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कवर्धा:-नई शिक्षा नीति के तहत जिले के 220 आंगनबाड़ी बनेंगे बालवाड़ी। कलेक्टर ने शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों के दिए आवश्यक दिशा-निर्देश।

नई शिक्षा नीति के तहत जिले के 220 आंगनबाड़ी बनेंगे बालवाड़ी

इस सत्र से 16 जून को प्रांरभ होंगे बालवाड़ी

कलेक्टर ने शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों के दिए आवश्यक दिशा-निर्देश

कवर्धा, 09 जून 2022। नई शिक्षा नीति में शिक्षा विभाग के ढांचे में बड़ा बदलाव होगा। सरकारी स्कूलों में भी प्री प्राइमरी कक्षाएं प्रारंभ करने की तैयारी है। नई शिक्षा नीति में इसका प्रावधान किया गया है। इस कक्षा को बालवाटिका नाम दिया जाएगा। इस सत्र से कबीरधाम जिले के 220 आंगनबाड़ी को बालवाड़ी के रूप में बदलाव किया जाएगा। इसमें कवर्धा विकासखण्ड के 23 आंगनबाड़ी, पंडरिया विकासखण्ड के 64, सहसपुर लोहारा विकासखण्ड के 66 और बोडला विकासखण्ड के 67 आंगनबाड़ी का चयन किया गया है। बालवाड़ी के रूप में जिले के ऐसे आंगनबाड़ी का चयन किया गया, जो प्राथमिक स्कूल के परिसर से लगे हुए है।
कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ने इस सत्र से शुरू हो रही बालवाड़ी की आवश्यक तैयारियों के संबंध में शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों की संयुक्त बैठक ली। बैठक में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नई शिक्षा नीति में 10$2 के स्थान पर 5$3$3$4 का प्रावधान किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने भी नए प्रावधानों के आधार पर तैयारी प्रारंभ कर दी है। नए प्रावधानों के अनुसार 3 से 7 साल तक के बच्चों के लिए फाउंडेशन स्टेज की बात कही गई है। इसमें दो साल आंगनबाड़ी के होंगे। इसके बाद एक साल बालवाटिका का और फिर पहली और दूसरी कक्षा होगी। यह तीनों कक्षाएं स्कूल में संचालित होगी। बालवाटिका के लिए प्रशिक्षण देकर शिक्षा विभाग की मांग के अनुसार शिक्षक उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान रखा जाएगा। इससे सरकारी स्कूलों में भी प्री प्राइमरी कक्षाएं प्रारंभ हो सकेंगी।
राज्य शासन के निर्णय अनुसार प्रदेश में 5 से 6 आयु वर्ग के बच्चों के लिए आगामी सत्र से 6 हजार 536 शासकीय प्राथमिक शालाओं में बालवाड़ी का संचालन किया जाना है। इसके अंतर्गत प्रथम चरण में कबीरधाम जिले की ऐसी 220 शालाओं का चिन्हांकन किया गया है जहां शाला परिसर के भीतर अथवा उसके निकट में पूर्व से आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो। इस बालवाड़ी में 5-6 आयु समूह के बच्चों को सीखने-सिखाने का अवसर आनंदमयी वातावरण में प्रदान किया जाना है। जिसके लिए प्राथमिक शाला में एक उपयुक्त कक्ष होगा तथा एक शिक्षिका प्रभारी होंगी। इसके पश्चात ही बच्चों को संबंधित प्राथमिक शाला की कक्षा पहली में प्रवेश दिया जाएगा। बैठक में अपर कलेक्टर बीएस उइके, जिला पँचायत सीईओ संदीप अग्रवाल, डिप्टी कलेक्टर संदीप ठाकुर, जिला शिक्षा अधिकारी राकेश पांडेय, सहायक संचालक एम के गुप्ता, महिला एवं बाल विकास अधिकारी श आनंद तिवारी, डाईड प्रभारी टीएन मिश्रा, डाईड व्याख्याता डीके चन्द्रंवंशी, जिला मिशन समन्वयक विनोद श्रीवास्तव, अवधेश नंदन श्रीवास्तव, बीईओ जीपी बनर्जी, एके सहारे, संतोष प्रभाकर, एवं बीआरसी उपस्थित थे।

बाल वाटिका क्या है

अधिकारियों ने बताया कि बालवाटिका वर्ष 5 से 6 वर्ष के आयु वर्ग के सभी बच्चों केक सर्वागीर्ण विकास को सुनिश्चित करने के लिए सर्वव्यापक, न्याय समग्र, आनंददायक, समावेशी और संदर्भित सीखने के आवसरों की उपलब्धता बढ़ाना देने पर विचार करती है।

बालवाटिका की आवश्यकता क्यों पड़ी

अधिकारियों का कहना है नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को खेल-खेल में स्कूल के लिए तैयार करना है। बच्चों में अच्छी आदतों का विकास करना। बच्चों में सुनने और बोलने के कौशल को विकसित करना। विभिन्न गतिविधि के माध्यम से बुद्धि व व्यक्तिगत का विकास करना। प्राथमिक स्कूल मे सहज रूप में सहस रूप से परागमन के लिए तैयार करना है।

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