राजीव गांधी शिक्षा मिशन के कर्मचारियों को 2 माह से नहीं मिला वेतन जिला पंचायत सीईओ से लगाई गुहार


कवर्धा। राजीव गांधी शिक्षा मिशन में कार्यरत कर्मचारियों को 2 माह का वेतन नहीं मिला है । जिसके लिए उन्होंने सीईओ जिला पंचायत से वेतन देने की गुहार भी लगाई मगर नए साल में भी उन्हें वेतन नहीं मिला। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संविदा कर्मियों का वर्ष 2012 से सेवा वृद्धि नहीं हुई है । जिसके कारण सीईओ जिला पंचायत ने पहले उनका महा नवंबर का वेतन रोक कर एपीओ एम के साहू को जांच का आदेश दिया। लेकिन डेढ़ माह से एपीओ साहू ने जांच पूरा नहीं किया। इसलिए माह दिसंबर का वेतन भी नहीं दिया गया। इस बीच संविदा कर्मियों ने अपनी आर्थिक परेशानियों का हवाला देते हुए 31 दिसंबर को सीओ के समक्ष सामूहिक आवेदन भी दिया मगर नए वर्ष में भी उन्हें वेतन का भुगतान नहीं किया गया। जिसके कारण संविदा कर्मी परेशान है । सीईओ जिला पंचायत द्वारा सेवा विधि के अभाव में संविदाकर्मियों का वेतन रोकना गले से नहीं उतर रहा है। क्योंकि संविदाकर्मी स्वयं अपनी सेवा बृद्धि नहीं करते बल्कि विभाग प्रमुख डीपीसी जिसे वर्तमान में डीएमसी कहते हैं के द्वारा संविदा कर्मियों की आवश्यकता एवं गोपनीय चरित्रावली के आधार पर सेवा वृद्धि प्रस्तावित किया जाता है। इसलिए वर्ष 2012 से जो भी डीपीसी और डीएमसी के पद पर रहे उनसे पूछताछ की जानी चाहिए कि आखिर सेवा वृद्धि का अनुमोदन क्यों नहीं लिया गया । तथा बिना अनुमोदन के संविदा कर्मियों से काम लेने और उन्हें वेतन देने के लिए जिम्मेदार कौन है।
लेकिन ऐसा ना करते हुए सीईओ ने संविदाकर्मियों का ही 2 माह से वेतन रोक दिया।
विरोधाभास तो यहां तक है कि वे स्वतः ही उन्हें अपने कार्यालय में रखकर उनसे काम ले रहे हैं। और उन्हें वेतन भी नहीं दे रहे हैं। नियमानुसार विभाग ने संविदा कर्मियों से जिस अवधि का काम लिया उस अवधि का वेतन भी उन्हें निर्धारित समय पर देने के लिए उत्तरदाई है। लेकिन यहां कर्मियों से काम भी लिया जा रहा है तथा उन्हें वेतन भी नहीं दिया जा रहा है ।
संविदा कर्मियों का शोषण है।
न्यूनतम वेतन पर काम करने वाले संविदा कर्मी का 2 माह से वेतन रोकने के कारण व आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
यहां एक विसंगति पूर्ण कार्यवाही यह भी है कि विकासखंडों में बिना सेवावृद्धि के अनेक संविदाकर्मी काम कर रहे हैं लेकिन उनका वेतन नहीं रोका गया है। सिर्फ जिला परियोजना में कार्यरत संविदा कर्मियों का वेतन रोक दिया गया है।
इसके आश्चर्य यह भी है कि दो समन्वयक नियमित पदस्थापना वाले प्रतिनियुक्ति के हैं मगर उनका भी वेतन रोक दिया गया है।जो घोर विसंगति पूर्ण है मगर सीओ की हठधर्मिता के कारण सभी कर्मचारी 2 माह से वेतन से वंचित हो गए हैं।