गुरु पूर्णिमा जिसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है यह आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है – श्रीमती संतोष ताम्रकार की कलम से


AP न्यूज विश्वराज ताम्रकार स्टेट रिपोर्टर छत्तीसगढ़
🙏”गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु,
🙏गुरु देवो महेश्वरा,
🙏गुरु साक्षात परम ब्रह्म
🙏🏼तस्मै श्री गुरुवे नमः।।”
🌕गुरु पूर्णिमा जिसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है यह आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह प्रथा महर्षि वेदव्यास के सम्मान में आरम्भ हुई थी जिन्होंने 📔📕📘📙वेदों का संकलन किया और 📔महाभारत जैसे महान ग्रंथ की रचना की। उनके शिष्यों ने उनके सम्मान में इस दिन को गुरु पूजा के लिए समर्पित किया, तब से यह परंपरा चली आ रही है।
⭐गुरु की महिमा अपार है। इस दिन को हमारे भारतीय संस्कृति में एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। हमारे जीवन में गुरु की कृपा हमारे जन्म के साथ ही शुरू हो जाती है। इस धरती पर हमारे प्रथम गुरु हमारे माता-पिता होते हैं। माता-पिता हमें उत्तम संस्कारों से पोषित कर एवं ज्ञानों से सुसज्जित कर जीवन नौका को इस भवसागर में सहजता से खेने लायक बनाते हैं।
विद्यालय के शिक्षक हमारे भविष्य की निर्माता कहलाते हैं। सीखने-सिखाने की कोई उम्र नहीं होती। हम जितना सीखेंगे उतना ही परिपक्व होंगे। वह हमारे पथ प्रदर्शक होते हैं। हमारे माता-पिता, परिवार के सदस्य, पड़ोसी, शिक्षक या फिर एक अनजान व्यक्ति ही क्यों ना हो जो हमें ज्ञान दें, सही मार्ग पर ले जाए, सत्य से परिचय करवाए, जिनसे कुछ सकारत्मक सीखने को मिले, वह हमारे लिए गुरु होता है।
🕉️कोई व्यक्ति गुरु से शिक्षा ग्रहण करता है तो वह गुरु के सम्मान में कुछ गुरुदक्षिणा भेंट स्वरूप में समर्पण करता है। अपने गुरुजनों से सम्पर्क न हो पाने की स्थिति में लोग मंदिरों में जाकर गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु को स्मरण कर भगवान को श्रीफल अर्पित करते हैं।
🚩राष्ट्र सेविका समिति की सेविकाएँ किसी व्यक्ति को नहीं बल्कि भगवा ध्वज को गुरु मानती हैं। भगवा ध्वज ही हमारा गुरु, त्याग एवं समर्पण भाव का प्रेरणा स्रोत है। राष्ट्र को विकसित बनाने सामुहिक प्रयास की आवश्यकता है।
🇮🇳देश हित में मातृभूमि की रक्षा, दूसरों के प्रति सहयोग, त्याग, समर्पण की भावना रखनी है। सेविका बहनें देश, समाज, प्रकृति, वन्य-जीव, सभी प्राणियों के लिए समभाव रखते हुए ध्वज के नीचे प्रण कर संकल्प लेते हैं और देश हित में कार्य करने के लिए अग्रसर होते हैं।
💥जैसे एक अद्भुत शक्तिशाली उर्जा का संचार गुरु के सानिध्य में होता है, वैसा हीं समिति की बहनें भगवा ध्वज के नीचे खड़े होकर अनुभव करता है। दक्षिणास्वरूप तन-मन-धन का समर्पण गुरु पूर्णिमा के दिन भगवा ध्वज के समक्ष कर, हम सेविकाएँ राष्ट्रहीताय – धर्महिताय कटिबद्ध होती हैं। गुरु-शिष्य की भारतीय परम्परा हीं भारत को विश्व पटल पर एक अलग पहचान दिलाती है।