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साहस और संघर्षों का अद्भुत सयोंग है सुभाषचंद्र बोस -योगी

साहस और संघर्षों का अद्भुत सयोंग है सुभाषचंद्र बोस -योगी

कवर्धा।नेता जी सुभाषचंद्र बोस की जयंती का आयोजन शासकीय प्राथमिक शाला खैरझिटी खुर्द मे किया गया। इस अवसर पर सर्व प्रथम नेता जी के छाया चित्र पर् तिलक और पुष्प् अर्पित किया गया। शाला के प्रधान पाठक वोकेश नाथ योगी ने उनके जीवन से जुड़ी बातों पर प्रकाश डाला गया उन्होंने बताया की गुलामी की जंजीरो से देश को आजाद कराने के लिए किस तरह संघर्ष किया। आगे उन्होंने बताया की सुभाष बोस का जन्म ब्रिटिश राज के दौरान उड़ीसा में एक बड़े बंगाली परिवार में धन और विशेषाधिकार में हुआ था। एक एंग्लोसेंट्रिक शिक्षा के प्रारंभिक प्राप्तकर्ता, उन्हें भारतीय सिविल सेवा परीक्षा देने के लिए कॉलेज के बाद इंग्लैंड भेजा गया था । वह महत्वपूर्ण पहली परीक्षा में डिस्टिंक्शन के साथ सफल हुए, लेकिन राष्ट्रवाद को एक उच्च बुलावा देने का हवाला देते हुए, नियमित अंतिम परीक्षा देने से इनकार कर दिया। 1921 में भारत लौटकर, बोस महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाले राष्ट्रवादी आंदोलन में शामिल हो गए । उन्होंने संवैधानिक सुधार के लिए कम उत्सुक था और समाजवाद के लिए अधिक खुला था।बोस 1938 में कांग्रेस अध्यक्ष बने। 1939 में पुन: चुनाव के बाद, उनके और गांधी सहित कांग्रेस नेताओं के बीच, ब्रिटिश भारत और रियासतों के भावी संघ को लेकर मतभेद पैदा हो गए, लेकिन यह भी कि बोस के नेतृत्व को लेकर कांग्रेस नेतृत्व के बीच बेचैनी बढ़ गई थी। अहिंसा के प्रति परक्राम्य रवैया, और अपने लिए अधिक शक्तियों के लिए उनकी योजनाएँ। कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों के बड़े बहुमत केविरोध में इस्तीफा देने के बाद, बोस ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और अपने नेतृत्व मे उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की ताकि देश की आजादी की लड़ाई मे अहम भूमिका निभाया, इसी कड़ी मे शिक्षक अर्जुनसिंह ने बताया की उनको नेताजी की उपाधी जर्मनी के तानाशाह शाशक हिटलर ने पहली बार कहा गया ।आगे नन्दकुमार घोरमारे ने बताया की रविन्द्रनाथ टैगोर ने उन्होंने देश नायक की उपाधी प्रदान दिया।शिक्षक चंद्रशेखर शर्मा ने बताया की सही मायने मे यही ही हमारे सच्चे हीरो है। बच्चे अपने हीरो से मिल कर काफी उत्साहित नजर आये।

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