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कवर्धा : अखिल भारतीय बाघ गणना 2026 के छठवें चरण की तैयारी शुरू

कवर्धा : अखिल भारतीय बाघ गणना 2026 के छठवें चरण की तैयारी शुरू

टीकम निर्मलकर AP न्यूज़ कवर्धा : अखिल भारतीय बाघ गणना 2026 के छठवें चरण की तैयारी शुरू हो गई है। इसे लेकर कवर्धा के वन काष्ठागार (डिपो) के नीलामी हॉल में दुर्ग सर्किल के सभी अधिकारियों को विशेष ट्रेनिंग दी गई। दुर्ग वन वृत्त के मास्टर ट्रेनर्स को वह 3 तकनीकें सिखाई गईं, जिन पर पूरी बाघ गणना टिकी रहती है। इन तकनीक में बाघ की निशानियां, ट्रांजेक्ट लाइन और कैमरा ट्रैप सेटअप शामिल है।

मास्टर ट्रेनर्स ने बताया कि सिर्फ पंजे के निशान देखकर नहीं, बल्कि मल, बाल और पेड़ों पर खरोंचें भी बाघ की मौजूदगी के महत्वपूर्ण संकेत हैं। यह प्रशिक्षण सिर्फ क्लास रूम तक सीमित नहीं रहा, बल्कि जंगल की मिट्टी और पेड़ों के बीच जाकर निशानियों, ट्रांजेक्ट लाइन और कैमरा ट्रैप सेटअप का वास्तविक अनुभव दिलाया गया।

साथ ही फील्ड पर लाइव डेमो दिखाया। प्रशिक्षण में मुख्य वन संरक्षण (वन्यप्राणी) व उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक सतोविशा समाजदार, उदन्ती सीतानदी टाइगर रिजर्व उपनिदेशक वरुण जैन, कबीरधाम डीएफओ निखिल अग्रवाल, उप वनमंडलाधिकारी कवर्धा अभिनव केशरवानी, शिवेन्द्र भगत, बारनवापारा अभयारण्य अधीक्षक कृषानू चंद्राकर, भोरमदेव अभयारण्य अधीक्षक अनिता साहू, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से ओंकार और दुर्ग वृत्त के परिक्षेत्र अधिकारी उपस्थित रहे।

1. बाघ की निशानियां: प्रशिक्षण के दौरान विशेषज्ञों ने जंगल में मौजूद उदाहरणों के साथ दिखाया कि बाघ के पगमार्क को अंगुलियों के निशान, एड़ी का आकार और चौड़ाई से पहचानें। पेड़ों पर नाखून के खरोंच, शिकार के बाद बाघ की किल साइट पैटर्न, मूत्र या सुगंध द्वारा की गई स्प्रे मार्किंग और रास्तों पर छोड़े गए स्कैट (मल) सैंपल को गणना का आधार बताया।

2. ट्रांजेक्ट लाइन: मास्टर ट्रेनर्स को सख्त प्रोटोकॉल के साथ ट्रांजेक्ट लाइन बनाने और चलने की रियल टाइम ट्रेनिंग दी गई। सीधी 1- 2 किमी की लाइन चिह्नांकित करने, जीपीएस पॉइंट्स लॉक करने, हर 100 मीटर पर साइन चेक और साइन मिलने पर फोटो, लोकेशन और दिशा दर्ज करने की प्रक्रिया बताई गई।

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