BIG NewsTrending News

सरकार ने जारी किया इमरजेंसी फंड, सेना को ₹500 करोड़ के हथियार खरीदने की छूट

Representational Image
Image Source : PTI

नई दिल्ली. लद्दाख में चीन के साथ जारी विवाद के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने तीनों सेनाओं को 500 करोड़ रुपये का इमरेंजसी फंड जारी किया है। इस फंड का इस्तेमाल सेना हथियार खरीदने की लिए कर सकेगी। सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा आपातकालीन आवश्यकता प्रक्रिया के तहत हथियार प्रणाली खरीदने के लिए तीनों सेनाओं को वित्तीय अधिकार प्रदान किए गए हैं। अब वे इन शक्तियों के तहत 500 करोड़ रुपये तक के कोई नए हथियार खरीद सकते हैं। 

सशस्त्र बलों को चीन के किसी भी आक्रामक बर्ताव का ‘‘मुंह तोड़’’ जवाब देने की ‘‘पूरी आजादी’’ दी गई

इससे पहले चीन के साथ लगती 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात सशस्त्र बलों को चीन के किसी भी आक्रामक बर्ताव का ‘‘मुंह तोड़’’ जवाब देने की ‘‘पूरी आजादी’’ दी गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ लद्दाख में हालात पर उच्च स्तरीय बैठक के बाद सूत्रों ने यह जानकारी दी। रक्षा मंत्री के साथ इस बैठक में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने हिस्सा लिया।

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को चीन के साथ हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिकों के शहीद होने के बाद भारत ने चीन से लगती सीमा पर अग्रिम इलाकों में लड़ाकू विमान और हजारों की संख्या में अतिरिक्त सैनिकों को भेजा है। गलवान घाटी में हिंसा 45 वर्षों में सीमा पार हिंसा की सबसे बड़ी घटना है और इससे दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। हालात के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन को कड़ा संदेश दिया है कि,‘‘भारत शांति चाहता है लेकिन अगर उकसाया गया तो मुंह तोड़ तवाब देने में सक्षम है।’’

सूत्रों ने बताया कि रविवार को हुई बैठक में सिंह ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों को जमीनी सीमा, हवाई क्षेत्र और रणनीतिक समुद्री मार्गों में चीन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए। सैन्य सूत्रों ने बताया कि गलवान की घटना के बाद भारतीय सैनिक टकराव की हालत में अग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल नहीं करने की लंबी समय से चली आ रही प्रथा को मानने के लिए बाध्य नहीं होंगे। सूत्रों ने बताया कि सशस्त्र बलों को चीनी सैनिकों के किसी भी दुस्साहस का मुंह तोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने को कहा गया है और सीमा की रक्षा के लिए ‘‘सख्त’’ कदम उठाए जा रहे है।

गलवान घाटी में चीन के साथ हिंसक झड़प में भारत के कम से कम 76 सैनिक घायल हो गए थे वहीं चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अपने सैनिकों के हताहत होनें के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी हैं। सूत्रों ने बताया कि सशस्त्र बलों को दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की सेना के किसी भी प्रकार के आक्रामक रवैए से निपटने के लिए पूरी स्वतंत्रता दी गई है।

दोनों सेनाएं सीमा प्रबंधन पर हुए दो समझौतों के प्रावधानों के अनुरूप टकराव के दौरान आग्नेयास्त्रों का फिर से इस्तेमाल नहीं करने पर आपसी रूप से सहमत हुईं। इन समझौतों पर 1996 और 2005 में हस्ताक्षर हुए थे। एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि,‘‘अब से हमारा तरीका अलग होगा। ग्राउंड कमांडरों को स्थिति के अनुसार फैसला लेने की पूरी स्वतंत्रता दी गई है।’’

भारतीय वायु सेना ने पिछले पांच दिन में लेह और श्रीनगर सहित वायु सेना के अहम अड्डों पर सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर, मिराज 2000 विमान और अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर तैनात कर दिए हैं। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने शनिवार को कहा था कि भारतीय वायु सेना चीन के साथ लगती सीमा पर किसी भी सुरक्षा चुनौती का सामना करने के लिए ‘‘पूरी तरह तैयार है’’ और ‘‘उपयुक्त जगह पर तैनात है।’’

उन्होंने यहां तक संकेत दिए थे कि कड़ी तैयारियों के तहत उनके बल ने लद्दाख क्षेत्र में लड़ाकू हवाई गश्त की है। लड़ाकू हवाई गश्त के तहत विशिष्ट मिशनों के लिए सशस्त्र लड़ाकू विमानों को कम समय में रवाना किया जा सकता है। भारत और चीन की सेनाओं के बीच पांच मई से पूर्वी लद्दाख के गलवान और कई अन्य इलाकों में गतिरोध जारी है।

पांच मई को पैंगोग त्सो के तट पर दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई थी। पूर्वी लद्दाख में पांच और छह मई को करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच संघर्ष के बाद हालात बिगड़ गए थे। रक्षा मंत्री की यह समीक्षा बैठक ऐसे वक्त में हुई है जब वह द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी पर सोवियत संघ की विजय की 75वीं वर्षगांठ पर सैन्य परेड में हिस्सा लेने के लिए तीन दिन के लिए रूस की यात्रा पर रवाना होने वाले हैं। 

With inputs from Bhasha

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page