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वाणिज्यिक कोयला खदान में निवेश पर चीनी कंपनियों के लिए नियम सख्त

india restricts entry of chinese firms in commercial coal mine
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों की कंपनियों को वाणिज्यिक दोहन के लिए कोयला खदान की जारी नीलामी में हिस्सा लेने के नियमों को सख्त कर दिया है। कोयला मंत्रालय ने वाणिज्यिक कोयला खनन के लिए जारी टेंडर दस्तावेज के लिए एक शुद्धिपत्र जारी किया है जिसके मुताबिक ऑटोमेटिक रूट के तहत नई गतिविधि में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है, लेकिन भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से निवेश प्रस्तावों को केवल सरकार के रूट से ही स्वीकृत किया जाएगा। इसका मतलब यह होता है कि किसी भी भागीदारी की अनुमति से पहले ऐसे प्रस्तावों को सरकार जांचेगी उसके बाद फैसला लिया जाएगा।

उन कंपनियों के प्रस्तावों को भी सरकार की जांच से गुजरना होगा, जिनके मालिक भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले किसी देश में रहते हैं या वहां के नागरिक हैं। टेंडर दस्तावेज में स्पष्ट किया गया है कि पाकिस्तान का कोई नागरिक या पाकिस्तान में निगमीकृत कोई संस्था रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और विदेशी निवेश के लिए प्रतिबंधित सेक्टर को छोड़कर बाकी सेक्टर में भी सिर्फ सरकार के रूट से गुजरने के बाद ही निवेश कर सकती है।

कोयला मंत्रालय ने स्पष्टीकरण इसलिए जारी किया है, ताकि निवेशक बोली से पहले अपनी पात्रता के बारे में जान लें। सरकार ने पूर्व में जारी 2020 के प्रेस नोट 3 के जरिए भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से सभी निवेश के लिए सरकारी रूट से मंजूरी के तहत कर दिया था। यह कदम भारत के महत्वपूर्ण और संवेदनशील सेक्टरों में चीनी कंपनियों के फैलाव को रोकने के लिए था। बाद में लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा संघर्ष ने एक आधार तैयार किया, जहां आधिकारिक एजेंसियां पड़ोसी देश से निवेश और आयात रोकने के अतिरिक्त उपायों पर विचार कर रही हैं। प्रथम चरण की वाणिज्यिक कोयला नीलामी के तहत कुल 17 अरब टन के कोयला भंडार वाली 41 खदानें पेश की गई हैं। इसमें विशाल और छोटी खदानें दोनों शामिल हैं। ये खदानें पांच राज्यों में स्थित हैं। ये राज्य छत्तीचगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा हैं।

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