – 400 ग्राम/हेक्टेयर
इंडोक्साकार्ब 15.8% एससी – 150 मिली/हेक्टेयर
क्लोरैन्ट्रानिलिप्रोल 17.5% एसएल – 150 मिली/हेक्टेयर
स्पिनोसाड 45% एससी – अनुशंसित मात्रा/हेक्टेयर
फूलों की झड़ने से रोकने हेतु सलाह
अरहर फसल में फूल झड़ने की समस्या से बचाव के लिए कृषि विभाग ने निम्न उपाय बताए हैं
नेफ्थलीन एसीटिक एसिड (NAA)40 मिलीग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर फूल आने से पहले तथा 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।
सैलिसिलिक एसिड 100 मिलीग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फूल आने से पहले एवं 15 दिन के अंतराल पर उपयोग करें।
कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे फसल की नियमित निगरानी करें, आवश्यकता अनुसार वैज्ञानिक विधि से कीट प्रबंधन अपनाएं तथा दवाओं का प्रयोग अनुशंसित मात्रा में ही करें, जिससे अरहर फसल की उत्पादकता एवं गुणवत्ता में वृद्धि हो सके।

