बहुभाषा शिक्षण में ’’धरोहर’’ कार्यक्रम शुरू : क्रियान्वयन के लिए जिला शिक्षा अधिकारी, प्राचार्य डाइट और मिशन समन्वयक को निर्देश

रायपुर : स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा राज्य की समृद्ध स्थानीय संस्कृति और भाषाओं से राज्य के छात्र, शिक्षकों, पालकों, समुदायों और राष्ट्र को परिचित कराने के उद्देश्य से शासन की मंशानुरूप ’’धरोहर’’ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया है। इसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ की मूल लोक संस्कृति विशेषकर स्थानीय जनजाति संस्कृति एवं लोकभाषा आधारित विभिन्न सामग्री – इतिहास, रीति-रिवाज, परम्पराएं, तीज-त्यौहार, मान्यताएं, लोक कलाओं इत्यादि का संग्रह एवं प्रदर्शन समाहित है। धरोहर कार्यक्रम का मूल उद्देश्य समृद्ध स्थानीय मूल संस्कृति एवं मूल भाषाओं का संऱक्षण एवं संवर्धन करना है।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के संचालक श्री डी. राहुल वेंकट ने धरोहर कार्यक्रम क्रियान्वयन के लिए सभी जिला शिक्षा अधिकारी, प्राचार्य डाइट और मिशन समन्वयक समग्र शिक्षा को निर्देशित किया है कि कार्यक्रम के तहत सामग्री अपलोड करने की कार्यवाही की अंतिम तिथि 28 फरवरी है। समन्वयक और आवश्यक मार्गदर्शन के लिए जिला डाइट के एमएलई नोडल अधिकारी से संपर्क किया जाए। जारी निर्देश में कहा गया है कि बहेबीववसण्पद में पंजीकृत समस्त शिक्षक इसके प्रतिभागी हो सकते हैं। प्रतिभागी को छत्तीसगढ़ की स्थानीय संस्कृति एवं भाषाओं पर आधारित सामग्री जो स्वनिर्मित हो या कापी राईट प्राप्त सामग्री हो अपलोड कर सकते हैं। प्रत्येक सामग्री में एक वीडियो, एक मूल भाषा में आलेख (जो वीडियो से संबंधित हो), एक मूल भाषा के आलेख का हिन्दी में भावानुवाद सम्मिलित होगा। अर्थात् तीनों सामग्री मिलकर एक पूर्ण सामग्री होगी। वीडियो का अधिकतम समय 6 मिनट होगा, जिसमें भूमिका अनिवार्य होगी। मूल भाषा के आलेख के लिए जो कि वीडियों का वर्णन होगा, इसके लिए शब्द सीमा अधिकतम 500 शब्दों की होगी। मूल भाषा के आलेख का हिन्दी में केवल भावानुवाद होगा। जिसकी सीमा 300 शब्द होगी। वीडियो, साक्षात्कार उद्देश्यपूर्ण हो, जिनमें संस्कृति के समृद्ध लोक तत्वों एवं भाषा कि समृद्धता को स्पष्टतः उजागर किया जाना चाहिए। इस अभियान में वर्तमान में सम्मिलित भाषाएं – गोंडी, हल्बी, भतरी, धुरवा, दोरली, माड़िया, कमारी, सादरी, बैगानी, बघेली, सरगुजिहा हैं। वीडियोनिर्माण कर्ताओं के लिए कार्य का सीमा बंधन नहीं है, किन्तु ’ ई ’ प्रमाणपत्र के लिए कम से कम 5 वीडियो और सह सामग्री अपलोड किया जाना अनिवार्य होगा।
अनुमोदन की कार्यवाही दो स्तरों पर होगी। प्रथम अनुमोदनकर्ता जिले के भाषा समूह के चिन्हाकित सदस्य और द्वितीय अनुमोदनकर्ता जिले से संबंधित भाषा के नोडल एवं जिले के डाइट के एमएलई नोडल अधिकारी होंगे। दोनों प्रकार के आलेख कम्प्यूटर टंकित होना अनिवार्य होगा।