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कवर्धा : गौमाता को मिले राज्य माता का दर्जा, गौचर भूमि खाली कराए सरकार

कवर्धा : गौमाता को मिले राज्य माता का दर्जा, गौचर भूमि खाली कराए सरकार

टीकम निर्मलकर AP न्यूज़ कवर्धा : कवर्धा के कचहरी पारा में श्री शिव महापुराण कथा का आयोजन किया गया है। जहां पंडित आनंद उपाध्याय ने प्रवचन में गौमाता की महिमा का बखान किया। उन्होंने कहा कि परब्रह्म परमात्मा शिव स्वयं धर्मरूपी नंदी में विराजमान हैं। जहां धर्म है, वहां गौसेवा और नंदी की पूजा होती है, और ऐसे स्थानों पर भगवान शिव की कृपा स्वतः प्राप्त होती है।

पंडित आनंद उपाध्याय ने राज्य सरकार से मांग की कि छत्तीसगढ़ में गौमाता को राज्य माता का सम्मान दिया जाए। गौमाता केवल पशु नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति की आधारशिला हैं। गौवंश की रक्षा ही मानवता की रक्षा है। गाय बचेगी तो देश बचेगा, गौमाता बचेगी तो समाज बचेगा। गौचर भूमि पर अवैध कब्जे तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसके कारण गायों के लिए चराई का स्थान नहीं बचा। सरकार को शीघ्र कार्रवाई कर गौचर भूमि को मुक्त कराना चाहिए। इससे न केवल गौवंश की रक्षा होगी बल्कि समाज में सुख, समृद्धि और शांति भी स्थापित होगी। जहां गौमाता और नंदी की हत्या होती है, वहां आपदा, भूकंप, महामारी और अनावृष्टि का भय बना रहता है। यदि समाज को सुख-शांति चाहिए तो गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध और गौसेवा को जीवन का आधार बनाना होगा। आयोजन में वेद श्रीवास्तव सहित श्रद्धालु शामिल रहे।

गौमाता और नंदी की सेवा से शिवत्व प्रसन्न होता है और मनुष्य को शिवज्ञान की प्राप्ति होती है। गौतंत्र में कहा गया है कि भगवान शिव संसार के कल्याण के लिए नंदी बने, वहीं माता पार्वती गौमाता के रूप में प्रकट हुईं। इसीलिए गौसेवा ही परम धर्म है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में गौवंश की उपेक्षा अत्यधिक बढ़ गई है। सनातन धर्म की जड़ स्वयं गौमाता हैं, इसलिए गौसेवा और गौ संरक्षण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। जो व्यक्ति कसाई से सैकड़ों गौवंश को बचाकर सेवा करता है, वह शिव तुल्य हो जाता है।

आज गौमाता की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण प्लास्टिक और झिल्ली है। लोग सड़कों पर कचरा फेंक देते हैं, जिसे खाकर गाय मर जाती है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को यह संकल्प लेना चाहिए कि प्लास्टिक का उपयोग कम करे और इसे सड़क या गौचर भूमि में न फेंके। चारा, पैरा या पलारी को जलाना पाप है। इसे गौशाला या गौसेवकों को देना चाहिए। जो व्यक्ति गौमाता के चारे को जलाता है, वह पुण्य से वंचित होता है।

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