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ब्रिटेन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे चीन को अमेरिका ने लताड़ा

US Secretary of State Mike Pompeo । File Photo
Image Source : PTI

वाशिंगटन। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ब्रिटेन पर दबाव बनाने के लिए तरह-तरह की तरकीबें आजमा रहे चीन की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि लंदन स्थित एचएसबीसी बैंक के जरिए वह ब्रिटेन पर अपनी परियोजनाओं के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है और उसकी चाल को देखते हुए सतर्क होने की आवश्यकता है।

पोम्पियो ने कहा कि चीन ने ब्रिटेन के बैंक ‘द हांगकांग एंड शंघाई बैंकिंग कॉर्पोरेशन (एचएसबीसी)’ को कथित तौर पर दंडित करने की धमकी दी है। उसने कहा है कि अगर ब्रिटेन हुवेई को उसका 5जी नेटवर्क बनाने की अनुमति नहीं देगा तो वह भी ब्रिटेन में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण का अपना वादा तोड़ देगा। उन्होंने कहा कि शेनझेन स्थित हुवेई चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के निगरानी तंत्र का हिस्सा है। 

पोम्पियो ने कहा, ‘चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के धौंस जमाने के तरीकों के खिलाफ अमेरिका अपने सहयोगियों और साझेदारों के साथ खड़ा है। उसके द्वारा एचएसबीसी को धमकाने को एक चेतावनी की तरह लेना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘बैंक के एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सीईओ पीटर वांग चाइनीज पीपल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस के सदस्य हैं। पिछले ही हफ्ते उन्होंने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें हांगकांग की स्वायत्तता को खत्म करने के विनाशकारी फैसले का समर्थन किया गया है।’ 

पोम्पियो ने कहा कि निष्ठा के इस प्रदर्शन से बैंक को बीजिंग में कुछ सम्मान हासिल हुआ। चीन अपने यहां बैंक का इस्तेमाल लंदन के खिलाफ राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए कर रहा है। उन्होंने कहा कि बीजिंग का आक्रामक व्यवहार दिखाता है कि देशों को क्यों चीन पर आर्थिक रूप से अत्यधिक निर्भर होने से बचना चाहिए और चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के प्रभाव से अपने यहां के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों को बचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के चीन की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देने के इरादे का दबाव हाल में ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क तथा अन्य मुक्त देशों को झेलना पड़ा है। 

विदेश मंत्री ने कहा, ‘अमेरिका सुरक्षित एवं भरोसेमंद परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण से लेकर नागरिकों की निजता को सुरक्षित रखने वाली विश्वासयोग्य 5जी सेवा के विकास तक ब्रिटेन में किसी भी जरूरत में मदद करने के लिए तैयार है। मुक्त देश सच्ची मित्रता में विश्वास रखते हैं और साझा समृद्धि की आकांक्षा रखते हैं।’

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