साझे मोर्चे छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन का गठन, 27 नवम्बर को बनाएंगे पूरे प्रदेश में किसान श्रृंखला


रायपुर । छत्तीसगढ़ में किसानों और आदिवासियों के बीच काम कर रहे विभिन्न संगठनों ने मिलकर खेती-किसानी के मुद्दों पर संघर्ष के लिए एक साझा मोर्चे छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के गठन की घोषणा की है। इस मोर्चे में छत्तीसगढ़ किसान सभा, राजनांदगांव जिला किसान संघ, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति (कोरबा, सरगुजा), किसान संघर्ष समिति (कुरूद), दलित आदिवासी मजदूर संगठन (रायगढ़), शामिल हैं।
इसके अलावा दलित आदिवासी मंच (सोनाखान), गांव गणराज्य अभियान (सरगुजा), आदिवासी जन वन अधिकार मंच (कांकेर), पेंड्रावन जलाशय बचाओ किसान संघर्ष समिति (बंगोली, रायपुर), उद्योग प्रभावित किसान संघ (बलौदाबाजार), रिछारिया केम्पेन, परलकोट किसान कल्याण संघ, वनाधिकार संघर्ष समिति (धमतरी), आंचलिक किसान सभा (सरिया), आदिवासी एकता महासभा (आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच) समेत 21 संस्थापक संगठन इसमें शामिल हैं।
यह सभी संगठन मिलकर प्रदेश में 20 से ज्यादा जिलों में किसानों और आदिवासियों के बीच काम कर रहे हैं, और पिछले एक साल से तालमेल बनाकर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर साझी कार्यवाहियां आयोजित कर रहे हैं। राजनांदगांव जिला किसान संघ के नेता सुदेश टीकम को छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन का संयोजक बनाया गया है।
इसी कड़ी में बुधवार को एक पत्रकार वार्ता आयोजित की गई। जिसमें छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के गठन की घोषणा करते हुए 27 नवम्बर को केंद्र और राज्य सरकारों की कृषि और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ पूरे प्रदेश में किसान श्रृंखला बनाने की घोषणा की गई।
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के नेताओं ने कहा कि हमारे संविधान में कृषि राज्य का विषय है। लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने मोदी सरकार के इन कानूनों को निष्प्रभावी करने की जुमलेबाजी के साथ मंडी कानून में जो संशोधन किए हैं, उसमें किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने तक का प्रावधान नहीं किया गया है। इन कानूनों से किसानों के हितों की रक्षा नहीं होती। इसलिए छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन संघ ने सरकार से स्पष्ट मांग की है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन प्रदेश में काम कर रहे सभी किसान संगठनों को नीतिगत सवालों पर एकजुट करेगा, ताकि केंद्र और राज्य सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ एक तीखा प्रतिरोध आंदोलन खड़ा किया जा सके। इस आंदोलन के केंद्र में वे गरीब किसान, आदिवासी और दलित समुदाय रहेंगे, जिन पर इन नीतियों की सबसे तीखी मार पड़ रही है।
किसान आंदोलन के नेताओं ने कहा कि इस मंच के अधिकांश घटक संगठन अपने अखिल भारतीय संगठनों के जरिये किसान संघर्ष समन्वय समिति से जुड़े हैं। 27 नवम्बर को जब दिल्ली में हजारों किसान संसद पर प्रदर्शन करेंगे।