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कवर्धा : अंतिम संस्कार से पहले केक काटा, शव के पास फूटकर रोया पिता, श्मशान घाट में गुब्बारों से सजी अर्थी देख भावुक हुए लोग

अंतिम संस्कार से पहले केक काटा, शव के पास फूटकर रोया पिता, श्मशान घाट में गुब्बारों से सजी अर्थी देख भावुक हुए लोग

टीकम निर्मलकर AP न्यूज़ कवर्धा: छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में एक बड़ा ही भावुक दृश्य सामने आया है। यहां एक पिता ने अपनी बेटी का अंतिम संस्कार करने से पहले श्मशान घाट में केक काटा.

डेड बॉडी के लाश को कोलकत्ता ले जाना संभव नहीं था
दरअसल, इंद्रजीत भट्टाचार्य कोलकता के रहने वाले थे। मां बेटी की मौत 5 अक्टूबर को हुई थी। लाश से दुर्गंध आने लगी थी जिस कारण से उसे कोलकत्ता ले जाना संभव नहीं था। इसी कारण से परिजनों ने फैसला किया कि उसका अंतिम संस्कार कवर्धा में ही किया जाएगा। मंगलवार शाम कवर्धा जिले के लोहरा रोड स्थित मुक्तिधाम में मां और बेटी का अंतिम संस्कार किया गया।पास गुब्बारे लगाए गए। केक काटने के बाद वह एक टुकड़ा अपनी बेटी के शव के पास लेकर पहुंचा को फूट-फूटकर रोने लगा। वहां मौजूद परिजनों ने उसे संभाला। श्मशान घाट का ऐसा भावुक नजारा देख हर किसी की आंखें नम हो गईं। उन्होंने अपनी बेटी का बर्थ डे टोपी भी पहनाई।

लाश को कोलकत्ता ले जाना संभव नहीं था

दरअसल, इंद्रजीत भट्टाचार्य कोलकता के रहने वाले थे। मां बेटी की मौत 5 अक्टूबर को हुई थी। लाश से दुर्गंध आने लगी थी जिस कारण से उसे कोलकत्ता ले जाना संभव नहीं था। इसी कारण से परिजनों ने फैसला किया कि उसका अंतिम संस्कार कवर्धा में ही किया जाएगा। मंगलवार शाम कवर्धा जिले के लोहरा रोड स्थित मुक्तिधाम में मां और बेटी का अंतिम संस्कार किया गया।

सड़क हादसे में हुई थी मौत
5 अक्टूबर की शाम को कवर्धा जिले में एक दर्दनाक सड़क हादसा हुआ था। इस सड़क हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई थी। एक तेज रफ्तार ट्रक ने कोलकाता से घूमने आए पर्यटकों की गाड़ी को कालघरिया गांव के पास टक्कर मार दी थी। इस हादसे में चार लोगों की मौके पर ही मौत हुई थी जबकि एक बच्ची ने इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया था। हादसे के बाद घटनास्थल पर चीख पुकार मच गई थी।

जानकारी के अनुसार, अदिति भट्टाचार्य भी अपनी मां के साथ घूमने के लिए आई थी। जिस गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ था उसमें अदिति अपनी मां और रिश्तेदारों के साथ मौजूद थी जबकि उसके पिता कोलकत्ता में ही थे। हादसे की जानकारी लगने के बाद वह कोलकत्ता से कवर्धा पहुंचे थे।

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