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महाराष्ट्र: विधान परिषद चुनावों से पहले गठबंधन में घमासान, शिवसेना-एनसीपी का खेल बिगाड़ सकती है कांग्रेस

Maharashtra Election
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महाराष्ट्र में कोरोना संकट के बीच विधान परिषद के चुनावों की गहमागहमी जारी है। वहीं चुनावों में प्रत्याशी खड़े करने को लेकर गठबंधन सरकार चला रहे महा विकास अघाड़ी में घमासान भी शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए जहां उद्धव के लिए यह चुनाव जीतना बेहद जरूरी हो गया है, वहीं मामला कांग्रेस द्वारा दो प्रत्याशी खड़ा करने के बाद मामला और भी पेचीदा हो गया है। अब कांग्रेस और एनसीपी ने कांग्रेस को मनाने की कवायद शुरू कर दी है। 

बता दें कि कांग्रेस की तरफ से राजेश राठोड और राजकिशोर उर्फ पापा मोदी विधान परिषद के उम्मीदवार बनाए गए हैं, इसे लेकर शिवसेना और एनसीपी की भवें तन गई हैं। मामला सुलझाने के लिए उद्धव के करीबी मिलींद नार्वेकर और शरद पवार खुद राज्य कॉग्रेस के बड़े नेताओं के संपर्क में हैं। जहां दोनों सहयोगी नाम वापस लेने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन कॉग्रेस दो उम्मीदवार खड़ी करने पर अब अड़ी हुई हैं और कल नामांकन दाखिल करने की तैयारी भी कर रही हैं। 

दरअसल, ताकत नहीं होने के बावजूद भी कॉग्रेस द्वारा दो उम्मीदवार खड़ा करने का ऐलान कर दिया हैं। विधान परिषद के 9 सीटों के लिए 21 मई को मतदान होना हैं। विधान परिषद की एक सीट जितने के लिए 29 वोटों की प्रथम वरियता के आधार पर जरुरत होगी।

मौजूदा आंकड़ो के हिसाब से बीजेपी के पास 105 सीटें हैं। वहीं 10 निर्देलियों का समर्थन बीजेपी को हासिल हैं। इस प्रकार बीजेपी कुल के पास कुल 115 सीटें हैं। वहीं शिवसेना के 56, एनसीपी के 54, कॉग्रेस के 44 और अन्य 19 के अलावा महाविकास आघाडी को 16 निर्दलियों का समर्थन प्राप्त है।, इसके साथ महाविकास अघाढ़ी के पास कुल 170 सदस्य हैं। इन संख्या बल के साथ बीजेपी अपने दम पर आसानी से 3 सीटें जीत जायेंगी और महाविकास आघाडी पांच सीटें आसानी से जीत जाएगी। 

उद्धव का निर्विरोध चुना जाना मुश्किल

बीजेपी ने अपने चार उम्मीदवारों का ऐलान पहले ही कर दिया हैं। वहीं शिवसेना ने 2 और एनसीपी 2 उम्मीदवार उतारने की तैयारी में हैं। विपक्ष और सत्तापक्ष चाहता था कि विधान परिषद का चुनाव निर्विरोध हो लेकिन अब कॉग्रेस द्वारा दो उम्मीदवार खड़े करने के ऐलान के बाद कुल दस प्रत्याशी मैदान में होंगे और 9 सीटों के लिए अब मतदान होगा। ऐसे में उद्धव ठाकरे का निर्विरोध चुनाव जीतने का शिवसेना का ख्वाब टूट सकता हैं और चूंकि परिषद का चुनाव गुप्त मतदान से होता हैं ऐसे में क्रॉस वोटींग का खतरा बढ़ गया हैं।

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