BilaspurChhattisgarh

राजस्व विभाग में नही होता बिना पैसो के कोई काम…..छूट सिर्फ रसूखदारों और भूमाफियाओ को….आम जनता की नही होती कोई सुनवाई….अगर मिलती है तो सिर्फ तारीख..MLA के निरीक्षण के भी नही हुआ कोई असर…

बिलासपुर : बिलासपुर के विधायक और बार काउंसिल के अध्यक्ष ने बिलासपुर के तहसील कार्यालय के कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े किये थे उन्होंने बिना रिश्वत के कोई काम नहीं होने की बात कहकर सनसनी फैला दी थी बावजूद इसके आज भी तहसील कार्यालय में आप जाओ और आपका काम बिना रिश्वत दिए आसानी से हो जाये यह सम्भव ही नही है,अगर कोई आपको आकर यह कह दे कि मेरा काम जल्दी और बिना रिश्वत दिए हुआ है तो फिर आपको समझ लेना होगा कि या तो वह बाहुबली है या फिर किसी नेता, मंत्री का रिश्तेदार या फिर कोई सफेदपोश भूमाफिया और दलाल होगा! जिसके कारण उसका काम जल्दी और बगैर रिश्वत के हुआ है,लेकिन बेचारी आमजनता का काम तो एक बार मे होना सम्भव नही है,उसे जब तक तहसील कार्यालय का दलाल रिश्वत की परिभाषा ना समझाए तब तक वह तहसील कार्यालय के चक्कर इस उम्मीद के साथ लगाता रहेगा कि गरीबों की हितैषी सरकार है। दरअसल ऐसा है कि तहसील कार्यालय मतलब रिश्वतखोरी का अड्डा यहां हर काम में पैसो का खेल,यहां पदस्थ हर कर्मचारी अधिकारी सिर्फ पैसो की भाषा समझते है,तहसीलदार से लेकर नायब तहसीलदार तक पैसो के बिना काम नही करते है, और रहा सवाल बाबू का तो बिना पैसो के एक फ़ाइल इधर से उधर तक नही करते है,और कभी कभी तो पैसा लेकर भी फ़ाइल का काम अटका देते है,और जब कुछ पूछने जाओ तो ऐसे बात करेंगे जैसे कि आप खुद कर्जदार हो,इन सभी शिकायतो के आधार पर जब बिलासपुर के विधायक शैलेश पांडेय ने तहसील कार्यालय का बारीकी से निरीक्षण किया और एसडीएम,तहसीलदार,नायब तहसीलदार के अलावा अन्य लोगो से गम्भीरता से चर्चा की तो बहुत कुछ खुलासा हुआ जिसमें सबसे ज्यादा लंबित मामले और अवैध प्लाटिंग के ज्यादा रहे,यही नही भूमाफियाओ की भी लिस्ट मांगी गयी,इस बीच विधायक के पास एक नही बल्कि कई तरह की गंभीर शिकायते आयी और मौके पर तहसीलदार और नायब तहसीलदार की शिकायत भी हुई लेकिन उसका हल अब तक नही निकला….बल्कि अब तो ऐसा लगता है कि राजस्व विभाग के बेशर्म अधिकारी और कर्मचारी इतनी मोटी चमड़ी के बने हुए है कि विधायक आये या मंत्री आ जाये किसी के आने से कोई फर्क नही पड़ता,, क्योंकि जो करना है और जैसा करना है वह राजस्व विभाग के तहसीलदार अपनी मर्जी से करेंगे,खैर सच्चाई भी यही है लेकिन हकीकत यह भी है कि तहसील कार्यालय आने वाला हर इंसान महीनों से नही बल्कि सालों से घूम रहा है और आखिर वह अपनी पीड़ा बताये भी तो किसे बताये,क्योंकि सभी जानते हैं कि पैसो का खेल है। जहां पर गरीबो का नही बल्कि रसूखदारों का बोलबाला है।

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