जिलों के सियासी तीरों से सूबे में ढ़हे दिग्गजों के दुर्ग ….


” राजिम-जिला ” की मांग फिर उठा
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पश्चात प्रदेश में जिलों की संख्या 16 से 32 और अब खैरागढ़ जिला के साथ 33 होने के सूबे में कुल 36 जिलों के गठन के कवायदों बीच लगभग 30 वर्षों से लंबित ब्रह्मलीन संत पवन दीवान की “राजिम जिला” की मांग एक बार फिर ” मुखरित ” होने लगा हैं, यह मुद्दा कोटि जनों के आस्था केंद्र रहे “पवन दीवान” से जुड़ा मुद्दा है इसलिए यह धीरे- धीरे यह सियासी नफे -नुकसान से परे एक भावनात्मक मुद्दे का रुप अख्तियार करते जा रहा हैं , इस मुद्दे पर जिम्मेदार “क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ” की भूमिका को लेकर लोगों के जेहन में सवाल भी उठने लगे हैं उनकी बेरुखियां अब लोगों के दिलो में चुभने लगी है! आज अंचल वासियों को सियासी गलियारे में महाराज जी (पवन दीवान) के खड़ऊ” “खड़क “की कमी खलने लगी है ! एक समय ऐसा भी था कि क्षेत्रीय हितो से सरोकार रखने वाला बड़े से बड़े काम महाराज जी सीधे सीएम से चुटकियों में ही करवा लेते थे, अच्छे-अच्छे प्रशासनिक अधिकारियों को घंटों में ही नप जाना पड़ता था! यह दुर्भाग्य का विषय है जिस ” राजिम” नें अविभाजित मध्यप्रदेश में जिनके सर पर तीन दफे मुख्यमंत्री का “ताज” रखवाया, राज्य बनने के बाद जिन्हे कैबिनेट मंत्री का ओहदा दिलवाया, जिन्हें देश व प्रदेश की राजनीति में अविस्मरणीय सियासी चमक दिलवाई इसके इसके बावजूद राजिम जिला न बन पाने का मलाल लोगों को आज होने लगा है और वे गंभीर चिंतन मैं डूबे हुए हैं!
“क्षेत्रीय हित” व “जनभावना” जुडे “पृथक जिल की मांग के इस अहम मुद्दे पर अपने राजनीति नफे- नुकसान को ध्यान में रखकर चुप्पी साधने वाले जिम्मेदार मौजूदा क्षेत्रीय- जनप्रतिनिधियों की भूमिका को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं और लोगों में खासा आक्रोश व्याप्त भी है!
पूर्व मुख्यमंत्रियों के क्षेत्रों में चले जिलो के सियासी तीरों से बंधी उम्मीदें ……
यदि प्रदेश सियासत की पुरानी बातों को छोड़ दे तो 15 वर्षों के वनवास के पश्चात 2018 के विस चुनाव में प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस पार्टी शानदार वापसी और सीएम के रूप में ताजपोशी के बाद नये जिलो के निर्माण की आड़ में” जिलो के सियासी तीर “अपने चिरपरिचित दिग्गज सियासी प्रतिद्वंद्वियों (पूर्व मुख्यमंत्रियों) के परंपरागत गढ़ो में छोड़ उनके अजेय ” दुर्ग “ढ़हाये हैं!
पहले निशाने पर पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी का ” मरवाही” रहा , जिसे पृथक जिला बना कर वहां हुयें विधानसभा के उपचुनाव में “जोगी -परिवार” को बेदखल कर सीट अपने पाले में कर लिया !
दूसरे निशाने पर प्रदेश के दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का निर्वाचन/प्रभाव जिला “राजनांदगांव” रहा, यही से रमन सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन की अविस्मरणीय पारी की शुरूआत की थी, यही से वे सांसद-केंद्रीय मंत्री बने और फिर लगातार पंद्रह वर्षो प्रदेश सत्ता के “केंद्र-बिंदु” बने रहे , उनके इस अजेय दुर्ग को तहस- नहस करने में बघेल ने कोई कोर -कसर नही रख छोड़ी राजनांदगांव को तीन जिलो ( राजनांगांव ,मानपुर -मोहला-चौंकी एवं खैरागढ़) में बांट कर क्षेत्रीय जनता को यह संदेश देने में पूरी तरह सफल रहे कि “जो काम आपके पूर्व मुख्यमंत्रियों ने नहीं कर दिखाया ,वो काम मैने कर दिखाया” ! सीधे जनभावना से जुडे़ इस संदेश का इतना व्यापक असर रहा कि मरवाही के बाद खैरागढ़ विधायक देवव्रत, जी के निधन के पश्चात वहां हुए उपचुनाव में भाजपा एवं छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी दिग्गजों के इन परंपरागत सीटों पर मिली फतह ने बघेल के व्यक्तित्व की सियासी चमक और भी बढ़ा दी !
यहां यह बताना लाजिमी होगा कि इन दोनों क्षेत्रों की दिग्गजों के साथ उनके पुत्रों क्रमशः अमित जोगी व अभिषेक सिंह को भी “सियासी वारिस” के रूप में राजनीति में स्थापित करने में अहम भूमिका रही !
महज यह संयोग ही कहा जाएगा कि 33 वें जिले खैरागढ़ के गठन के साथ ही कांग्रेस के दिग्गज नेता अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. पं. श्यामाचरण शुक्ल के नेतृत्व वाली परंपरागत सीट राजिम विधानसभा के “राजिम” के साथ ही “भाटापारा “को पृथक जिला घोषित किए जाने की मांग मुखरित होने लगी है यदि भाटापारा पर चर्चा छोड़ यदि राजिम की बात करें तो यह वही राजिम है जहां से कभी अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भारतीय राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले स्वर्गीय अर्जुन सिंह ने छत्तीसगढ़ में शुक्ल बंधुओं को उनके गढ़ “छत्तीसगढ़” में चुनौती देने व उनकी ओर से मिलने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए संत “पवन दीवान” के नाम की तीर खोजे थे ,और वे जब तक प्रदेश राजनीति में रहे तब तक प्रदेश राजनीति में शुक्ल बंधुओं के खिलाफ पवन दीवान का भरपूर भूमिका तय करते रहे!
प्रभावशाली भागवत कथा वाचन शैली और पृथक छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन के माध्यम से छत्तीसगढ़ के जनता “जनमानस” अमिट छाप छोड़ चुके संत पवन दीवान को छत्तीसगढ़ के कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय करने स्व. अर्जुन सिंह खुद ही गाड़ी चलाते हुए पवन दीवान के राजिम दीक्षित” ब्रह्मचर्य आश्रम” पहुंचे थे
पृथक राजिम जिला निर्माण की दशको पुरानी मांग उसी “पवन दीवान” की मांग हैं जिसे अपने राजनीतिक जीवन में समय -समय पर आला नेताओ के समक्ष रखते आये थें ! मौजूदा समय में स्व. श्यामाचरण शुक्ल के इस परंपरागत सीट”राजिम ” का प्रतिनिधित्व उनके सियासी वारिस व पुत्र “अमितेष शुक्ल” कर रहे हैं !
अंचल वासियों को पूरी उम्मीद है कि जैसे दो दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्रियों के निर्वाचन क्षेत्रों को जिला घोषित कर ब्रह्मलीन संत पवन दीवान के अनुरागी मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जो संदेश वहां की जनता को दिए हैं वही संदेश अब राजिम क्षेत्र की जनता को देंगे !
क्या है पीथल जिले के मांग के पीछे की दलीलें….
पृथक छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन के जुझारू नेता प्रसिद्ध भागवताचार्य कवि ब्रह्मलीन संत पवन दीवान जी का तीन सपना था पहला पृथक छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण इसके लिए उन्होंने सांसद रहते हुए सदन में आवाज उठाई थी, दूसरा सपना भगवान श्री राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में माता कौशल्या के भव्य मंदिर का निर्माण जिसे मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने माता कौशल्या मंदिर चंदखुरी में बनाकर पूरा किया और तीसरा सपना राजिम जिला निर्माण का था उनका कहना था कि” जितने भी प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है वे सभी जिले घोषित हुए है चाहे वह हरिद्वार, नासिक, उज्जैन, इलाहाबाद, आदि सर जिले हैं ठीक है छत्तीसगढ़ के प्रयाग कहे जाने वाले प्रसिद्ध तीर्थ राजिम को उसे जिले के हक से कैसे वंचित किया जा सकता है!”
त्रिवेणी संगम कमल क्षेत्र, पद्मावतीपुरी प्रयागधाम, हरिहर की भूमि आदि नामों से पौराणिक गाथा में उल्लेखित राजिम नगरी का इतिहास रायपुर से भी प्राचीन है भगवान श्री राजीव लोचन, कुलेश्वर नाथ महादेव, साहू समाज की आराध्य देवी भक्त माता राजिम की कर्मभूमि, अखंड भूमंडलाचार्य अनंत श्री वल्लभाचार्य जी महाप्रभु जी के चंपारणधाम, पंचकोशी धाम जतमई ,घटारानी जैसे पौराणिक आध्यात्मिक एवं धार्मिक महत्व के स्थलों को समेटे त्रिवेणी संगम के दोनो ,पाटो पर बसे नगर राजिम जहां नगर पंचायत एवं अनुविभाग मुख्यालय है वही नवापारा नगर पालिका परिषद एवं तहसील मुख्यालय है दोनों की जनसंख्या लगभग 90 हजार से 95 हजार के बीच है यदि इसमें फिंगेश्वर ब्लॉक के 72 ग्राम पंचायत और अभनपुर के 70 ग्राम पंचायत सहित आम सहमति के आधार पर मगरलोड एवं छुरा ब्लॉक में आने वाले आंशिक भूभाग को प्रस्तावित नए जिले में समाहित किए जाएं तो कुल जनसंख्या लगभग 3:00 से 2:45 लाख के बीच होती है जो प्रदेश के कई अन्य जिलों की तुलना में कहीं अधिक है ! नवापारा राजिम उल्लेखित भूभाग का प्रमुख व्यापारिक एवं व्यवसायिक स्थल है
दोनों ही नगरो में अपनी कृषि उपज मंडियो, सब्जी मंडियो के साथ सैकड़ों की तादात में राइस मिल ,अन्य व्यवसायियों से संबंधित फैक्ट्रियां व लघु उद्योग है यहां की काली फर्शी उद्योग का पूरे देश में बोलबाला है!
नपं. राजिम ने पारित किया प्रस्ताव –
अब बारी नपा. नवापारा की
राजिम को पृथक जिला बनाने के लिए बीते 29 अप्रैल 2022 को नगर पंचायत राजिम के “सामान्य सभा” की बैठक में प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित कर छत्तीसगढ़ शासन नगरीय प्रशासन विभाग को प्रेषित कर दिया गया है गौरतलब है कि यह बैठक राजिम के क्षेत्रीय विधायक अमितेष शुक्ल की मौजूदगी में तय थी लेकिन बैठक में सदस्यों द्वारा राजिम जिला बनाएं जाने संबंधी प्रस्ताव रखे जाने की भनक लगते ही उन्होंने अपरिहार्य कारणों के चलते अपनी उपस्थिति में असमर्थता बताते हुए, पत्र के माध्यम से अपने एक करीबी कार्यकर्ता को बैठक मे उपस्थिति हेतु , बैठक प्रारंभ होने के कुछ ही घंटो पूर्व अधिकृत कर दिया ! क्षेत्रीय हितो एवं जनभावना से जुडे नपं. मे आहूत अहम बैठक मे क्षेत्रिय विधायक की गैरमौजूदगी को लेकर नगर के चौंक -चौराहों पर दिन भर चर्चाओ का बाजार गर्म रहा !
कार्यक्रम तय, जो होगा-दलगत राजनीति से परे,आम सहमति और सामूहिकता के आधार पर जन सहयोग से होगा….!
पृथक जिला निर्माण के कार्यक्रमों की भावी रूपरेखा देखा पर चर्चा करते हुए ब्रह्मलीन संत पवन दीवान के दिशा निर्देश व सानिध्य में ग्राम पंचायत राजिम को नगर पंचायत का दर्जा दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले संत श्री के करीबी नेता का कहना है कि राजिम को जिला बनाने संबंधी जनता की मांग पर उच्च स्तरीय पहल प्रारंभ किया जा चुका है विधानसभा के मानसून सत्र के पूर्व इस संबंध में सर्वदलीय बैठक आहूत कर भावी कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की जाएगी सत्र के दौरान ही प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेलजी, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम जी, ग्राम पंचायत राजिम को नगर पंचायत को दर्जा दिलाने में महती भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ मंत्री व शासन के प्रवक्ता रवि चौबे जी छत्तीसगढ़ के नगरी प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया जी एवं जिले के प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत जी को ज्ञापन सौंपा जाएगा ! आवश्यकतानुसार नये जिले के दायरे में आने वाली स्थानीय निकायों संस्थाओं से प्रस्ताव पारित करवाए जाएंगे ! मुद्दे पर क्षेत्रिय जनप्रतिनिधियों की बेरुखी के सवाल पर संत दीवान के करीबी नेता का कहना है कि यह अंचल के हितो व जनभावना से सरोकार रखने वाला अहम मुद्दा हैं आमजन स्फूर्त ही लडेंगें !